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Albela Khatri's Blog (50)

हम भी कारोबार करें

मिल कर आँखे चार करें
आजा रानी, प्यार करें

जग पर तम गहराया है
भेद इसे, उजियार करें

कैसे  कैसे लोग  यहाँ           
छुपछुप  पापाचार करें

नया पैंतरा दिल्ली का
भोजन का अधिकार करें

लीडर तेरा क्या होगा
वोटर जब यलगार करें

चलो यहाँ से  'अलबेला'
हम भी  कारोबार  करें

-अलबेला खत्री
मौलिक / अप्रकाशित

Added by Albela Khatri on August 26, 2013 at 10:00pm — 13 Comments

वे तो हमारी कविता कम सुनते थे हम उनसे हमारी हास्य कवितायें ज्यादा सुनते थे

हिन्दू हृदयसम्राट श्री बाला साहेब ठाकरे के देहावसान से मुझे वैयक्तिक दुःख पहुंचा है . उनकी सुप्रसिद्ध कार्टून पत्रिका मार्मिक के वर्धापन समारोह हों या उनके नाती-नातिन के जन्म-दिवस समारोह, अनेक बार उनके साथ रंगारंग महफ़िलें जमती थीं जिनमे वे तो हमारी कविता कम सुनते थे हम उनसे हमारी हास्य कवितायें ज्यादा सुनते थे . अनेक कवियों की कवितायें उन्हें याद थीं और हू बहू उसी शैली में सुना कर तो वे विस्मित कर देते थे .…

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Added by Albela Khatri on November 18, 2012 at 1:00am — 3 Comments

पाँच दोहे आँसू भरे

राजनीति के मंच पर, चढ़ गए आज दबंग

फूट फूट कर रो रहे, ध्वज के तीनों रंग



गधा जो देखन मैं चला, गधा न मिलया मोय

तब इक नेता ने कहा, मुझसा गधा न कोय



उजली खादी पहन के, करते काले काम…

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Added by Albela Khatri on September 12, 2012 at 9:30pm — 18 Comments

रक्तदान के दोहे



प्यारे मित्रो ! आगामी 17 सितम्बर को तेरा पंथ युवक परिषद् ने द्वारा देश भर में रक्तदान का अभियान आयोजित किया है . एक लाख बोतल रक्त का लक्ष्य है ......उनके इस पुनीत कार्य के समर्थन में मैंने अहमदाबाद के संयोजक श्री सुनील वोहरा और अखिल भारतीय संयोजक श्री राजेश सुराणा के लिए कुछ दोहे लिखे हैं जो वे बैनर्स पर काम लेंगे.......आप भी पढ़ कर बताइये ..कैसे लगे ?



रक्तदान के…

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Added by Albela Khatri on September 6, 2012 at 8:50pm — 4 Comments

तीन सामयिक कह-मुकरियां



निर्दोषों का वह हत्यारा

जन जन ने उसको धिक्कारा

किया कोर्ट ने ठीक हिसाब

क्या सखि अजमल ? नहिं रे कसाब





वो सबका इन्साफ़ करेगा

नहिं हत्याएं माफ़ करेगा

ख़ून का बदला लेगा ख़ून

क्या सखि मुन्सिफ़ ? नहिं कानून 





हुआ आज हर्षित मेरा मन

करूँ ख़ूब उनका अभिनन्दन

काम कर दिया…

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Added by Albela Khatri on August 29, 2012 at 4:30pm — 4 Comments

सलाम राजगुरु !

जंगे-आज़ादी के जांबाज़ सूरमा अमर बलिदानी  राजगुरु के जन्म दिवस  पर आज तिरंगे को सलाम करते हुए तीन कह-मुकरियां  विनम्र  श्रद्धांजलि  के रूप में सादर समर्पित कर रहा हूँ



सब कुछ अपना हार गये वो

प्राण भी अपने वार गये वो

बिना किये कुछ भी उम्मीद

ऐ सखि साधु ? नहीं शहीद !…





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Added by Albela Khatri on August 24, 2012 at 9:59pm — 4 Comments

आओ सम्वाद करें

आओ सम्वाद करें

चमन में मुरझाते हुए फूलों पर

जंगल में ख़त्म होते बबूलों पर

माली से हुई  अक्षम्य भूलों पर

सावन में सूने दिखते  झूलों पर …

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Added by Albela Khatri on August 23, 2012 at 11:30pm — 4 Comments

तीन ताज़ा कह-मुकरियां







बाघ सरीखा जब वह गरजे,

भीडू अक्खी मुम्बई लरजे

राजनीति की नई आवाज़

क्या सखि उद्धव ?

