For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक पत्र रक्त देवता के नाम

प्यारे रक्त देवता

सादर जीवनदानस्ते!

आपके जीवनदायिनी रूप को नमन करते हुए पत्र प्रारम्भ करता हूँ। अब आप सोचते-सोचते अपना सिर खुजा रहे होंगे, कि आपको इस तुच्छ प्राणी ने भला देवता क्यों कह दिया? देखिए मैं भारत देश का वासी हूँ और यहाँ जगह-जगह थान बनाकर और हर ऐरे-गैरे नत्थू खैरे की मज़ार बनाकर जब पूजा व सिज़दा किया जा सकता है, तो आपको देवता के रूप में स्वीकार करने में भला किसी को क्या आपत्ति होगी? आप देवता तुल्य हैं तभी तो समय-समय पर अपनी लीला दिखाते रहते हैं। कभी आप गुस्से से खौलने लगते हैं, तो कभी रक्त से पानी बन जाते हैं। कभी देश की रक्षा में एक-एक कतरे के रूप में काम आते हैं, तो कभी सड़कों पर बिना-बात में ही बह जाते हैं। अब आपकी शारीरिक संरचना पर बात करें तो रक्त बोले तो आप हमारे शरीर में पाए जाने वाले एक  तरल संयोजी ऊतक हैं, जो रक्त वाहिनियों के भीतर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है तथा शरीर के विभिन्न भागों को जोड़ने का महत्वपूर्ण काम करता है। आपका निर्माण जीव की उत्पत्ति से लेकर जीवनपर्यंत चलता है। आपके रक्तकण तीन प्रकार के होते हैं, लाल रक्त कण , श्वेत रक्त कण और प्लैटलैट्स। लाल रक्त कणों की अधिकता होने के कारण ही आपका रंग लाल दिखाई देता है। लाल रक्त कण  श्वसन  अंगों से आक्सीजन लेकर सारे शरीर में पहुँचाने का और कार्बन डाईआक्साईड को शरीर से श्वसन अंगों तक ले जाने का काम करता है। इनकी कमी से रक्ताल्पा (एनिमिया) का रोग हो जाता है। श्वेत रक्त कण हानिकारक तत्वों तथा बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं से शरीर की रक्षा करते हैं। प्लेटलेट्स रक्त वाहिनियों की सुरक्षा तथा खून बनाने में सहायक होते हैं।

आप मनुष्य के शरीर में करीब पाँच लीटर की क्षमता में उपस्थित रहते हैं। लाल रक्त कणों की आयु कुछ दिनों से लेकर 120 दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी कोशिकाएँ तिल्ली में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में इसका उत्पादन भी होता रहता है। यह बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती।

आपको प्रयोगशाला में नहीं बनाया जाता, बल्कि एक व्यक्ति से लेकर दूसरे व्यक्ति को आपके विभिन्न रूपों (ए., बी., ओ., आर-एच व एच-आर इत्यादि ब्लड ग्रुप) में मैचिंग के बाद चढ़ाया जाता है। आप अनेक परिस्थितियों में जीवनदायक सिद्ध होते हैं, इसीलिए तो रक्तदान को महादान की संज्ञा दी जाती है।
आपकी महत्ता को देखते हुए ही हर बड़े अस्पताल में एक ब्लड बैंक की स्थापना की जाती है, जहाँ से आवश्यकता पड़ने पर आपको लिया जाता है तथा दान किया गया रक्त जमा कराया जा सकता है।
आपको दान करने वाले मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:
(1) स्वेच्छा से रक्त देने वाले जिन्हें स्वैच्छिक रक्तदाता कहा जाता है। इन्हें रक्तदान करने पर एक कार्ड दिया जाता है, जिसे स्वैच्छिक रक्तदाता कार्ड कहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर इसके द्वारा रक्त वापस भी लिया जा सकता है।
(2) अपने मित्रों या संबंधियों के लिए रक्त देने वाले जो कि अपना रक्त किसी मरीज के नाम पर देते हैं। यदि यह रक्त उस मरीज के काम नहीं आता तो वह ब्लड बैंक में जमा कर लिया जाता है।
(3) व्यावसायिक रक्तदाता वे लोग होते हैं जो धन लेकर किसी और के लिए रक्त देते हैं। ऎसा रक्त सर्वाधिक नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि ऎसे लोग अधिकाशतः हेपेटाइसिस, सिफिलिस अथवा एच.आइ.वी. से संक्रमित होते हैं। ऐसे रक्तदाता अधिकांशतः नशे के आदी होते हैं और अपनी नशे की जरूरत को पूरा करने के लिए ही अपना रक्त बेचते हैं।

