For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

महा-उत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |
पिछले 39 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 40

विषय - "तितली जुगनू फूल पतंगा"

आयोजन की अवधि- शनिवार 8 फरवरी 2014 से रविवार 9 फरवरी 2014 की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति. बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो.
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 8 फरवारी 2014 दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें


मंच संचालिका
डॉo प्राची सिंह
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 13747

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीया राजेश कुमारीजी ,

रचना की  प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद, 

आदरणीय अखिलेश भाई साहब, प्रस्तुति पर बधाई किन्तु ये दोहें आपकी क्षमता के अनुरूप नहीं हो सके हैं, सादर .

आदरणीय गणेश  जी,  

हार्दिक धन्यवाद , आप ठीक कह रहे हं , पिछले कुछ दिनों से काफी व्यस्त था। 

सुन्दर दोहे है आदरणीय  बहुत बधाई। … सादर 

आदरणीय राम भाई जी,  

हार्दिक धन्यवाद , 

वाह हर दोहा शानदार.....................

लहराती शम्मा जलकर, प्रियतम को भरमाय।

ये पतंगे बेचारे, चाल समझ ना पाय॥

 

अंतिम दोहे में प्रवाह भी बाधित है और मात्रायें भी विधान से ज़रा भटकी हुई..............

शम्मा जल कर रात भर, प्रियतम को भरमाय 

परवाना नादान है, चाल समझ नहिं पाय ................चलेगा क्या भाई साहब ?

कल मिलने का आपसे, मिला मुझे सौभाग्य 

ओबीओ से कल रहा,इसीलिए वैराग्य  

आदरणीय , 

शम्मा जल कर रात भर, प्रियतम को भरमाय 

परवाना नादान है, चाल समझ नहिं पाय ....

सुंदर संशोधन के लिए हार्दिक धन्यवाद।  

आदरणीय अरुण भाई,

मुलाकात अच्छी रही, मन में था आभास ।

ओ बी ओ से कल रहा, मेरा भी सन्यास ॥

आदरणीय अखिलेश जी सुंदर दोहे बहुत बधाई । 

आदरणीया, 

हार्दिक धन्यवाद।

छंदमुक्त : तितली जुगनू फूल पतंगा
==================
लौट आये दिन अचानक
खो गये थे.
मानता हूँ रात थी
फिर तम घना था
किन्तु नक्षत्रों में कितनी सहमति सी हो गयी थी 
अनमनाते दिन अचानक कुनमुनाये,

लौट आये.
आज से जीयें चलो !

फूल-कलियों से
मुलायम सोच ले कर
धमनियों के रक्त को आवाज़ दें
गंध को विस्तार दें
बस प्यार जीयें
तितलियों की आस का आधार लें
पुलकनों में स्वर्ण-किरणों को बटोरे
एक पल में पार कर सदियाँ इकट्ठी..
आज से जीयें चलो !

रात्रि की उन्मुक्तता पर
मौन थे दिन
क्लांत आँखों में चमक अब रोपते हैं
सिहरनों से बालते उत्साह-आशा की अवलियाँ
कौंधती द्युतिमान रेखा खींच कर !
रह-रह अनावृत वक्ष पर इस रात के
उत्सव मनाते जुगनुओं से
अर्थ पाये हौसलों के ये बढ़े
तिल-तिल कढ़े..
आज से जीयें चलो !

टेर में नम भाद्रपद की आवृति थी
स्वप्नजीवी आँख की भाषा नरम थी
जो सदा बेबात अक्सर भीगती थीं - ओ भले दिन !
अब तमन्ना है
अधर से सूर्य छूलें
बह चलें मिलजुल दिशाएँ भेदते सब
उंगलियों में धुँध की कूँची सँभाले
रौशनी की हो सतत रचना अबाधित
प्रात-आशा को उगाते चित्त-पट पर
आज से जीयें चलो !

क्या हुआ मन खौलता ज्वालामुखी है
पर हृदय में दीवटा ही मान पाये
लौ रहे मंथर.. शलभ* हम, अर्थ पायें,
सत्य के आयाम जीते पूर्ण हो जीवन

बढ़ें हम !
कर्म अपना
उत्स उन्नत धर्म का जब पा रहा हो
आज से जीयें चलो.. !!
*******
--सौरभ
*******

*शलभ - पतंगा
(मौलिक और अप्रकाशित)

फूल-कलियों से 
मुलायम सोच ले कर 
धमनियों के रक्त को आवाज़ दें 
गंध को विस्तार दें 
बस प्यार जीयें 
तितलियों की आस का आधार लें 
पुलकनों में स्वर्ण-किरणों को बटोरे 
एक पल में पार कर सदियाँ इकट्ठी.. 
आज से जीयें चलो ! 

अदरणीय सौरभ सर एक और नायाब रचना के लिए दिली मुबारकबाद .... 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
59 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service