For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कम उमिर में बियाह के फायदा (भोजपुरी व्यंग)
 

ललउ काका आजू खीस में आग भउरा भईल रहन, आपन बड़का लईका के मन भर गाजत रहन, हमरा बात ना बुझाइल त तनी देर उनुका दुवारी पर खाड़ होके सुने लगनी, तब समझ में बात आइल | दरअसल ललउ काका के पोती वंदना जवन एह साल इंटर में पढ़त बिया वोके उ स्कुल से आवत घरी वोकरे स्कुल में पढ़े वाला एगो लईका से बतियावत देख लिहले रहन | बात हमरा बुझा गइल रहे, काका के शांत करावे खातिर हम उनुका से कहनी कि चली काका मंदिर पर पंडी जी तोहरा के बोलावत बाड़न...आ उनुका के लिया के मंदिर के चउतरा पर बईठा दिहनी, फेनु चाह पीया के उनुका से कहनी, "का बात बा काका, काहे खिसियात रहल ह ?"

खिसियाये के बात बा त काहे ना खिसियाई , वन्दनवा के बाप से कहत रहनी कि वन्दनवा के बियाह कर दे पर वोकरा कुछ सुनाव तब नु, आज उ एगो लईका से बतियावत रहल हिया, खाप पंचायत वाला कवनो बुरबक बाडन सन जे कहत बाडन सन कि कमे उमर में लईकिन के बियाह कर देवे के चाहि जेसे लईकिन के बलात्कार ना होई | देख बबुआ हमार त इ कहनाम बा कि खाप पंचायत के हाई कोर्ट लेखा पावर होखे के चाहि अउरो सरकार के चाहि कि सामाजिक सरोकार से सम्बंधित नियम बनावे आ बनल नियमन में संशोधन के अधिकारों खाप पंचायत के मिले के चाहि | 
लेकिन काका कम उमिर में बियाह से त बहुते नुकसानों बा ....कुछो नुक्सान नईखे बबुआ, काका हमार बात बीचे में काटत बोलले, देख बबुआ कम उमिर में बियाह भईला से फायदा ही फायदा बा, लईका-लईकी के पसन् नापसन के समस्या ख़तम हो जाई, दिन प दिन सोना महंगा होत बा, दहेजों बढ़त जात बा, जेतना जल्दी बियाह हो जाई, वोतने कम पईसा में निपट जाई, लईका लईकिन पर बोझों कम पड़ी | अब उ टुनटुनवे के परथोक ले ले, वोकर बाप कमे उमिर में ओकर बियाह करा दिहलस | चालीस साल के उमिर में ही वोकर लईका २३ साल के हो गईल, आ सुननी ह कि कवनों बड़का कंपनी में नोकारियों करत बा, आजू ले टुनटुनवा के बाप वोके आ वोकर परिवार के कमाय- कमाय खियावत रहे आ अब वोकर लईका कमा के खियाई, आ दिनभर टुनटुनवा बाबू बन बईठकबाजी करत बा | बा कि ना, कमे उमिर में बियाह के फायदा ?  
परर काकाआ आ, अररर पररर छोड़ बबुआ हमनी के दुनिया देखले बानी जा, जब लईका १८ साल में वोट देके देश चलवा सकेला त घर ना ?
  • गणेश जी "बागी"
हमार पिछुलका पोस्ट => बात जवन भुलाला ना ( शिक्षक दिवस पर विशेष )

Views: 1552

Replies to This Discussion

परर काकाआ आ, अररर पररर छोड़ बबुआ हमनी के दुनिया देखले बानी जा, जब लईका १८ साल में वोट देके देश चलवा सकेला त घर ना ? 

 आदरणीय गणेश जी आपका यह कटाक्ष भरा आलेख   तकरीबन सारा ही समझ में आ गया है सामयिक व्यंग्य खाप पंचायत को लेकर बहुत ही रोचक अंदाज में लिखा है और ये अंतिम पंक्ति तो कटाक्ष की पराकाष्ठा है बहुत ही मजा आया पढ़ कर बहुत- बहुत बधाई आपको इस शानदार व्यंगात्मक आलेख के लिए 

आदरणीया राजेश कुमारी जी, व्यंग लेखन पर यह मेरा पहला प्रयास है, यदि आप तक सन्देश पहुँच रहा है तो मेरा लेखन सफल हुआ , बहुत बहुत आभार आपका |

बड़ी दम बा.... खासकर हेमें, त अऊरी, 'अररर पररर छोड़ बबुआ हमनी के दुनिया देखले बानी जा, जब लईका १८ साल में वोट देके देश चलवा सकेला त घर ना ? '.............  चापि के बधाई लीं !

सराहना खातिर बहुत बहुत आभार पियूष भाई |

बात त बरियार कइलऽ, ए गनेस भाई. बुला ई कुल्हि बतिया हमार बियहवा के घरिया निकहा कहाइल होखित. उहँ-उहँ.. आहियाहि.. !!

मज़ाक एक ओरे,  आजके हालत आ हालात प बहुत संवेदनशील कलम चलल बा, गनेस भाई.  हमरा ओरि से एह तलफ़त सवालन खातिर खूब बधाई चहुँपो.. .

सौरभ भईया, सराहे खातिर राउर धन्यवाद, कही ना कही इ व्यंग लिखे के पीछे शुभ्रान्शुओ बाबू के प्रेरणा बा, व्यंग लेखन पर इ पहिलुका प्रयास बा, पुनः आभार |

काहे न 

बधाई सर जी 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, आपकी इस इज़्ज़त अफ़ज़ाई के लिए आपका शुक्रगुज़ार रहूँगा। "
35 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ भाई आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी ठीक है *इल्तिजा मस'अले को सुलझाना प्यार से ---जो चाहे हो रास्ता निकलने में देर कितनी लगती…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । ग़ज़ल तक आने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः । "गिर के फिर सँभलने…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ठीक है खुल के जीने का दिल में हौसला अगर हो तो  मौत   को   दहलने में …"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत अच्छी इस्लाह की है आपने आदरणीय। //लब-कुशाई का लब्बो-लुबाब यह है कि कम से कम ओ बी ओ पर कोई भी…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service