For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 गरमी आ गई भाईया

सूरज आंखे तरेर रहा ले, हाथो मे अग्नि बाण ।

बिना कवच जो निकले बाहर, ये हर लेगा उसके प्राण ।

की गरमी आ गई भाईया । की ढुंढो ठंडी छाईँया ॥

 

गन्ना लस्सी और शिकंजी, नीबू पानी के लग गये ठेले ।

भुल गये सब चाय की चुस्की, पीके ठंडा हर कोई बोले ॥

की गरमी आ गई भाईया । की ढुंढो ठंडी छाईँया ॥

कैसे गुजरे रात बिन, पंखा कूलर लगाये ।

खुले गगन के नीचे तो, मच्छर गीत सुनाये ।।

की गरमी आ गई भाईया । की ढुंढो ठंडी छाईँया ॥

गमछा टोपी बांध के, घर से कदम बढाये।

लगे नजर जो सुरज की ,वो खाटिया से चिल्लाये ॥

की गरमी आ गई भाईया । की ढुंढो ठंडी छाईँया ॥

 

पना मठ्ठा छाछ से, गरमी पास न आये ।

देख प्याज को पास मे, लू भी बौरा जाये ॥

की गरमी आ गई भाईया । की ढुंढो ठंडी छाईँया ॥

 

भरे कटोरा नीर से,  देख पशु पक्षी हर्षाये ।

दे आशीष आप को , और यही गीत दोहराये ॥

की गरमी आ गई भाईया । की ढुंढो ठंडी छाईँया ॥

कहे बसंत आप से, कहना मेरा मान ।

पीये पानी खूब रखे, खानपान का ध्यान ॥

की गरमी आ गई भाईया । की ढुंढो ठंडी छाईँया ॥

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2013 at 8:16pm

आदरणीय बसंत नेमा जी सादर, सुन्दर शिक्षाप्रद रचना. ग्रीष्म में रहन सहन और खान पान के बदलाव पर जोर देती सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकारें.

Comment by बसंत नेमा on April 22, 2013 at 10:12am

आदरणीय कुंती जी, केवल जी , लक्षमणजी एव प्राची दीदी ...  कविता को मान देने के लिये  बहुत बहुत धन्यवाद ,,, आप लोगो की हौसला अफजाई आंगे बढ्ने की प्रेरणा देता रहेगा ........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 18, 2013 at 8:33pm

ग्रीष्म ऋतु के आगमन का एहसास समेटी सुन्दर रचना के लिए बधाई आ० बसंत नेमा जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 18, 2013 at 10:13am

आपके उपयोगी सुझाव मान्य, सभी सदस्यों को मान्य होना और अमल में लाना चाहिए 

सब अपने स्वास्थ्य का ध्यानं रखे | बसंत नेमा जी ने ठंडक पहुचाई, बधाई 

Comment by coontee mukerji on April 18, 2013 at 2:51am

बहुत सुंदर प्रस्तुति है नेमा जी , इसमें ठंडक के साथ साथ कुछ उपाय भी है जो रचना  को सजीवता प्रदान कर रहा है . आप को  बहुत 2

बधाई . सादर कुंती

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 17, 2013 at 8:19pm

आ0 बसन्त नेमा जी,  बहुत सुन्दर ज्ञानपरक। बधाई स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service