For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मी घर में कैसे आये कुछ टिप्स (हास्य )

दीपावली  की रात से पहले  लक्ष्मी पूजा की तैयारी में लगे पडोसी  जीवन को देख कर नवीन जी से रहा नहीं गया और जा धमके उनके सामने नमस्कार करके बोले जीवन जी आप जो ये छोटे छोटे पैर लाल रंग से बना रहे हैं क्या सचमुच रात को देवी आती है क्या आपने उसको कभी आते हुए देखा ?जीवन बोले हाँ आती है इसी लिए तो बना रहा हूँ तुम ठहरे नास्तिक तुम कहाँ समझोगे | नवीन जी बोले जी नहीं भगवान् को तो मैं मानता हूँ पर इन सब आडम्बरों में विशवास नहीं रखता वैसे आज मुझे बता ही दो ये सब क्या फंडा है ये बात तो मैं मानता हूँ कि हम दोनों एक सी तनख्वा पाते हैं फिर भी मेरा महीना निकलना मुश्किल हो जाता है और तुम्हारा बैंक बेलेंस बढ़ता जाता है बैंक में जब भी मिलते हैं मेरे हाथ में विद्ड्रा स्लिप रहती है तुम्हारें हाथ में  डिपोजिट वाली वो सब कैसे समझ नहीं आता | जीवन जी बोले चल आराम से बैठ सब समझाता हूँ सुन लक्ष्मी को बुलाने के लिए जो टिप्स मैं बताऊँ वो पूरे साल करना और फिर मेरी तरह लक्ष्मी जी के छोटे छोटे पैर रंगोली से बनाना फिर देख तेरे घर में भी लक्ष्मी आएगी नवीन जी ध्यान से सुनने लगे ---जीवन जी बोले देख सबसे पहले सुबह का अखबार पडोसी के उठने से पहले पढ़ डालो और वापस रख दो |अब दैनिक आवश्यकता की सबसे छोटी चीज से शुरू करते हैं जैसे कोलगेट तुम जैसे लोग क्या करते हैं की उसे ख़त्म होने से पहले ही फेंक   देते हो ट्यूब में अगर हाथ से दबाने से निकलना बंद हो जाए तो कोई बात नहीं हथौड़ी से मार मार के निकालो जब तक वो लिज्जत पापड़ जैसी चिनचुटी ना हो जाए  बिल गेट भी  ऐसा ही तो करते थे पहले | अब आते हैं कपड़ों पर आप जैसे लोग जरा से पुराने हुए की उतार कर फेंक दिया अरे यार कम से कम बनाने वाले की मेहनत की ही लाज रख लो तब तक पहनो जब तक उसमे खिड़की दरवाजे न खुल जाएँ अगर खुल भी गए तो कोई बात नहीं परदे डलवालो  कुछ दिन स्टाइल ही सही | लक्ष्मी मित्तल  जी भी पहले ऐसा ही करते थे | अब आते हैं मेहमान वाजी के खर्चों पर तो देखो किसी के घर जाओ तो खाने का समय हो और किसी को अपने घर ऐसे वक़्त पर बुलाओ जब चाय का भी वक़्त ना हो जब वो जाने लगे एक बार जरूर सम्मान के लिए कह देना अरे चाय वाय पीकर जाते,पहले टाटा बिरला भी ऐसे ही करते थे|  आज कल जूते भी बहुत मंहगे हो गए हैं तो उन्हें तब तक पहनो जब तक वे बगावत पर न उतर जाएँ अर्थात उंगलियाँ बाहर के नज़ारे ना देखने लगें और मना करने पर कुत्ते कि तरह काटने ना लगें |

और भाई पेट्रोल डीजल इतना महंगा हो गया है कोई जरूरी नहीं अपना स्कूटर या गाडी रोज निकाल कर चल दो बोलो गाडी खराब हो गई है कोई ना कोई तो लिफ्ट देगा ही फिर उसकी 

