For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरती दीवारें सूने खलिहान है

गिरती दीवारें सूने खलिहान है
गावों की अब यही पहचान है

चौपालों में बैठक और हंसी ठट्ठे
छोटे छोटे से मेरे अरमान है

जनता के हाथ आया यही भाग्य है
आँखों में सपने और दिल परेशान है

लें मोती आप औरों के लिये कंकड़
वादे झूठे मिली खोखली शान है

हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है
मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2012 at 8:37pm

अच्छी ग़ज़ल, बहुत ही सुन्दर मंजरनिगारी है , गाँव का दृश्य बरबस आँखों के सामने आ जाता है , बहुत बहुत बधाई नादिर साहब |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 11, 2012 at 5:15am

गिरती दीवारें सूने खलिहान है 
गावों की अब यही पहचान है

जनता के हाथ आया यही भाग्य है

आँखों में सपने और दिल परेशान है 

-----------------------------------------

सुन्दर भाव युक्त रचना हेतु बधाई.

Comment by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 4:22pm
बहुत सुन्दर भाव
Comment by नादिर ख़ान on November 20, 2012 at 6:13pm

अदरणीय अशोक कुमार जी तथा अदरणीय डॉ सूर्या बाली जी हौसला अफजायी के लिए आप दोनों का बहुत शुक्रिया ।

अभी सीखने की कोशिश मे लगे है, लड़खड़ातेते कदमों से चल रहे है ।

आप लोगों के कोमेंट्स सहारा देते है।

पुनः  बहुत आभार 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 20, 2012 at 10:51am

"नादिर भाई नमस्कार, हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है , मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है॥ अच्छा शेर  एक अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ कबूल करें ! "

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 20, 2012 at 10:49am

नादार भाई नमस्कार,

हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है , मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है॥ अच्छा शेर 

एक अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ कबूल करें ! 

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 19, 2012 at 8:32pm

बहुत सुन्दर भाव आदरणीय नादिर खान साहब बधाई स्वीकारें.

Comment by नादिर ख़ान on November 17, 2012 at 6:22pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय,  फूल सिंह जी ,संदीप जी,रविकर जी,एवं प्रदीप जी आप लोगों ने कोशिश को सराहा आप सभी का बहुत आभार। 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 2:46pm

गिरती दीवारें सूने खलिहान है 
गावों की अब यही पहचान है

----------------------------------

जनता के हाथ आया यही भाग्य है
आँखों में सपने और दिल परेशान है 

-----------------------------------------

सुन्दर भाव युक्त रचना हेतु बधाई.

Comment by रविकर on November 17, 2012 at 6:12am

बहुत बढ़िया आदरणीय ।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service