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मुक्तिका: तनहा-तनहा संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:
तनहा-तनहा
संजीव 'सलिल'
*
हम अभिमानी तनहा-तनहा।
वे बेमानी तनहा-तनहा।।

कम शिक्षित पर समझदार है
अकल सयानी तनहा-तनहा।।

दाना होकर भी करती मति 
नित नादानी तनहा-तनहा।।

जीते जी ही करी मौत की
हँस अगवानी तनहा-तनहा।।

ईमां पर बेईमानी की-
नव निगरानी तनहा-तनहा।।

खीर-प्रथा बघराकर नववधु  
चुप मुस्कानी तनहा-तनहा।।

उषा लुभानी सांझ सुहानी,
निशा न भानी तनहा-तनहा।।

सुरा-सुन्दरी का याचक जग 
भांग-भवानी तनहा-तनहा।।

'सलिल' संजोये प्यास-आस पर 
श्वास भुलानी तनहा-तनहा।।

***

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2012 at 8:25pm

आदरणीय आचार्य जी, बहुत ही उम्दा भाव, बहुत ही खुबसूरत मुक्तिका, बधाई हो |

Comment by sanjiv verma 'salil' on December 4, 2012 at 8:26pm

arun ji

bahut - bahut abhar.

Comment by Abhinav Arun on December 4, 2012 at 7:43pm

आदरणीय श्री ! जीवन दर्शन का निचोड़ है इस मुक्तिका में हर बंद रहस्यों के कई किवाड़ खोलता , सीख देता !! हार्दिक साधुवाद आचार्य श्री !!

Comment by sanjiv verma 'salil' on November 16, 2012 at 3:56pm

अशोक जी, लक्ष्मण प्रसाद जी, वीनस जी, सौरभ जी, पीयूष जी
आपकी गुणग्राहकता को नमन.

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on November 16, 2012 at 7:47am

बहुत सुन्दर आदरणीय.......बधाई स्वीकारें !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2012 at 6:56am

हिन्दी की मात्राओं का बखूबी इस्तमाल ! वाह !  अंतर्निहित भावों और कहन के लिये विशेष बधाई, आदरणीय.

Comment by वीनस केसरी on November 16, 2012 at 1:13am

वाह आदरणीय रचना में भाषा का ऐसा सुन्दर प्रयोग देखने को मिला कि पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया

विशेष रचना के लिए विशेष बधाई स्वीकारें

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 15, 2012 at 9:36am

ईमां पर बेईमानी की- 
नव निगरानी तनहा-तनहा।

सादर प्रणाम, सुन्दर मुक्तक के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय सलिल जी

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 15, 2012 at 8:31am

परम आदरणीय सलिल जी 

                  सादर प्रणाम, सुन्दर मुक्तक के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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