For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

झन्नाटा : लघु कथा : हरि प्रकाश दुबे

“गुरु देव !”

“हाँ बोलो बेटा !”

“लेखन में आपने बहुत कुछ सिखा दिया पर !”

“पर क्या ?”

“पर लगता है आप कहीं चूक गए !”

“अच्छा ! कैसे और तुम्हे ऐसा क्यों लगा ?”

“मेरे लेखन मैं वो बात नहीं आ पा रही है !”

अब गुरु जी थोड़ी देर तक सोचते रहे और तभी एक आवाज़ आई ...पटाक !

शिष्य का गाल लाल हो चुका था , आँख के आगे तारे दिखाई देने लगे .

“अब बोलो बेटा !”

“जी ,समझ गया गुरूजी, बस यही ‘झन्नाटा’ नहीं आ पा रहा था !”

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 21, 2015 at 11:33pm

आदरणीय हरि प्रकाशजी, आपकी कलम, आपके हाथ, आपका की-बोर्ड.. कहिये क्या चूम लूँ !!
अद्भुत !
बार-बार बधाइयाँ लीजिये.


थोड़ा लाइटर मूड में आज की स्थिति कहूँ? 

तो अपनी लघुकथा का अंत सुनिये -

अब गुरु जी थोड़ी देर तक सोचते रहे और तभी एक आवाज़ आई ...पटाक !
शिष्य का गाल लाल हो चुका था. कि, फिर उससे भी तेज़ आवाज़ आयी - फट्टाऽऽक्क्क ..
“अब बोलो बेटा? ..साले, गुरु बनते फिरते हो !" खनखनाती हुई आवाज़ बदस्तूर जारी रही, "..तुम क्या समझाओगे साले.. मैं समझ गया आगे करना क्या है... टेक केयर..”


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 21, 2015 at 10:34pm

वाह .... झन्नाटेदार लघुकथा 

मुझे भी झन्नाटे की जरुरत है 

Comment by neha agarwal on April 21, 2015 at 7:25am
वाह
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 20, 2015 at 9:30pm

बचपन याद आ गया! अब कहाँ ऐसा होता है,आजकल तो गुरु शिष्य को डांट भी नही सकता...सुन्दर लघुकथा पर बधाई सरजी!

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 20, 2015 at 9:08pm

गुरु काआशीर्वाद किसी भी रूप में मिले उससे  तो शिष्य आगे ही बढ़ता है| मैं भी मेरे विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान सिखाने के लिये कई तरह के झन्नाटे देता हूँ...हालाँकि ऐसा नहीं, व्यवहार के!! बहुत ही गजब की लघुकथा !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 20, 2015 at 12:18pm

गजब!! आदरणीय हरिप्रकाश जी. बधाई

Comment by savitamishra on April 20, 2015 at 9:17am

hhhh भय बिन कहा ज्ञान ..जोर का झन्नाटा ...शुक्र हैं सिखाने वाले दूर हैं बैठे ..वर्ना

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 20, 2015 at 7:38am

जी बिलकुल सही झन्नाटा आ ही गया ....चोट दिल पे लगे तो और अच्छा होगा .....

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 20, 2015 at 4:34am
चोट कुछ खास सिखा देती है ,
चाहे हलकी हो या गहरी ॥
बहुत खूब, आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, बधाई।
Comment by वीनस केसरी on April 20, 2015 at 4:02am

जय हो ...
आजकल मेरी लेखनी भी सुस्त हो रही है
इलाज़ मिल गया .. कल सुबह ही मिलता हूँ उस्ताद साहिब से ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
9 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service