For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विजय दशमी (तीन दोहे दो रोले )

तीन दोहें....
बाहर रावण फूँक कर ,मानव तू इतराय |
नष्ट करेगा कब जिसे ,उर में रहा छुपाय ||

सच्चाई की जीत हो ,झूठ का हो विनाश |
कष्ट ये तिमिर का मिटे ,मन में होय प्रकाश ||

सत स्वरूपी राम है ,दर्प रूप लंकेश |
दशहरा पर्व से मिले ,यही बड़ा सन्देश ||

दो रोलें...
दैत्यों का हो अंत ,मिटे जग का अँधेरा
संकट जो हट जाय,वहीँ बस होय सवेरा
अपना ही मिटवाय ,छुपाकर अन्दर धोखा
लंका को ज्यों ढाय,बता कर भेद अनोखा

इंसा को दे मार ,अहम् का सर्प विषैला 

मत कर ना विश्वास,बड़ा यह दंश कसैला 
सद्जन उन्नत काम ,यहाँ अक्सर कर जाते 
सच का लेकर साथ ,महा सागर तर जाते      


*****************************************

Views: 823

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on November 1, 2012 at 3:35pm

सुंदर विचारों के साथ लिखी गई असाधारण रचनाएं ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 10:44am

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपको छंद पसंद आया |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 25, 2012 at 10:21am

इंसा को दे मार ,अहम् का सर्प विषैला
मत कर ना विश्वास,बड़ा यह दंश कसैला
सद्जन उन्नत काम ,यहाँ अक्सर कर जाते
सच का लेकर साथ ,महा सागर तर जाते 

वाह ! इन सनातनी पंक्तियों के साथ आपका स्वागत है आदरणीया. गंभीर विचारों को शब्द मिले हैं. बधाई स्वीकार करें.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 9:59am

आदरणीय लक्ष्मण जी दिल से आभारी हूँ आपके उत्साह वर्धन करती टिपण्णी हेतु 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 9:58am

रविकर भाई जी आपके दोहों के सामने मेरी क्या बिसात फिर भी बहुत ख़ुशी हुई आपकी प्रतिक्रिया से हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 9:56am

प्रिय प्राची जी बहुत ही उत्साह वर्धन करती हुई प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अभी दूसरा रोला एड कर रही हूँ प्लीज उसे भी देखें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 9:55am

प्रिय सीमा जी हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 9:54am

आदरणीय गणेश जी हार्दिक आभार आपका आप सही कह रहे हैं ये गलती से हुआ अभी एडिट कर रही हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 9:52am

शालिनी कौशिक जी हार्दिक आभार आपका आपको भी शुभकामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 9:51am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी बहुत अधिक व्यस्तता के चलते बहुत जल्दी में दोहे पोस्ट किये थे जिसमे गलती से रोले का एक ही छंद पोस्ट कर पाई ये गलती अभी देखी कापी पेस्ट करते हुए  हुई |आपका परामर्श सर आँखों पर ह्रदय से आभारी हूँ आपके उत्साह वर्धन हेतु   वो दूसरा छंद अभी पोस्ट कर रही हूँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service