For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहमुकरियाँ-36 से 50/कल्पना रामानी

३६)

प्यारा लगता उसका साथ।

रोज़ मिलाता मुझसे हाथ।

बने हमकदम अपना मान,

क्या सखि साजन?

ना सखि लॉन!

37)

जब से वो जीवन में आया।

रोम-रोम में प्यार समाया।

खिले फूल सा महका तन-मन,

क्या सखि साजन?

ना सखि, यौवन!

38)

सखी! रात खिड़की से आया।

फूँक मारकर दिया बुझाया।

चैन लूट ले गया ठगोरा,

क्या सखि साजन?

नहीं, झकोरा!

39)

उससे जुड़े हृदय के तार।

मुझे बुलाता बारंबार।

बोल सुरीले, सुमधुर टोन,

क्या सखि, साजन?

ना री, फोन!

40)

उससे मेरी रातें रोशन।

संग जागता रहता बन-ठन।

रूठे तो मन करता धक-धक

क्या सखि साजन?

ना सखि, दीपक?

41)

बार बार वो झाँका करता।

घंटों मुझको ताका करता।

रंग-रूप ज्यों एक नगीना,

क्या वो साजन?

ना, आईना!  

42)

जहाँ रहूँ वो रहता याद।

मन-आँगन उससे आबाद।

वो मेरा सच्चा मनमीत,

क्या सखि साजन?

ना सखि, गीत!

43)

जब तब वो उपदेश सुनाए।

कर न सकूँ जो मन में आए।

शाश्वत प्रेम सिखा हिय जीता,

क्या सखि प्रेमी?

ना सखि, गीता!

44)

चाहे देखूँ बरसों बाद।

नज़र पड़े सब आए याद।

कैसे भूलूँ वो है खास,

क्या सखि प्रियतम?

ना, इतिहास!

45)

आते जाते नज़र मिलाता।

स्वागत में बाहें फैलाता।

घर गुलशन का वो है राजा,

क्या सखि साजन?

ना, दरवाजा!

46)

जब नैया हिचकोले खाए।

बुज़दिल बढ़कर पास न आए।

हँसे दूर से, करे इशारा,

क्या सखि, साजन?

नहीं, किनारा!

47)

जब से उसने नाता जोड़ा।

पल भर को भी हाथ न छोड़ा।

सत्य कहूँ सखि मैं ना झूठी,

क्या वो साजन?

नहीं, अँगूठी!

48)

जाने कौन दिशा से आया। 

मुखड़ा चूमा प्यार जताया।

सखि, मैं हो गई लालम-लाल,

क्या सखि साजन?

ना री गुलाल!

49)

इंतज़ार में उसके रीते।

गिन-गिन दिवस महीने बीते।

आन रंग दी चुनरी-चोली,

क्या सखि साजन?

ना री होली।

50)

अगर करे वो मुझसे बात।

दिखने लगती दिन में रात।

मादकता भर जाती अंग,

क्या सखि साजन?

ना सखि, भंग।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 572

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on March 27, 2014 at 10:01pm

आदरणीय सौरभजी, आपकी सराहना से लगता है लिखना सार्थक हुआ। आपका हृदय से आभार।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 27, 2014 at 3:26pm

सामान्य संज्ञाओं को कह-मुरियों के माध्यम से आपने जैसा काव्य-कौतुक किया है वह प्रशंसनीय ही नहीं अनुकरणीय भी है.

सादर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by कल्पना रामानी on March 21, 2014 at 11:17pm

आदरणीय प्रदीप जी, आ॰ नादिर जी, आ॰ चौथमल जी, आ॰ विजय जी, शशि जी, प्रोत्साहित करने के लिए आप सबका हार्दिक धन्यवाद।/सादर

Comment by shashi purwar on March 19, 2014 at 7:09pm

वाह बहुत सुन्दर  कल्पना दीदी बधाई

Comment by विजय मिश्र on March 19, 2014 at 4:00pm
वाह ! सधुवाद कल्पना दीदी
Comment by विजय मिश्र on March 19, 2014 at 4:00pm
वाह ! सधुवाद कल्पना दीदी
Comment by chouthmal jain on March 17, 2014 at 10:50pm

सुन्दर सी वह कहे मुकरियाँ।
चुनती है वो ऐसी कड़ियाँ।
सब ही चाहे जिसको पढ़ना।
क्या वो सपना ?नहीं कल्पना !

कल्पना रमानी जी ,बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई।

Comment by नादिर ख़ान on March 17, 2014 at 8:06pm

आदरणीया कल्पना जी सभी मुकरियाँ लाजवाब हैं ....

अलग अलग सुंदर दृश्य आपने दिखाये बहुत बढ़िया ...

Comment by Pradeep Kumar Shukla on March 17, 2014 at 2:23pm

bahut hi khoobsoorati se rachi gayin paheliyan, badhai Kalpana ji

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
yesterday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service