For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी दिन - (रवि प्रकाश)

किसी दिन अचानक
रौँदे गए सपने
बवाल तो करेंगे।
जिन्हें हाशिए पर
धकेला है ज़बरन
सवाल तो करेंगे।

धमनी में जम कर
हुआ है जो पत्थर
बहेगा धमाके से।
सड़ी अर्गला से
उकताई खिड़कियाँ
खुलेंगी धड़ाके से।

जिस्म की रेत से
हज़ार बाँह वाले
निकलेंगे आबशार।
भरेंगे किनारे
मन की मरुभूमि पे
झूलेंगे देवदार।

कसकेगी कविता
जब पीड़ा व पीड़ित
रहेंगे एकाकार।
रचेगा नवगीत
अनुष्टुप भी अभीत
छाती का व्यथा-भार।

अस्फुट ध्वनियों में
किसी दिन अनायास
विस्फोट हो रहेगा।
घटाटोप जो है
नयनों में अंततः
बड़वाग्नि सा दहेगा।

घिसी वर्णमाला
चुक जाएगी जभी
नए भाव उमड़ेंगे।
होगा आलोड़न
और अतिचारी के
जमे पाँव उखड़ेंगे॥

मौलिक व अप्रकाशित।

Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on September 29, 2013 at 2:30pm
सराहना के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद!!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 28, 2013 at 1:53am

भाई रविप्रकाशजी, आपकी कविता ने एकदम से ध्यान खींचा है.  बहुत-बहुत बधाई आपको इस सुन्दर प्रयास पर..
आपसे और सुनने की इच्छा है..
शुभेच्छाएँ

Comment by Ravi Prakash on September 25, 2013 at 8:34pm
आ॰ नीरज जी, हार्दिक धन्यवाद।
Comment by बृजेश नीरज on September 25, 2013 at 7:51pm

वाह! बहुत अच्छी रचना! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Ravi Prakash on September 25, 2013 at 3:02pm
धन्यवाद आ. विजयश्री जी।आपकी सराहना से उत्साह मिला॥
Comment by vijayashree on September 25, 2013 at 1:43pm

किसी दिन अचानक
रौँदे गए सपने
बवाल तो करेंगे।
जिन्हें हाशिए पर
धकेला है ज़बरन
सवाल तो करेंगे।

बहुत खूब रवि प्रकाश जी 

Comment by Ravi Prakash on September 25, 2013 at 6:29am
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद सारथी जी।
Comment by Saarthi Baidyanath on September 24, 2013 at 10:54pm

शुरुआत बेहद कमाल का हुआ है ....लाजवाब साहब 

किसी दिन अचानक
रौँदे गए सपने
बवाल तो करेंगे।
जिन्हें हाशिए पर
धकेला है ज़बरन
सवाल तो करेंगे।.....क्या शिल्प है ...नमन सहित :)

Comment by Ravi Prakash on September 24, 2013 at 10:16pm
धन्यवाद अनुराग जी। आशीर्वाद बनाए रखें॥
Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 24, 2013 at 5:41pm

ना रोको इस लावे को बह जाने दो , नए युग की शुरुआत का आगाज यही है ! बहुत बहुत बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
16 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service