For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"तड़ाक !"

थप्पड़ बड़े जोर का था और साहब की उतनी ही तीखी आवाज़

"खाने में फिर बाल , दिखाई नहीं देता तुमको "|

बाई भी सहम गयी और सोचने लगी कि कल तो मेमसाब कह रहीं थीं कि कैसा मर्द है तुम्हारा, तुमको पी कर पीटता है , और साहब ने तो आज पी भी नहीं है | 

 ( मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 16, 2014 at 1:06am

आभार सौरभ पाण्डेयजी..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 2:40am

अभी-अभी आपकी उस लघुकथा से गुजर रहा था जहाँ स्वतंत्रता दिवस के माहौल पर हम अटपटे हुए जारहे थे. कि, सामने यह लघुकथा आ गयी.  और सच कहूँ तो यह कथा अपने माहौलके कारण ही विश्वसनीय तथा मुखर बन गयी है.
एक अत्यंत सार्थक, सोद्येश्य तथा सटीक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें, आदरणीय विनय जी.
शुभ-शुभ

 

Comment by विनय कुमार on July 9, 2014 at 9:08pm

आभार सुभ्रांशुजी एवम जवाहरलाल जी..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 9, 2014 at 8:58pm

आखिर मर्द की मर्दानगी तो पत्नी पर ही दिखलाई पड़ती है… अत्यंत छोटी लघु कथा पर सन्देश बड़ा 

Comment by Shubhranshu Pandey on July 9, 2014 at 8:24pm

आदरणीय विनय जी,

सुन्दर कथा. बाई की सोच ने कथा को और भी विस्तार दिया है...बधाई.

सादर.

Comment by विनय कुमार on July 9, 2014 at 7:51pm

आभार विजय निकोरेजी |     

Comment by vijay nikore on July 9, 2014 at 3:29pm

लघु कथा अच्छी लगी। बधाई।

Comment by विनय कुमार on July 7, 2014 at 6:41pm

शुक्रिया अरुणजी..

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 7, 2014 at 3:22pm

वाह आदरणीय विनय भाई जी थप्पड़ वाकई जोरदार और असरदार है मजा आ गया दिल से बधाई स्वीकारें.

Comment by विनय कुमार on July 7, 2014 at 12:31pm

आभार रवि प्रभाकरजी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
5 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service