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रहने दो - (रवि प्रकाश)

रहने दो
मुक्ता-माला
जटाजूट
चाहे दे दो।
बहने दो
यौवन-हाला
गरल-घूँट
चाहे दे दो॥
तुम रखना
मधुशालाएँ
कालकूट
मुझको देना।
तुम रचना
जयमालाएँ
भस्म-भूत
मुझको देना॥

पा लेना
आधार तुम्हीं
निराधार
चाहे दे दो।
गा लेना
गौरव-गाथा
व्यथा-भार
चाहे दे दो॥
चूर करो
मंज़िल मेरी
चकफेरी
फिर मुझको दो।
दूर करो
बंसी-वीणा
रणभेरी
फिर मुझको दो॥

थोड़े से
रोड़े पा कर
असंभाव्य
रच डालूँगा।
अपनी ही
पीड़ा गा कर
महाकाव्य
कर डालूँगा॥
कुछ तिनके
देना मुझको
महासिन्धु
तर डालूँगा।
दे देना
केवल शीर्षक
चरम बिंदु
कर डालूँगा॥

मौलिक व अप्रकाशित॥

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Comment

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Comment by Ravi Prakash on October 8, 2013 at 7:58pm
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया आ॰ गीतिका जी।
Comment by वेदिका on October 6, 2013 at 2:33pm

बहुत सशक्त रचना हुयी है|

आपकी रचना  महेश अनघ जी का नवगीत  'बटवारा कर दो ठाकुर' की याद दिला गयी|

Comment by Ravi Prakash on October 3, 2013 at 12:01pm
धन्यवाद आ॰ सौरभ जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 3:03am

बढिया प्रयास हुआ है,  भाई.

बधाई..

Comment by Ravi Prakash on October 2, 2013 at 9:04am
इतना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए सभी सुधी जनों का कोटिश: धन्यवाद । कृपया मार्गदर्शन करते रहें।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 1, 2013 at 4:11pm

आ० रवि प्रकाश जी 

पंक्ति पंक्ति , शब्द शब्द आत्मविश्वास से परिपूर्ण... बहुत सुन्दर कथ्य 

प्रवाह भी बहुत सुन्दर... सिर्फ एक बात ..यदि हर बंद में समतुकांतता निर्वाह हुआ होता तो अभिव्यक्ति नवगीत के शिल्प अनुरूप होती.

इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 1, 2013 at 2:38pm

वाह वाह आदरणीय रवि जी वाह

सुन्दर प्रवाह से भरी शिल्प में कासी हुई रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें

वाह वाह वाह

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 1, 2013 at 1:14pm

आदरणीय रवि प्रकाश भाई बेहद सुन्दर सशक्त प्रवाहमयी रचना बधाई स्वीकारें.

Comment by विजय मिश्र on October 1, 2013 at 1:01pm
अपूर्व ,हूंकार प्रशंसा से परे .ईश्वर सबमें यही शीलता भरें , विश्व कल्याण का पथ प्रशस्त हो .रविजी ! आत्मीय अभिनन्दन और आभार भी .
Comment by Ravi Prakash on October 1, 2013 at 11:34am
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद गीत जी। आशीर्वाद बनाए रखें॥

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