For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आशियाना ढूंढते हैं

गजलनुमा कविता(मनन कु. सिंह)
हम बस महज इक आशियाना ढूँढते हैं,
तुम्हें लगा बात करने का बहाना ढूँढ़ते हैं।
उब चुके कबके थे मकां तेरे रहते-रहते,
अब बस इक घर का ताना-बाना ढूँढ़ते हैं।
बिन पत्तों की छाँव में कहते होता क्या,
हम तो पतझड़ में गुजरा जमाना ढूँढ़तेे हैं।
टूटे तारों से कहते क्या रिश्ता है धुन का,
हम तो उनमें छूटा हुआ तराना ढूँढ़ते हैं।
साँसें टँगी हैं मेरी, फिर आरजू है बाकी,
हम तेरी साँसों का आना-जाना ढूँढ़ते हैं।
सो गया जहाँ सारे पन्ने पलट-पलट के,
हम उन पन्नों में अपना फ़साना ढूंढते हैं।
'मौलिक व अप्रकाशित'@मनन

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on August 14, 2015 at 8:02pm
प्रेरणा प्रदान करने हेतु सभी आदरणीय मित्रों का आभार।
Comment by Manan Kumar singh on June 2, 2015 at 10:44am

आ। गोपाल जी, आशुतोष जी ! आभार आपका। 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 1, 2015 at 2:23pm

इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 1, 2015 at 12:03pm

अच्छे रचना हुयी है . सादर .

Comment by Manan Kumar singh on May 31, 2015 at 1:59pm
सभी आदरणीय मित्रों को बहुत-बहुत धन्यवाद
Comment by वीनस केसरी on May 31, 2015 at 12:27pm

सुन्दर ग़ज़लनुमा कविता हुई है
इस प्रस्तुति के लिए बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on May 30, 2015 at 4:18pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
Comment by narendrasinh chauhan on May 30, 2015 at 1:10pm

खूब सुन्दर कविता के लिए बधाई

Comment by Samar kabeer on May 30, 2015 at 10:58am
जनाब मनन कुमार सिंह जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 29, 2015 at 11:31pm

आपको दादनुमा बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service