For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 49 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  15 मई 2015 दिन शुक्रवार से 16 मई 2015 दिन शनिवार तक

इस बार के आयोजन के लिए पुनः शक्ति छन्द का ही चयन किया गया है. 

 

शक्ति छ्न्द के आधारभूत नियमों को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

एक बार में  अधिक-से-अधिक  चार (4)  शक्ति छन्द प्रस्तुत किये जा सकते है. 

ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.

 

 आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 15 मई 2015 से  16 मई 2015 यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]

अति आवश्यक सूचना :

  • आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, न कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.  आयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  • आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  • इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  • रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  • रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

Views: 9227

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, प्रदत्त चित्र पर अच्छी काव्य प्रस्तुति हुई है बधाई प्रेषित है. 

आदरणीय गणेश भाईजी 

छंद की प्रशंसा  के लिए हृदय से धन्यवाद आभार 

आदरणीय अखिलेश जी , वाह ! प्रदत्त चित्र के भावों को बड़ी संजीदगी से उतरा है. आदरणीय सौरभ भाई जी के कहे पर गंभीरता से मनन करें. एक पंक्ति पर न जाने क्यों मेरा मन अटक-खटक रहा है, हो सकता है मेरा भ्रम-मात्र हो तथापि अपने ही लीग हैं तो साझा करने में क्या हर्ज है ?

"प्रलय की तरह दृश्य  हालात है"

इस पंक्ति का एक वचन में होना क्या व्याकरण की दृष्टि से सही है ? मंच के विद्वान मित्रों का ध्यानाकर्षण चाहता हूँ. मेरे विचार से इसे बहुवचन में होना चाहिए.

सादर.........

आप एकदम से सही कह हे हैं आदरणीय.  उद्धृत वाक्य ’हालात’ शब्द के के कारण बहुवचन का होगा.

सादर

 

आदरणीय सौरभ भाई जी, समाधान करने हेतु आभार

आदरणीय अरुण भाईजी

छंद की प्रशंसा और सार्थक सुझाव  के लिए हृदय से धन्यवाद आभार 

सितम को ढहाता यथा मनचला

तबाही मचा यूँ गया जलजला

उजाडे हजारों चमन बस्तियाँ

जुदा लाख साहिल हुई कस्तियाँ

 

कहे बाल सहमा बहन को गहे

पिता मात स्नेही स्वजन ना रहे  

कुपित ईश का यह अजब है कहर

रहा घोल जीवन हमारे जहर   

 

जमी दर्द की इक हृदय में परत

सजल नैन नत, जल बहे अनवरत

अबोले व्यथित बाल मन कह रहे    

मिला भाग्य में जो उसे  सह रहे  

 

धरा कंप की तीव्रता नाप ली   

हवा में घुली आद्रता आँक ली

मनुज काश ! दुख दर्द को नापते 

झुका शीश आभार हम मानते

               

           - मौलिक व अप्रकाशित 

आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी आपकी छंद रचना मुग्ध कर देती है. प्रथम और द्वितिय बंद बहुत सुन्दर हुए है चित्र को सार्थक शब्द मिले है. किन्तु तृतीय बन्द सीधा हृदय में उतर गया -

जमी दर्द की इक हृदय में परत

सजल नैन नत, जल बहे अनवरत

अबोले व्यथित बाल मन कह रहे    

मिला भाग्य में जो उसे  सह रहे  

इन पंक्तियों आपका काव्य कौशल देखकर मुग्ध हूँ.

इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई.

तीनो बन्द की तुलना में चतुर्थ बन्द पर पुनर्विचार निवेदित है.

सादर 

जमी दर्द की इक हृदय में परत

सजल नैन नत, जल बहे अनवरत

अबोले व्यथित बाल मन कह रहे    

मिला भाग्य में जो उसे  सह रहे   ---  क्या बात है , आदरणीय सत्यनारायण भाई , बहुत सुन्दर !! हार्दिक बधाई ।

आ. मिथिलेश जी सादर, 

       इस प्रस्तुति  को सराहने के साथ साथ रचना पर अपने विचार साझा करने हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद. 

आदरणीय सत्यनारायणभाईजी, आपकी छन्द रचना में चित्र की मांग के अनुसार आवश्यक नरम भाव और आ पड़ी विपदा के प्रेषण केलिए आवश्यक शब्द बहुत ही कायदे से पिरोये हुए हैं.
जिस तरह से भूकम्प का आपकी रचना परिचय देती है, वह कमाल है -
सितम को ढहाता यथा मनचला
तबाही मचा यूँ गया जलजला
उजाडे हजारों चमन बस्तियाँ
जुदा लाख साहिल हुई कस्तियाँ (कश्तियाँ)

प्रस्तुत शब्द-दृश्य में साझा हुए कातर भाव में कितनी गहराई है -
जमी दर्द की इक हृदय में परत
सजल नैन नत, जल बहे अनवरत
अबोले व्यथित बाल मन कह रहे    
मिला भाग्य में जो उसे  सह रहे  

निम्नलिखित पंक्तियों के लिए विशेष बधाई -
धरा कंप की तीव्रता नाप ली   
हवा में घुली आद्रता आँक ली
मनुज काश ! दुख दर्द को नापते
झुका शीश आभार हम मानते

इस प्रस्तुति केलिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ..
हृदय से शुभकामनाएँ

परम आ. सौरभ जी सादर , आपकी संवेदनशील दृष्टि ने प्रस्तुत रचना को जिस तरह से स्वीकार किया है वह मेरे प्रयास को सार्थकता प्रदान करता है. 
 आत्मीय अनुमोदन  के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय

सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service