For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शक करने का काम

 

वो शक करता है

हर मिलने-जुलने वालों पर

और अपने गुर्गों द्वारा

करता रहता पड़ताल

कहीं कोई भेदिया तो

बदल कर भेस 

घुस आया हो

उसके आभा-मंडल में....

 

वो शक करता है

अपने दरबारी, सिपहसालारों पर

चमचों-चाटुकारों पर

इसीलिये कुछ को देता रहता है सज़ाएँ

कुछ को पुरस्कार

कुछ का तिरस्कार....

 

वो शक करता है

खास अपनों पर भी

कहीं बन तो नही रही

कोई गुप-चुप योजना

उसके निजाम के खिलाफ

उसके ऐशो-आराम के खिलाफ...

 

उसे पिलाई गई है घुट्टी ऐसी

कुल मुलाकार देखा जाए

तो खाने, अघाने, गुर्राने, चिल्लाने

डकारने, पादने,

खुश होने जैसे महत्वपूर्ण काम

निपटाने के लिए ही तो

लिया है उसने जन्म

इस धरा पर....

और हाँ,

शक करने वाला काम तो

सबसे महत्वपूर्ण है

वरना डोल जाएगा

उसका सिंहासन.....

Views: 413

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 4:02pm

शक बेशक बड़े काम की  चीज है 

घुटते रहो खुद भी घुटाते रहो सभी को 

ये नींद हराम करने की चीज है 

सादर बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 26, 2013 at 11:49am

भाई श्री अनवर सुहैल जी, आपका यह शाकी इंसान हर किसी पर ही नहीं, बल्कि अपने आप पर भी शक करता होगा 

शाकी दिमाग का व्यक्ति घर को ही ताला लगा कर नही, बल्कि अपने दिमाग पर भी ताला लगाए रखता होगा

शक करने वाले पर लिखी गयी नितांत यथार्थ बयान करती रचना के लिए हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 26, 2013 at 10:16am

आदरणीय अनवर जी 

यदि व्यक्ति विशवास करना नहीं सीखता....तो वो कभी जिन्द्दगी जी ही नहीं सकता और न ही दूसरों को जीने देता है...

खुद भी अनजाना बोझ ढोता है और दूसरों को भी बोझ तले ही दबाये रखता है..... ऐसी वैचारिकता एक अभिशाप ही है, जो इंसान को इंसान से बेबात विलग कर दे, इंसानियत पर ही प्रश्नचिन्ह लगाए ऐसे निराधार शक पर लिखी गयी इस सार्थक  अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई 

सादर. 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 26, 2013 at 7:54am

आदरणीय अनवर सुहैल साहब सादर, सच है जब अयोग्य व्यक्ति के हाथ राजपाट आ जाए तो उसे सर्वाधिक चिंता उस सिंहासन की ही रहती है. सुन्दर रचना कर्म पर कोटिशः बधाई स्वीकारें.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 25, 2013 at 8:04pm

कमजोर नीव पर मकान बनाने वाले हमेशा डरते रहते है की कब आंधी तूफ़ान आ जाये और उनका कमजोर मकान गिर जाए, इसीलिए वो हर पल शक के घेरे में रहते हैं , बढ़िया रचना, आदरणीय अनवर सुहैल साहब । 

Comment by ram shiromani pathak on April 25, 2013 at 12:25pm

आदरणीय उच्च कोटि का  कथ्य और सटीक व्यंग  ///// हार्दिक बधाई आपको 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 25, 2013 at 10:12am

आ0 अनवर सुहैल जी, सर जी, ऐसे लोग ही अतिडरपोक होते हैं। तभी तो वे दूसरों पर गुर्राते रहते हैं। अतितीक्ष्ण कटाक्ष। बहुत बहुत बधाई स्वीकारें। सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 25, 2013 at 12:44am

जिन इकाइयों को इंगित कर रचना अपनी बात करती गयी है वो इकाइयाँ पिछले दरवाजे से या फिर बलात् ही समाज के सिर-कान्धों पर लद जाती रही हैं. सदा-सदा से !  कभी धार्मिक ठेकेदारों के नाम पर, कभी शासक के नाम पर, कभी नीतिज्ञ के नाम पर ! ये इकाइयाँ अकर्मण्य़ जीवन का संपोषक हुआ करती हैं. यह भावना परिवार के सदस्य जैसी इकाई में है तो किसी समुदाय विशेष पर भी हावी है जिससे वह स्वयं को अन्य समुदायों के सापेक्ष सबसे श्रेष्ठ समझने लगता है. 

आपकी रचनाधर्मिता बहुत ऊँची है आदरणीय अनवर भाईजी.  बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें. यह अवश्य है कि बेलाग होने के बावज़ूद कविता की अपनी सीमा होती है. यों, आपने कविता की सीमा को बेहतर निभाया है.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
17 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service