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आज दिनांक १६ सितम्बर २०१३ के ''दैनिक जागरण'' साहित्यिक पुनर्नवा में मेरी कविता ''बर्फ'' -

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Comment by Abhinav Arun on September 19, 2013 at 4:16am

आ. महिमा जी आभार आपने उत्साह बढ़ायाकविता को मान दिया !!

Comment by MAHIMA SHREE on September 18, 2013 at 10:59pm

बहुत ही खुबसूरत बधाई आदरणीय ...

Comment by Abhinav Arun on September 17, 2013 at 7:45pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय श्री अखिलेश जी . आभारी हूँ उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु

1

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 17, 2013 at 7:04pm

24 शब्द 24 कैरेट के बराबर है , हार्दिक बधाई अभिनव अरुण जी।

कई कई तहों के बीच........ तुम मुझ में पिघल जाना, मैं तुझ में बिखर जाऊं ।  ..... सादर ।

Comment by Abhinav Arun on September 17, 2013 at 5:59am

आभार आ. गीतिका जी आप सी संवेदनशील रचनाकार का अनुमोदन हर्षित करने वाला है !

Comment by वेदिका on September 16, 2013 at 9:02pm

आहा! बहुत खूब अभिव्यक्ति ...सम्पूर्ण! 

Comment by Abhinav Arun on September 16, 2013 at 2:53pm
आ. श्री गिरिराज जी आभार बहुत बहुत स्नेह मिलता रहे यही कामना है
Comment by Abhinav Arun on September 16, 2013 at 2:52pm
आदरणीया राजेश जी आपका हार्दिक आभार रचना की सराहना के लिए शुक्रिया
Comment by Abhinav Arun on September 16, 2013 at 2:52pm
आपके स्नेह सानिध्य का प्रतिफल है अग्रज श्री सादर प्रणाम ... अरसे पहले भेजी थी ये कविता ऐसी कवितायेँ तो नेट पर ही लिखकर भूल जाता हूँ घर में सिर्फ ग़ज़लों का रिकार्ड है :-) . मेकिंग जारी है और मेरे मेंटर आप ही हैं ..अनुज अरुण का प्रणाम सादर !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 16, 2013 at 10:01am

सुन्दर कविता के लिये बधाई , आ0 अरुण जी !!

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