For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब्द-तर्पण: माँ-पापा संजीव 'सलिल'

शब्द-तर्पण:
माँ-पापा
संजीव 'सलिल'
*
माँ थीं आँचल, लोरी, गोदी, कंधा-उँगली थे पापाजी.
माँ थीं मंजन, दूध-कलेवा, स्नान-ध्यान, पूजन पापाजी..
*
माँ अक्षर, पापा थे पुस्तक, माँ रामायण, पापा गीता.
धूप सूर्य, चाँदनी चाँद,  चौपाई माँ, दोहा पापाजी..
*
बाती-दीपक, भजन-आरती, तुलसी-चौरा, परछी आँगन.
कथ्य-बिम्ब, रस-भाव, छंद-लय, सुर-सरगम थे माँ-पापाजी..
*
माँ ममता, पापा अनुशासन, श्वास-आस, सुख-हर्ष अनूठे.
नाद-थाप से, दिल-दिमाग से, माँ छाया तरु थे पापाजी..
*
इनमें वे थे, उनमें ये थीं, पग-प्रयास, पथ-मंजिल जैसे.
ये अखबार, आँख-चश्मा वे, माँ कर की लाठी पापाजी..
*
माला-जाप, भाल अरु चंदन, सब उपमाएँ लगतीं बौनी,
माँ धरती सी क्षमा दात्री,  नभ नीलाभ अटल पापाजी..
*
माँ हरियाली पापा पर्वत, फूल और फल कह लो चाहे.
माँ बहतीं  थीं 'सलिल'-धार सी, कूल-किनारे थे पापाजी..
*

Views: 682

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 9, 2012 at 10:20pm

जो हैं वे क्या हैं जब वे नहीं होते तब पता चलता है और फिर बना शून्य उन्हें तस्वीरों की सीमाओं से भी निकाल कर स्मृतियों और फिर अनुमान के जगत में प्रतिस्थापित कर देता है.  आचार्यवर, आपका शब्द-तर्पण सीता द्वारा सैकत-तर्पण की स्मृति दिला गया  --जो बन सका समर्पित किया, सादर किया. आपकी प्रस्तुत संवेदनशील रचना समस्त कृतज्ञ पुत्र की ओर से नमन है.

Comment by sanjiv verma 'salil' on October 9, 2012 at 8:07pm

प्राची जी, संदीप जी आपको रचना रुची तो मेरा लेखन सार्थक हो गया.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 9, 2012 at 1:08pm

आदरणीय सर जी सादर
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति सर जी
ह्रदय से बधाई आपको इस सुन्दर रचना हेतु

Comment by sanjiv verma 'salil' on October 9, 2012 at 10:19am
अजय जी, अशोक जी , श्याम जी, राजेश जी, धर्मेन्द्र जी, सीमा जी
आप सब शब्द तर्पण में सहभागी हुए. . तर्पण कर मैं और मेरी कलम दोनों धन्यता अनुभव कर रहे हैं.
Comment by Ashok Kumar Raktale on October 9, 2012 at 8:14am

परम आदरणीय सलिल जी

                     सादर प्रणाम, बहुत सुन्दर रचना हर पंक्ति अनुपम है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by ajay sharma on October 8, 2012 at 9:59pm

ky kaho nishabbd ho gaya ,  shabd sanyojan , vyanjana , bhav, bimb ,bhasha sab dristikod se baut hi behatreen prastuti

 

Comment by seema agrawal on October 8, 2012 at 7:33pm

अनूठा शब्द तर्पण ...  जीवन  की अनमोल थातीं होती हैं वे  स्मृतियाँ  जिनसे माँ-पिता का साथ जुडा होता है ...बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर कृति के लिए  आदरणीय संजीव जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 6, 2012 at 10:11pm

आदरणीय संजीव सलिल जी,

सादर नमन!

आपकी रचनाओं का हमेशा इंतज़ार रहता है. शब्द भाव तर्पण , माता पिता कि स्तुति में, स्मृति में अभिव्यक्त के गयी उत्कृष्टतम रचना....हर पंक्ति में अखंडित ज़िन्दगी है इस भावांजलि हेतु हार्दिक साधुवाद व बहुत बहुत बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 6, 2012 at 6:00pm

माला-जाप, भाल अरु चंदन, सब उपमाएँ लगतीं बौनी, 
माँ धरती सी क्षमा दात्री,  नभ नीलाभ अटल पापाजी..
बहुत प्रभावशाली पंक्तियाँ माता पिता दोनों के ही साए में  बच्चा  बड़ा होता है दोनों   का ही बराबर महत्व है जो आपकी रचना में भली भाँति उभर कर आया है इस अनूठी  उत्कृष्ट रचना के लिए बहुत बहुत बधाई सलिल जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service