For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

आधी रात

चांदनी और छाँव

तस्करों का हरा-हरा गाँव

जालिमो में कुछ अधेड़

कुछ तरु, कुछ वृक्ष, कुछ पेड़

 

कुछ घर थे गरीबों के भी

दांतों के बीच जीभों के भी

सचमुच बदनसीबों के भी   

 

आधी रात

चांदनी और छाँव

सन्नाटे में डरा-डरा गाँव

एक गरीब बुढ़िया के द्वार

तेजी से आया इक घुड़सवार

 

बुढिया की बेटी को उठाया

बेरहमी से अश्व पर चढ़ाया

फिर उस जीव को वापस भगाया 
 

आधी रात

चांदनी और छाँव

बूढ़ी आँखों से झरा-झरा गाँव

रोज ही यह सब होता

कौन कहाँ तक रोता  ?

 

बुझी आँख में नींद न समायेगी

जानती वह सुबह पूर्व आयेगी

कभी-बेरहम जवानी ढल जायेगी

 

आधी रात

चांदनी और छाँव

काला-स्याह मरा-मरा गाँव

आंख से निकलता मोती है सच्चा

बेटी की गोद में नन्हा सा बच्चा

 

जग से शायद टूट गया नाता

भारत में ऐसी भी होती है माता

अब कोई घुड़सवार नहीं आता

 

आधी रात

चांदनी और छाँव

दर्प अभिमान से भरा-भरा गाँव

(मौलिक व् अप्रकाशित )

 

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 14, 2015 at 8:15pm

आ० मिश्र जी

आपके स्नेह का आभारी हूँ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 14, 2015 at 8:14pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी

आपकी अनुशंसा से अभिभूत i सादर i

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2015 at 4:59pm

आदरणीय गोपाल सर .. आपकी यह रचना अत्यंत गंभीर है ..रचना के आगे बढ़ने के साथ साथ दृश्य बदलते जा रहे हैं ..इस अद्भुत प्रयोग हेतु  आपको ढेर सारी बढ़ायी सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 14, 2015 at 9:21am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर , गज़ब // आधी रात

चांदनी और छाँव

तस्करों का हरा-हरा गाँव

जालिमो में कुछ अधेड़

कुछ तरु, कुछ वृक्ष, कुछ पेड़//...... भारत में ऐसी भी होती है माता

अब कोई घुड़सवार नहीं आता....वाह ....सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई सर , सादर !

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 13, 2015 at 2:38pm

आदरणीय भंडारी जी /अनुज

कविता में कहानी का प्रयोग आपकी संस्तुति  से मेरे संतोष का उपादान  बनती  हुयी i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 13, 2015 at 2:35pm

आ० खुर्शीद जी

आपका आभार कैसे व्यक्त करूं i सादर अभिवादन i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 13, 2015 at 2:33pm

आदरणीय बागी जी

आपकी संस्तुति पाकर मन को संतुष्टि मिली i आपके स्नेह यूँ ही मिलता रहे यही कामना है i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 13, 2015 at 2:32pm

आ० श्याम नारायन  वर्मा जी

आपका बहुत बहुत आभार  i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 13, 2015 at 2:31pm

आ० विजय सर !

आपके समर्थन से हृदय आश्वस्त हुआ i सादर i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 13, 2015 at 7:41am

आदरणीय बड़े भाई , बहुत मार्मिक कहानी को आपने कविता का रूप  दिया है , पूरा मंज़र खींच दिया आपने ! वाह ! हार्दिक बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
21 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service