For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल को अब के शायद चैन मयस्सर हो -ग़ज़ल

22- 22- 22- 22- 22- 2

दिल को अब के शायद चैन मयस्सर हो

तेरी क़ुर्बत में जब दिन रात गुज़र हो

 

मेरी बातों का सीधा दिल पे असर हो

गर सुनने का इक तेरे पास हुनर हो

 

बरसें जब सर्द फुहारें रिमझिम-रिमझिम

क्या कहना क्या खूब सुहाना मंज़र हो

 

इक रौ में बहते हैं चश्मे तो भी क्या

बारिश सा बरसो तो ये आलम तर हो

 

मज़्मून लगे जैसे हो इक आईना

तुम एक सुखनवर हो या शीशागर हो

 

सन्नाटे में कोई सरगोशी सी है

जैसे गहरी साँसो का मद्धम स्वर हो

 

-(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on July 22, 2014 at 6:26pm
इक रौ में बहते हैं चश्मे तो भी क्या
बारिश सा बरसो तो ये आलम तर हो ..... इस शेअर का अंदाज बहुत निराला हुआ।

हार्दिक बधाई आदरणीय शिज्जू जी!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 22, 2014 at 5:55pm

आदरणीय सौरभ सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया

//जब भी बरसें सर्द फुहारें फ़ाहों में 
फिर क्या कहना खूब सुहाना मंजर हो  
किन्तु, यह कोई सुझाव नहीं है//
यद्यपि ये सुझाव नहीं है लेकिन जो भी है बेमिसाल है ग़ज़ल में ग़ज़लियत न हो कैसी ग़ज़ल इससे पहले आपने मेरी अन्य रचनाओं की खूब तारीफ की है इस रचना में ज़रूर कमी होगी अन्यथा यहाँ भी आप तारीफ करते आपका बहुत बहुत शुक्रिया इसी तरह नज़रे इनायत होती रहे। जल्द ही इस रचना को संशोधित करके फिर पोस्ट करता हूँ ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 20, 2014 at 8:39pm

इस बहर की अहम खुसूसियत इसमें सधे मिसरों के धाराप्रवाह वाचन से उभर कर आती है. उस हिसाब से इस ग़ज़ल को प्रथम दृष्ट्या कुछ और बाँधने की ज़रूरत प्रतीत हो रही है, भाई शिज्जूजी.

अब इसी शेर को लें -
बरसें जब सर्द फुहारें रिमझिम-रिमझिम
क्या कहना क्या खूब सुहाना मंज़र हो

इसे यों किया जाय तो -
जब भी बरसें सर्द फुहारें फ़ाहों में
फिर क्या कहना खूब सुहाना मंजर हो  

किन्तु, यह कोई सुझाव नहीं है. बस आपसी समझ की साझेदारी है. विश्वास है, आप मेरे कहे को अन्यथा न लेंगे. मगर ये जरूर कहूँगा कि इस ग़ज़ल के कई अश’आर अभी और ऊँची उड़ान पे जाना चाहते हैं.

सन्नाटे में कोई सरगोशी सी है 
जैसे गहरी साँसो का मद्धम स्वर हो
वल्लाह !! .. उम्दा खयाल !!!
शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 13, 2014 at 7:54pm

आदरणीय विजय निकोर सर आपका हार्दिक आभार

Comment by vijay nikore on July 13, 2014 at 4:38pm

गज़ल बहुत अच्छी बनी है... दाद देता हूँ ... ऐसे ही लिखते रहें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 13, 2014 at 12:06pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 13, 2014 at 12:06pm

आदरणीया राजेश दीदी आपका हार्दिक आभार

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 13, 2014 at 9:34am

बहुत ही सुंदर गजल आदरणीय शिज्जू जी

मेरी बातों का सीधा दिल पे असर हो

गर सुनने का इक तेरे पास हुनर हो..............खुबसूरत, दिली बधाइयाँ लीजियेगा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2014 at 8:42pm

शिज्जू भैया ,बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई सभी अशआर एक से बढ़ के एक हैं |आप ऊपर मात्रा मापनी में जहाँ छूट ले सकते हैं उसे ओब्लिक करके इंगित कर देते तो नव ग़ज़ल कारों के समझने के लिए आसान हो जाता | आपको दिली दाद इस शानदार ग़ज़ल पर| 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 10, 2014 at 9:45pm

आदरणीय गिरिराज सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया रचना को समय देने के लिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service