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ह्रदय से काला नेता (कुंडलिया )

नेता खुद करते फिरें, इधर उधर की ऐश

दीवाली पर ना मिले, तेल, कोयला,  गैस

तेल, कोयला,  गैस, चूल्हा जलेगा कैसे 

रंक भाड़ में जाय, भरलो  बैंक में पैसे 

वोट दियो पछताय, मनुज अब जाकर चेता 

उजले हैं परिधान, ह्रदय से काले नेता

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 12, 2012 at 3:43pm

हार्दिक आभार फूल सिंह जी आपको भी दिवाली की शुभकामनाएं 

Comment by PHOOL SINGH on November 12, 2012 at 1:14pm

राजेश जी प्रणाम.......

सुंदर अतिसुंदर भावपूर्ण रचना......"सपरिवार सहित आपको शुभ दीपावली"

फूल सिंह

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 12, 2012 at 9:15am

बहुत सुन्दर व्यंगात्मक कुण्डलिया के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 9, 2012 at 3:35pm

हार्दिक आभार प्रदीप कुमार जी आपको आपके परिवार को भी दिवाली की शुभकामनाएं 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 9, 2012 at 1:52pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर अभिवादन 

शानदार रचना. 

दीपावली की सपरिवार शुभकामनाएं. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 9:10pm

सादर आभार सौरभ जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 8, 2012 at 9:05pm

सादर आभार, आदरणीया, कि आपने मेरे कहे का मान रखा.

देखिये, ऐडमिन अपना काम कर गये ..  :-)))


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 8:46pm

प्रिय प्राची जी आपको कुंडलियाँ पसंद आई मेरी लेखनी को उर्जा मिली ह्रदय से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 8:31pm

हार्दिक आभार सौरभ पाण्डेय जी आपकी पारखी नजर के क्या कहने आप बिलकुल सही कह रहे हैं यहाँ काले ही होना चाहिए क्या यह शब्द आप एडिट कर सकते हैं? या मैं फिर से पोस्ट करूँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 8, 2012 at 8:23pm

सुन्दर सटीक सामयिक कुण्डलिया के लिए बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी 

कृपया ध्यान दे...

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