For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -१५ ' का निर्णय

प्रतियोगिता परिणाम: "चित्र से काव्य तक" अंक-१५

नमस्कार साथियों,

"चित्र से काव्य तक" अंक -१५ प्रतियोगिता से संबधित निर्णय आपके समक्ष प्रस्तुत करने का समय आ गया है | हमेशा की तरह इस बार भी प्रतियोगिता का निर्णय करना अत्यंत कठिन कार्य था जिसे हमारे निर्णायक-मंडल नें अत्यंत परिश्रम से संपन्न किया है |

दोस्तों ! लगातार तीन दिनों तक चली इस प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रस्तुत चित्र में मुठ्ठी में रेत भरे हुए एक प्यारी सी मासूम बेटी की फ़ैली हुई ये बाहें देखकर हमारे प्रत्येक सदस्य ने इसे न केवल अपनी गोद में उठा लिया अपितु स्वरचित छंदों के माध्यम से इसे इतना नेह-दुलार दिया कि इस सागर में भी प्यार का ज्वार आ गया|  इसमें आयी हुई ५५६ रिप्लाईज के माध्यम से हमारे छन्द्कारों ने इस चित्र को विभिन्न छंदों के माध्यम से स्वरूचि अनुसार विभिन्न आयामों में चित्रित कर दिखाया है | इस हेतु सभी ओ बी ओ सदस्य बधाई के पात्र हैं|  इस बार की प्रतियोगिता का शुभारम्भ सुप्रसिद्ध हास्यकवि श्री अलबेला खत्री जी की शानदार घनाक्षरी से हुआ| परिणामस्वरूप प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गयी......... तद्पश्चात इस प्रतियोगिता के अंतर्गत अधिकतर  मनहरण घनाक्षरी, दोहा कुंडलिया , वीर छंद आल्हा, मत्तगयन्द सवैया, छप्पय, दुर्मिल सवैया , त्रिभंगी, बरवै, शुद्ध्गा या विधाता, व रूपमाला या मदन छंद आदि अनेक विधाओं में शानदार छंद प्रस्तुत किये गये, पिछली बार की तरह इस बार भी प्रतिक्रियाओं में भी छंदों की कुछ ऐसी रसधार बही कि सभी कुछ छंदमय हो गया|  इस प्रतियोगिता में समस्त प्रतिभागियों के मध्य,   आदरणीय योगराज प्रभाकर , सौरभ पाण्डेय, संजय मिश्र ‘हबीब’, अलबेला खत्री, उमाशंकर मिश्र, अरुण कुमार निगम,   प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा, अविनाश एस बागडे, आदरेया राजेश कुमारी  व संदीप कुमार पाटिल आदि  ने अंत तक अपनी बेहतरीन टिप्पणियों के माध्यम से सभी प्रतिभागियों व संचालकों के मध्य परस्पर संवाद कायम रखा तथा तथा प्रतिक्रियाओं में छंदों का खुलकर प्रयोग करके इस प्रतियोगिता को और भी रुचिकर व आकर्षक बना दिया |  आदि नें भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर मात्र उत्साहवर्धन के उद्देश्य से ही अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ पोस्ट कीं जो कि सभी प्रतिभागियों को चित्र की परिधि के अंतर्गत ही अनुशासित सृजन की ओर प्रेरित करती रहीं, साथ-साथ सभी नें अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से निष्पक्ष समीक्षा व प्रशंसा भी की जो कि इस प्रतियोगिता की गति को त्वरित करती रही | पीछे-पीछे यह खाकसार भी इन सभी विद्वानों की राह का अनुसरण करता रहा.... 

‘प्रतियोगिता से बाहर’ श्रेणी में आदरणीय आलोक सीतापुरी, अरुण कुमार निगम, श्री संजय मिश्र हबीबजी,  आदि की रचनाएँ उत्कृष्ट कोटि की रहीं जिन्हें ओ बी ओ सदस्यों से भरपूर सराहना प्राप्त हुई | आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, के साथ ही आदरणीय प्रदीप सिंह कुशवाहा जी की काव्यात्मक टिप्पणियों ने प्रतियोगिता के उत्साह को न केवल दुगुना किया बल्कि सदस्यों का मार्ग भी प्रशस्त किया. 

प्रसन्नता की बात यह भी है कि यह प्रतियोगिता छंदबद्ध होकर अपेक्षित गुणवत्ता की ओर अग्रसर हो रही है........... संभवतः वह दिन दूर नहीं..... जब ओ बी ओ पर मनचाही विधा में मनभावन छंदों की चहुँ ओर बरसात होगी |

इस यज्ञ में काव्य-रूपी आहुतियाँ डालने के लिए समस्त ओ बी ओ मित्रों का हार्दिक आभार...

प्रतियोगिता का निर्णय कुछ इस प्रकार से है... 