सामान्यतः आपको उसी व्यक्ति से लिया जाता है, जो कि बिलकुल स्वस्थ हो। जिसकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच हो। जिसका वजन 50 किग्रा से अधिक हो और जिसने कम से कम 12 सप्ताह पहले तक रक्त यानि कि आपको दान में न दिया हो और न ही 12 महीने में किसी से रक्त लिया हो। रक्त देने के स्थान पर किसी तरह का निशान या घाव न हो। हीमोग्लोबिन 12.5 से अधिक हो। शरीर के अन्य अंग भी नियमित काम कर रहे हों। रक्त देने से पहले भरपेट नाश्ता अथवा भोजन किया हुआ हो।

सामान्यतया उन लोगों का रक्त नहीं लिया जाता, जिन्हें आगे आने वाले 12 घंटों में लंबी यात्रा, वायु यात्रा करनी हो अथवा किसी तरह का भारी काम करना हो। साँस की बीमारी जैसे लगातार खाँसी, जुखाम, गला खराब हो, लंबे समय से एंटीबायोटिक ले रहे हों अथवा अस्थमा के मरीज जो स्टीरोइड ले रहे हों। किसी प्रकार का कोई माइनर अथवा मेजर ऑपरेशन हुआ हो। तब कुछ समयावधि तक उस व्यक्ति से रक्त नहीं लिया जाता। दिल के मरीज जो एंजाइना, ब्लॉकेज के मरीज हों। उच्च रक्तचाप के व्यक्ति जिनका रक्तचाप दवाइयों से नियमित हो परिस्थिति के अनुसार रक्त लिया जा सकता है।

हम सभी जानते हैं कि रक्तदान जीवनदान है। फिर भी जाने क्यों रक्तदान करने में हम सभी को नानी याद आ जाती है। जबकि हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचा सकता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना रक्त के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा होता है। उस समय ही हमारी आँख खुलती है और हम उसे बचाने के लिए रक्त का इंतजाम करने के प्रयास में युद्ध स्तर पर जुट जाते हैं। 
हममें से कोई भी अनायास किसी दुर्घटना अथवा किसी बीमारी का शिकार कभी भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षि‍त व सभ्य समाज के नागरिक हैं, सो हमें केवल अपने बारे में ही नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के बारे में भी सोचना चाहिए। तो क्यों न हम सब रक्तदान के पावन कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें और लोगों को जीवनदान दें। 
लोग आपको दान करने की भावना विकसित करें इसी कामना के साथ रक्तदानीय नमस्कार

आपको दान देने को तत्पर

एक भारतीय रक्तदाता 

Views: 840

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on June 21, 2012 at 5:37pm

अलबेला खत्री जी, प्रदीप जी, रेखा जी, सुरेन्द्र जी और राजेश कुमारी जी आप सभी का टिप्पणियों हेतु आभार...

http://www.facebook.com/authorsumitpratapsingh


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 20, 2012 at 10:14pm

बहुत ही अच्छा सन्देश परक लाभकारी प्रस्तुति 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 20, 2012 at 8:46pm
प्रिय सुमित जी रक्त के बारे में इतनी ढेर सारी जानकारी देने के लिए आभार ...उपयोगी ...लोगों के काम आएगा ...बधाई 
भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on June 20, 2012 at 7:00pm

सुमित जी ,रक्त के बारे में जानकारी देता हुआ अच्छा आलेख ,बधाई |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 20, 2012 at 3:58pm

जानकारी प्रदान करता सुन्दर लेख , बधाई 

Comment by Albela Khatri on June 19, 2012 at 8:37pm

raktdaan

mahadaan

_____jai ho !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
16 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
20 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
1 hour ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
19 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service