नहीं सखि राज  …





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Added by Albela Khatri on August 22, 2012 at 7:28pm — 12 Comments

भिड़ रही हैं परवतों से राइयां

हाय रे ये इश्क़ की बेताबियाँ

ले रही हैं ज़िन्दगी अंगड़ाइयां



क्या कहूँ इस से ज़ियादा आप को

मार डालेंगी मुझे तन्हाइयां



आजकल मातम है क्यूँ छाया हुआ

सुनते थे कल तक जहाँ शहनाइयाँ



दौर है ये ज़ोर की आजमाइशों का

भिड़ रही हैं परवतों से राइयां



चल पड़ा हूँ मैं निहत्था जंग में

लाज रख लेना तू मेरी साइयां



इक जगह टिकती नहीं हैं ये कभी

मुझ सी ही नटखट मेरी परछाइयाँ



इतनी सुन्दर बीवियां दिखती नहीं …

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Added by Albela Khatri on August 21, 2012 at 10:30am — 37 Comments

ईद मुबारक पर तीन कह-मुकरियां

ईद मुबारक

वो जब आये, धूम मचाये
आँगन आँगन ख़ुशियाँ लाये
सब कहते हैं  ख़ुश आमदीद
क्या सखि साजन ?
नहिं सखि ईद


तन नूरानी, मन नूरानी
सबके घर आँगन नूरानी
चमकदार है इसकी दीद
क्या सखि साजन ?
नहिं सखि ईद

उसकी आमद लगे सुहानी
झूमे नाना झूमे नानी
सारा आलम लगे खुर्शीद
क्या सखि बादल ?
नहीं सखि ईद

 

ईद मुबारक

-अलबेला खत्री 

Added by Albela Khatri on August 20, 2012 at 11:00am — 4 Comments

नौहा समझो तो नौहा, दोहा समझो तो दोहा

पहले से ही त्रस्त हैं, सीधे सादे लोग

मत फैलाओ भाइयो, अफवाहों का रोग



जन जन आशंकित हुआ, नख से लेकर केश

अफवाहों की आँच में, झुलस न जाये देश



देश हमारा  ताज है,  देशधर्म सरताज

जब तक इसकी लाज है, तब तक अपनी लाज



किसके सिर में चल रही, हिंसा की खुजलाट

मुझको गर दिख जाये वो, मारूँ  उसे चमाट



कर्णाटक हो या असम, चाहे महाराष्ट्र

एक हमारी भावना, एक हमारा राष्ट्र 



बीज न बोयें द्वेष का, रखिये मन में नेह

आपस में…

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Added by Albela Khatri on August 17, 2012 at 1:30am — 23 Comments

ओपन बुक्स ऑन लाइन ने दी अलबेला खत्री को एक साथ दो सौगात

मेरे प्यारे मित्रो ! आपको यह जानकार ख़ुशी होगी कि "ओपन बुक्सऑन लाइन" द्वारा आयोजित "चित्र से काव्य तक " प्रतियोगिता में मेरी प्रविष्टि को  प्रथम पुरस्कार मिला है . साथ ही "ओपन बुक्स ऑन लाइन" द्वारा मुझे जुलाई 2012   के लिए महीने का सक्रिय  सदस्य घोषित  करके पुरस्कृत किया गया है . आज ही  प्रमाण-पत्र  और रुपये 2100   का ड्राफ्ट प्राप्त हुआ है . इस ख़ुश खबर को आपके साथ सांझा  कर रहा हूँ......आपकी  दुआ से  आज मैं ख़ूब प्रसन्न हूँ.....



दो दो पुरस्कार  एक साथ मिलने की बात ही अलग है…

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Added by Albela Khatri on August 16, 2012 at 9:30pm — 31 Comments

देशवासियों को बधाई.........सुशील का अभिनन्दन !