_______________________________________________________________________

प्रथम पुरस्कार रूपये १००१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company 

 इस बार प्रथम स्थान : पर हास्यसम्राट श्री अलबेला खत्री  जी  का मत्तगयन्द सवैया प्रतिष्ठित हुआ है |

 (१)

बांह पसार खड़ी तट ऊपर बाबुल की बिटिया मतवारी
सागर की लहरों पर ख़ूब धमाल मचा कर धूल धुसारी 
मोहक और मनोहर सूरतिया पर मात-पिता  बलिहारी 
शैशव शोभ रहा, मुखमण्डल की छवि लागत है अति प्यारी

--अलबेला खत्री

|

 ___________________________________________________________________

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company  

द्वितीय स्थान ; पर  श्री उमाशंकर मिश्र जी के दोहे विराजमान हैं | 

निकली बन गुड़िया नई, कन्या रूप अनूप|
लहर संग अठखेलियाँ, जननी धरा स्वरुप||  

दोऊ कर माटी धरे, वसुधा खेले खेल|
कहती हँसकर थाम लो, टूटे ना यह बेल||

आदिशक्ति मै मातृका, ले बचपन का बोध|
आऊँगी उड़ती हुई, मत डालो अवरोध||

आँचल में भर लीजिए, मत कीजे व्यापार|
खुशियों से पूरित रहे, सारा जग संसार||

-- उमाशंकर मिश्र

||

 _________________________________________________________________

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१/-  व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House 

 तृतीय स्थान : श्री संदीप पटेल ‘दीप’ के दुर्मिल सवैया को जाता है |

|||

दुर्मिल सवैया

अति सुन्दर कंचन देह दिखे, चमके रवि-जात लगे बिटिया  
बहु पूजित रूप अनूप लिए, धरनी पर मात लगे बिटिया
बस हाथ परी से उठा करवो, छवि देख अजात लगे बिटिया
हर पीर मिटे मुख देख जरा, हँस ले मधुमात लगे बिटिया

-- संदीप पटेल ‘दीप’

 

प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के उपरोक्त सभी विजेताओं को सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई व साधुवाद...

उपरोक्त प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के विजेताओं की रचनाएँ आगामी "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१६ के लिए प्रतियोगिता से स्वतः ही बाहर होंगी |  ‘चित्र से काव्य तक’ प्रतियोगिता अंक-१७ में वे पुनः भाग ले सकेंगे !

 

जय ओ बी ओ!

अम्बरीष श्रीवास्तव

अध्यक्ष,

"चित्र से काव्य तक" समूह

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार

 

Views: 4240

Replies to This Discussion

आदरणीय  सौरभ जी,  आपका स्नेह सर आँखों पर ....बल्कि उससे भी ज़्यादा आत्मिक अनुभूति के  स्तर पर आपके अनमोल शब्द  मैं अंगीकार करता हूँ

मैं स्पष्ट  इसलिए कहता हूँ  आदरणीय क्योंकि  मैं जानता हूँ  सच बोलना पाप नहीं है  और अगर है तो इस  पाप का कोई  बाप नहीं है ....जो  इसे पाप घोषित कर सके  हा हा हा

मैं जानता हूँ कि अभी  मैं  सिखंतड़ू हूँ  और आप लोग आचार्यजन हैं . लिहाज़ा  आपके प्यार  अथवा पुरस्कार को मैं  अपनी मेधा नहीं, आपकी अनुकम्पा के रूप में देखता हूँ..........

__बस यही बना रहे ....और क्या चाहिए........
____________सादर

आदरणीय अलबेला खत्री जी,

आप द्वारा रचित उपरोक्त छंद प्रथम स्थान के सर्वथा योग्य है ......इसके पीछे किसी की कोई भी अनुकम्पा न होकर आपकी सिर्फ और सिर्फ प्रतिभा ही है ..........इस निमित्त पुनः हार्दिक आभार स्वीकारें ........

हमें आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि निकट भविष्य में आपके सहयोग से हम सभी यहाँ पर और भी अधिक प्रफुल्लित वातावरण का सृजन कर सकेंगें |जय ओ बी ओ ! जय हिंद !

सादर

यह कह कर आपने मेरे आत्मबल को संजीवनी  प्रदान की है अम्बरीश जी........

___हालाँकि  कहना मत किसी से, अन्दर ही अन्दर तो मैं भी बहुत ख़ुश हूँ और  मुझे भरोसा भी है  कि  छन्द अच्छा ही था ...परन्तु  आपसे कन्फर्म  कराने का  मज़ा अलग से लेना था इसलिए मैंने वैसा कहा ...हा हा हा

__कैसी रही  ?

जय हो जय हो :-)))))))

"चित्र से काव्य तक" अंक -१५ प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं श्री अलबेला खत्री जी, श्री उमाशंकर मिश्र जी एवं संदीप कुमार पटेल जी को मेरी हार्दिक शुभ कामनाएँ और बधाईया .

आपका स्वागत है मित्रवर

आदरणीय सर जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया और आभार 

आदरणीय डाक्टर साहब  सूर्य बाली जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद

प्रथम स्थान प्राप्त करने पर हास्यसम्राट श्री अलबेला खत्री जी को, द्वितीय स्थान  के लिए श्री उमाशंकर मिश्र जी को दोहे के लिए, और तृतीय स्थान : श्री संदीप पटेल ‘दीप’ के दुर्मिल सवैया  के लिय  पुरस्कृत  होने पर हार्दिक  बधाई | वास्तव में उच्च स्तरीय  रचनाए पढने को मिली उसके लिए उनका हार्दिक आभार भी, और पुरस्कृत हेतु हार्दिक धन्यवाद भी | - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर  

स्वागतम मित्रवर !

आदरणीय सर जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया और आभार 

आदरणीय लक्षमन प्रसाद जी आपका  धन्यवाद एवं आभार

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
5 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
46 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
51 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service