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भारत बन्द महोत्सव.........

पप्पू ने पूछा पापा,
ये भारत बन्द क्या होता है ?
पापा मुस्कुराया
पप्पू को बताया -

बेटा,
मेरा भारत महान में लोकतान्त्रिक  सरकार है
और भारत बन्द हमारा  राजनैतिक त्यौहार है
जो विपक्ष द्वारा  मनाया जाता है
और पब्लिक को सताया जाता है

जो लोग किसी गरीब के घर में एक दीया तक नहीं जलाते
वे सड़कों पर टायर ट्यूब जलाते हैं
वाहनों पर भी पत्थर ख़ूब चलाते हैं
ट्रेनें रोक रोक के तोड़ फोड़ करते हैं
निशानेबाज़ी बसों पे बेजोड़ करते हैं
जम कर हुडदंग और मनमानी करते हैं
या यों समझो  कि कुछ तूफानी करते हैं
जब थक जाते हैं
तब रुक जाते  हैं


आम आदमी घर में बैठ,  तमाशा देखते हैं
और नेता लोग इस आग में रोटी सेंकते हैं
अहिंसा का आईना  जब चूरा चूरा हो जाता है
तब यह भारत बन्द महोत्सव पूरा हो जाता है


जय हिन्द !

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Comment

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Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 1:51pm

आपकी  सुन्दर  और  सार्थक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार  भाई अशोक कुमार रक्ताले जी........जय हो !

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2012 at 6:54am

अलबेला जी
         सादर,
आम आदमी घर में बैठ,  तमाशा देखते हैं
और नेता लोग इस आग में रोटी सेंकते हैं
अहिंसा का आईना  जब चूरा चूरा हो जाता है
तब यह भारत बन्द महोत्सव पूरा हो जाता है

वाह! बहुत ही सुन्दर रचना.शायद आने वाली पीढ़ी इस तमाशे को बंद कराने में सफल हो. बधाई.

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:33am

आपका  हार्दिक हार्दिक आभार  बागी जी......आपकी  टिप्पणी विशेष  महत्व रखती है

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:30am


धन्यवाद संदीप  कुमारजी........

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:26am

आपकी सराहना सर आँखों पर  रेखा जी..........शुक्रिया

Comment by Rekha Joshi on June 2, 2012 at 8:24pm

आम आदमी घर में बैठ,  तमाशा देखते हैं 
और नेता लोग इस आग में रोटी सेंकते हैं 
अहिंसा का आईना  जब चूरा चूरा हो जाता है 
तब यह भारत बन्द महोत्सव पूरा हो जाता है,Albela ji bahut stik vyng Bhaart bandh pr ,badhai 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2012 at 6:58pm

कहाँ रह गया पीछे मैं इसको पढने में
बहुत खूबसूरत रचना सर जी
एकदम सटीक व्यंग हैं बंद करने वालों पर
बधाई हो आपको साहब


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 2, 2012 at 6:01pm

//जो लोग किसी गरीब के घर में एक दीया तक नहीं जलाते
वे सड़कों पर टायर ट्यूब जलाते हैं//

बिलकुल सटीक बयानी, मैने आज तक किसी भी आम आदमी को स्वतः अपनी दुकानों को बंद करते नहीं देख, वह तो लफंगों के डर से अपनी दुकानों को बंद करता है |बधाई इस अभिव्यक्ति पर |

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 1, 2012 at 9:59pm

प्रिय अलबेला जी

भारत बंद पर आपकी कविता बहुत अच्छी है इसी विषय पर नीचे  क्रम में

मेरी एक व्यंग रचना भारत बंद जरुर पढियेगा हमारे और आपके विचार


लगभग मिलते जुलते हैं ऐसे आपकी सभी रचनाएँ पढ़ने में अलग अलग जायका दे जाती है .....बधाई

Comment by Albela Khatri on June 1, 2012 at 5:07pm

धन्यवाद प्रदीप कुमार  कुशवाहा जी......
प्रयास को आपने  प्रोत्साहन  दिया.......शुक्रिया

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