For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आपको धोखा हुआ होगा

महंगाई ने  कमर तोड़ दी, बेरोजगारी ज़िन्दगी लील गयी होगी

जनता के सेवक हो ,पर मदद की उम्मीद, आपसे करेंगे,आपको धोखा हुआ होगा


चारा खा गया, कोयले खिला रहा होगा, खेल खेल में खेल कर गया होगा

वो वफादार  देश के लिए मर मिटेगा ,आपको धोखा हुआ होगा


जनता का सेवक हूँ जी जान लगा दूंगा , गिडगिडा  रहा होगा

आँख कुर्सी पर माँ  का पल्लू पकडे, देश सेवा को मचलेगा ,आपको धोखा हुआ होगा


पडौसी जवानों के सिर काट ले गया,  आंसू छलक आया होगा  

26 जनवरी को  मिसाइलों, तोपों के  जुलूस  मे वीरता का धोखा हुआ  होगा  

पीठ लहूलुहान थी  पर उसने सीने से  लगा रखा था

वो कायर कभी भी  मेरा दोस्त  रहा था , आपको धोखा हुआ होगा


वो नफरत की आग में लाशों के ढेर बिछा  रहा होगा

शान्ति  की बातें करता है , कभी  अपना था, आपको धोखा हुआ होगा


हजारों राह से गुजरे ,मदद ना की ,वो  रोते रोते सड़क पर मर गयी होगी

जनाजे में सभी गए , तीया कराकर  लौटे  ,इंसानियत का  वास्ता दिया होगा


हत्या ,बलात्कार ,चोरी ,डकैती हमारे सामने कोई करे हमें क्या ,

हम मजबूरी के मारे  इन्सान हैं , मदद करेंगे, आपको धोखा हुआ होगा

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2013 at 4:14pm

धोखे पर सुन्दर अभीव्यक्ति के लिए बधाई -

कही धोखा हुआ होगा - धोखा ही धोखा है 

ठगी सी रची जनता, नेता का तो खाना-पीना, उठना बैठना सब लगा धोखा है 

वोट मांगे समय वास्यदे  करना, फिर वादा न निभा, लूटना धोखा है -उनके लिए पांच वर्ष का मौका है

 

Comment by vijay nikore on April 16, 2013 at 2:48pm

दिलीप जी,

 

// हजारों राह से गुजरे ,मदद ना की ,वो  रोते रोते सड़क पर मर गयी होगी

जनाजे में सभी गए , तीया कराकर  लौटे  ,इंसानियत का  वास्ता दिया होगा //

आपने बिलकुल सही कहा है... यही तो हो रहा है .. अभी १२ घंटे हुए जयपुर रोड का

समाचार यहाँ USA में TV पर सुना .. मन बहुत ही दुखी हुआ।

इस अभिव्यक्ति के लिए बधाई।

विजय निकोर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 16, 2013 at 1:38pm

क्या बात है आदरणीय बहुत सुंदर
लाजवाब अभिव्यक्ति हुई है सच से सामना कराती
बहुत बहुत बधाई स्वीकार कीजिए

Comment by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on April 16, 2013 at 11:51am

बहुत बहुत बधाई.. इतनी सशक्त अभिव्यक्ति...

    "हत्या ,बलात्कार ,चोरी ,डकैती हमारे सामने कोई करे हमें क्या,

    " हम मजबूरी के मारे  इन्सान हैं , मदद करेंगे, आपको धोखा हुआ होगा.. "

जवाब नहीं. रचना का भी... हमारी संवेदन हीनता का भी... जैसा रात दिन घट रहा है, कभी दिल्ली तो कभी जयपुर..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 10:41am

वर्तमान परिपेक्ष्य में ऐसे धोखे ही आमआदमी जीते चला जाता है...

आक्रोशपूर्ण अच्छी रचना के लिए बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2013 at 9:31am

आपको धोखा हुआ होगा .....जी सही बात है , कही न कहीं हम सभी धोखे में ही हैं, रचना अच्छी है, कथ्य बढ़िया है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय । 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 15, 2013 at 11:17pm

चारा खा गया, कोयले खिला रहा होगा, खेल खेल में खेल कर गया होगा

वो वफादार  देश के लिए मर मिटेगा ,आपको धोखा हुआ होगा...........वाह! क्या शिकार किया है.

आदरणीय डॉ. दिलीप मित्तल जी सादर सुन्दर रचना प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
28 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
50 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
54 minutes ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
56 minutes ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
57 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service