For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सामने से गुज़र रही है

भीड़

हाथों में हैं झंडे

केसरिया

हरे

 

शोर बढ़ता जा रहा है

झंडे

हथियार बन गए हैं

जमीन लाल हो रही है

 

यह अजीब बात है

झंडे चाहे जिस रंग के हों

जमीन लाल ही होती है

      -  बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on March 14, 2014 at 8:03pm

आदरणीय सौरभ जी, आपका हार्दिक आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 14, 2014 at 7:20pm

आपकी प्रस्तुत रचना एक वाद के सापेक्ष अपनी सार्थकता स्थापित करती दीखती है. अतः मेरा कुछ कहना अनुमन्य नहीं होगा. शायद.

झंडों या राष्ट्रभक्ति या पारंपरिक अस्मिता की अवधारणा को नकारती एक पूरी जमात खड़ी की गयी है, उस मानसिकता द्वारा जो स्वयं अपना ’झंडा’ उठाये एक समय से उनके विरुद्ध लाल-पीली होती रही है.
शुभ-शुभ
 

Comment by बृजेश नीरज on February 23, 2014 at 2:52pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on February 23, 2014 at 2:52pm

आदरणीय लक्ष्मण जी, राम शिरोमणि भाई आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on February 23, 2014 at 2:51pm

आदरणीय नीरज भाई, श्याम नारायण जी आप दोनों का बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on February 23, 2014 at 2:50pm

आदरणीया वंदना जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 23, 2014 at 7:59am

बहुत सुंदर गहन रचना, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय बृजेश जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 22, 2014 at 7:03pm

सुन्दर भाव लिए रची रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री बृजेश नीरज जी, सच्चाई यही है कि -

केसरिया झंडे लिए 

या फिर पहने 

केसरिया बाना 

धरती को तो 

होना है लाल ही ! 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 4:44pm

गागर में सागर, आदरणीय भाई बृजेश जी  ,हार्दिक बधाई आपको  //सादर

Comment by Shyam Narain Verma on February 22, 2014 at 3:05pm
बहुत उम्दा ... बहुत बहुत बधाई...............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service