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अंधकार को अंधकार से मिटाते हैं -- डा० विजय शंकर

रौशनी से अन्धकार तो सब मिटा लेते हैं
हम अंधकार को अंधकार से मिटाते हैं |
एक बुराई हटाई , हटाई क्यों , हटाई नहीं ,
साइड में लगाईं , नई बुराई लगाई |
एक फेल को दूजे फेल से बदल दिया ,
एक असफल को फिर असफल होने का
अवसर दिया , और जोरदार एलान किया ,
देखो , हमने कैसा परिवर्तन कर दिया ,
और एक कमजोर का उत्थान भी कर दिया |
क्योंकि हम वीर हैं , हर हाल में जी लेते हैं ,
किसी बुराई से डरते नहीं ,
हर बुराई में जी लेते हैं ,
हर बुराई को झेल लेते हैं ,
हर बुराई के साथ एडजस्ट कर लेते हैं ।
बुराइयों से लड़ते नहीं ,
दायें बाएं करके बस , निकल लेते हैं ,
सह लेते हैं , सह लेते हैं , सहते रहते हैं ।

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 681

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Comment by Dr. Vijai Shanker on January 1, 2015 at 10:31pm
बहुत बहुत धन्यवाद , प्रिय डॉ o आशुतोष मिश्रा जी, नव वर्ष आपको सपरिवार शुभ हो , मंगलमय हो. सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 1, 2015 at 1:38pm

आदरणीय विजय सर ..इस सुंदर भाव्यव्य्क्ति पर आपको हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 1, 2015 at 1:30pm
आपसे पूर्णतया सहमत होते हुए रचना की सराहना के लिए आपके प्रति आभार व्यक्त करता हूँ। आपको नव वर्ष की ढेरों शुभ कामनाएं , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 1, 2015 at 1:27pm
आदरणीय शिज्जु शकूर जी, रचना के भाव की सराहना के लिए आभार। आपको नव वर्ष शुभ एवं मंगलमय हो , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 1, 2015 at 1:23pm
प्रिय जीतेन्द्र जी रचना को मान देने के लिए ह्रदय से आभार। साथ में आपको नव वर्ष की बहुत बहुत शुभ कामनाएं, सादर।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 1, 2015 at 10:37am

जी जो हो रहा है वही यथार्थ लिखा है, हार्दिक  बधाई डॉ विजय शंकर जी | - अगली रचना में जो होना चाहिए वह लिखा जाए | 

बुराई से लड़ते नहीं सहते रहते है, यह ठीक नहीं करते 

दिखाने को परिवर्तन ले आते है, पर यह कोई सुधार नहीं 

नव वर्ष  की हार्दिक  शुभकामनाओं के  साथ | शुभ शुभ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 8:05am

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी अच्छी भावाभिव्यक्ति हुई है बहुत बधाई आपको

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 1, 2015 at 6:28am

पुन: एक और सत्य को शब्दों की माला में पिरोकर, पद्य का रूप दे दिया आपने. बहुत-२ बधाई आदरणीय डा. विजय जी

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 31, 2014 at 6:19pm
आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी ,रचना को स्वीकृति प्रदान करने एवं उसका विवेचन करने हेतु आभार एवं धन्यवाद। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 31, 2014 at 6:14pm
बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , सादर।

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