हरियाणा के लाल ने दिया ख़ूब परिणाम
सारे जग में कर दिया, हिन्दुस्तां का नाम
हिन्दुस्तां का नाम, रजत कुश्ती में पाया
लन्दन में जा भारत का दमख़म दिखलाया
देशवासियों!आज झूम के ढोल बजाणा
ओलम्पिक में चमका भारत का हरियाणा

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री

Added by Albela Khatri on August 12, 2012 at 7:00pm — 6 Comments

मित्रता दिवस को समर्पित छह दोहे

सारे रिश्ते देह के, मन का केवल यार

यारी जब से हो गई , जीवन है गुलज़ार



मन ने मन से कर लिया आजीवन अनुबन्ध

तेरी मेरी मित्रता  स्नेहसिक्त सम्बन्ध



मित्र सरीखा कौन है, इस…

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Added by Albela Khatri on August 5, 2012 at 1:00pm — 38 Comments

रक्षा-बन्धन के दोहे........



सभी भाइयों और सभी बहनों को  अलबेला खत्री  की ओर से राखी के त्यौहार पर 

लाख लाख बधाइयां और अभिनन्दन !



अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद

रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद



आजा बहना बाँध दे, लाल गुलाबी  डोर

तिलक लगा कर पेश कर, मुँह में मीठा कोर…



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Added by Albela Khatri on August 1, 2012 at 9:47pm — 31 Comments

साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी

पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी

फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी

साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है

साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी

जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है

थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी

मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर

अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी

ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी

यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी

हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली

साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी

रोने से क्या संकट कम हो…

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Added by Albela Khatri on July 26, 2012 at 7:00pm — 38 Comments

चार कह-मुकरियां

मुख मण्डल उसका सतरंगा

सबका भेद करे वह नंगा

आज हि काम का कल बेकार

क्या वह टीवी ? नहीं अखबार



देह है भूरी मुख है लाल

पिछवाड़े से मुँह में डाल

बारिश में हो जाती चीड़ी

क्या वह कीड़ी ? नहिं भाई बीड़ी



रोज़ रात को मुँह में डालूं

चूस चास के पूरा खा लूँ

हाय वो मीठे रस की खान

क्या रसगुल्ला ? नहिं भई पान



गुड़ से ज़्यादा मीठी लागे

उसके पीछे मनवा भागे

नूरी नूरी रौशन रौशन

क्या वह सजनी ? नहीं पड़ोसन …

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Added by Albela Khatri on July 24, 2012 at 10:00am — 10 Comments

नाग पंचमी का त्यौहार है बाबाजी

फिर सावन का सोमवार है बाबाजी

फिर पूजा है, मन्त्रोच्चार है बाबाजी



आज हमारे जन्म दिवस के मौके पर

नाग पंचमी का त्यौहार है बाबाजी



सुबह सवेरे जल्दी उठ कर स्नान करूँ

घरवाली का ये विचार है बाबाजी



बीवी को वश में करने का मन्तर दो

विनती तुम से बार बार है बाबाजी



वोटर का दुःख उसे दिखाई न देगा

जब तक वो  कुर्सी सवार है बाबाजी



उम्मीदों पर बार बार जो वार करे

वही सही उम्मीदवार  है बाबाजी



जूतों की…

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Added by Albela Khatri on July 23, 2012 at 10:00am — 8 Comments

आठ कह-मुकरियां

दांत भींच कर उसे दबाऊं

फिर भी उसको रोक न पाऊं

निकले बाहर लगती फाँसी

क्या सखि खाँसी? नहिं रे हाँसी



कदम-कदम पर उसका  पहरा

आँख का…

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Added by Albela Khatri on July 22, 2012 at 6:00pm — 16 Comments

तुम भीतर तक भर जाओगे बाबाजी

मेहनत से यदि डर जाओगे बाबाजी

जीवन में क्या कर पाओगे बाबाजी



रोते रोते आये  जैसे दुनिया में

वैसे ही तुम घर जाओगे बाबाजी



बाइक पर मोबाइल से मत बात करो…

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Added by Albela Khatri on July 22, 2012 at 10:30am — 18 Comments

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