गाडी में बैठ कर आराम से बादाम के पैकेट में मूंग फली चबाओ पहले धीरू भाई अम्बानी भी ऐसा ही करते थे | रसोई गैस तो खरीदनी मुश्किल हो गई है बाहर गार्डन में बॉन फायर के बहाने खिचड़ी पकाओ | बच्चे तो पटाखों में पैसे बर्बाद तो करवाएंगे ही बढ़िया उपाय एक बार बड़े बड़े बम ओर अनारों की आडिओ रिकार्डिंग करके रख लो हर साल वोल्यूम हाई करके बजा दीजिये वैसे भी आजकल लोग पूजा की आरती खुद कहाँ गाते हैं | एक बहुत बड़ी टिप्स --किसी को पैसे उधार दो तो २४ घंटे में मांग लो और किसी से उधार लेते हो तो भूल जाओ किसी दिन वो ही याद दिलाएगा तो माफ़ी मांग लो, पहले अजीम  प्रेम जी भी ऐसा ही करते थे   | बस ये समझ लो की अगर दूध में मक्खी गिर जाए तो उसे निकाल फेंकने से पहले उस पर चिपटी मलाई उतार लो | समझ गए न नवीन भाई टिप्स तो बहुत हैं बाकी फिर कभी समझाऊंगा अभी लक्ष्मी जी के पैर बनाने हैं | यह सुनकर नवीन भाई उठकर चलने लगे तो जीवन भाई ने कहा अरे बातो बातो में भूल ही गया चाय वाय तो पीकर जाते |नवीन जी  मुस्कुराते हुए फिर कभी बोलकर मन ही मन बचत की टिप्स रटते हुए जाकर बेटे से बोले जा बेटा तू भी लक्ष्मी जी के  पैर बना ,पर हाय नवीन जी की किस्मत जब सुबह ध्यान दिया तो देखा बेटे जी ने लक्ष्मी जी के पैर घर में आते हुए की बजाय  घर से बाहर जाते हुए बना दिए थे |शुभ शुभ दीपावली

***********************************************************************************************************************************.        

Views: 1092

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 10:09am

हाहाहा प्रिय सीमा जी रिजल्ट अगले साल तक  आएगा लक्ष्मी जी जरूर मनोकामना पूरी करेंगी जय लक्ष्मी देवी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 10:07am

आदरणीय गणेश बागी जी बहुत अच्छा लगा आपने हास्य रस का रसास्वादन किया बहुत बहुत हार्दिक आभार प्रतिक्रिया के लिए जय माता लक्ष्मी 

Comment by seema agrawal on October 24, 2012 at 10:42pm

बहुत सटीक सुझाव दिए हैं .....कई पर तो मैंने काम शुरू भी कर दिया है .....जब इतने नामी -गिरामी लोग ऐसा करते थे तो कोई तो बात होगी न 
बहुत गंभीरता से ले रही हूँ आपकी सारी बातें .. हँसी में बिलकुल भी  नहीं उड़ा रही हूँ ...हार्दिक धन्यवाद    :)

हो सकता है अगली दीवाली तक एक और अम्बानी,टाटा या अजीम प्रेम जी जन्म ले लें 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2012 at 8:58pm

//हाय नवीन जी की किस्मत जब सुबह ध्यान दिया तो देखा बेटे जी ने लक्ष्मी जी के पैर घर में आते हुए की बजाय  घर से बाहर जाते हुए बना दिए थे |//

हा हा हा हा, इस दीपावली पर यह चुटीला नुस्खा बहुत काम का है, देखते है कौन कौन आजमाता है | जय माता लक्ष्मी |

बहुत बहुत बधाई इस हास्य लेख पर |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 22, 2012 at 1:36pm

हाहाहा सही कहा :):):)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 22, 2012 at 1:06pm

लीजिये, लक्ष्मीजी को राह ही नहीं ! देखिये दिल्ली मेट्रोरेल वाले कितने सुघड़ हैं. हर जंक्शन के फ़र्श पर उन्होंने तलवों के चित्र-स्टीकर चिपका रखे हैं, नीला, लाल, बैंगनी, हरा....  मज़ाल कि कोई राह भूल जाये !  :-))))))))


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 22, 2012 at 12:45pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपको टिप्स पसंद आये ह्रदय से आभार ये टिप्स तो हम भी आजमाते हैं पर लक्ष्मी जी गेट से ही लौट जाती हैं इस बार मैं भी पैर जरूर बनाऊंगी बस हर साल वो ही नहीं  बनाती थी इसीलिए शायद लक्ष्मी जी को रास्ता ही नहीं मिलता था 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 22, 2012 at 12:18pm

आवश्यक टिप्स के किये साधुवाद, आदरणीया राजेशकुमारीजी. इस वर्ष इन्हें अमल में लायेंगे और लक्ष्मीजी की कृपा रही तो अगले साल हम भी ’धनी’ बन जायेंगे.. . जय होऽऽऽऽ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 22, 2012 at 9:58am

राज़ नवद्वी जी ख़ुशी हुई जानकार की हास्य रस का रसा स्वादन  करते हुए आप इस कहानी के तल को भी स्पर्श कर आये दिल से शुक्रिया 

Comment by राज़ नवादवी on October 22, 2012 at 7:58am

हास्य और व्यंग्य का बेजोड मिश्रण. एक आम आदमी की मआशी  बेचारगी और एक चालाक आदमी का हकीर (क्षुद्र) सयानापन- अच्छा कंट्रास्ट दिखाया है आपने. बधाई हो आदरणीया राजेश जी! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
13 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service