For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"डाक्टर साहब , ये बच्ची हमें नहीं चाहिए", बोलते हुए उस महिला के आँखों में आँसू आ गए थे |

"देखो , बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं है और अब देर भी काफी हो गयी है , तुम्हारी जान को खतरा हो सकता है" |

" आप तो एबॉर्शन कर दीजिये , और कौन सी हमारे बेटे की उमर निकल गयी है" , सास ने ठन्डे स्वर में कहा । 

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 495

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on August 10, 2014 at 12:34pm

बहुत बहुत आभार सौरभजी..

Comment by विनय कुमार on August 10, 2014 at 12:33pm

आभार गिरिराज जी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2014 at 8:32am

बहुत दुखद , मैं  तो नीचता कहता हूँ | सुन्दर लघुकथा के लिए आपको बधाइयाँ |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 10, 2014 at 1:08am

ऐसी हृदयहीनता ! ..  लेकिन यही तो सारी समस्याओं की जड़ है.

अत्यंत सशक्त ढंग से प्रस्तुत हुई कथा के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विनयजी.

Comment by विनय कुमार on August 7, 2014 at 10:19pm

आभार जीतेन्द्र जी..

Comment by विनय कुमार on August 7, 2014 at 10:19pm

आभार डॉ गोपाल नारायण जी..

Comment by विनय कुमार on August 7, 2014 at 10:18pm

आभार सुभ्रांशुजी..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 7, 2014 at 12:12pm

बहुत ही बढ़िया लघुकथा. शायद अभी बहु कि जगह बेटी होती तो संवेदना कुछ और ही रहती. बधाई आपको आदरणीय विनय जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 7, 2014 at 11:35am

आह------

एक नारी की दूसरी नारी के प्रति इतनी संवेदनहीनता  i  उफ़ ---

विनय जी बहुत सुन्दर  और कम शब्दों में  i  बधाई हो !

Comment by Shubhranshu Pandey on August 7, 2014 at 9:16am

आदरणीय विनय जी, 

सास की ठंढी सांस ने उसके दिमाग और मन की आग को बता दिया...सुन्दर कथा..

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service