For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चार कह-मुकरियां

मुख मण्डल उसका सतरंगा
सबका भेद करे वह नंगा
आज हि काम का कल बेकार
क्या वह टीवी ? नहीं अखबार

देह है भूरी मुख है लाल
पिछवाड़े से मुँह में डाल
बारिश में हो जाती चीड़ी
क्या वह कीड़ी ? नहिं भाई बीड़ी

रोज़ रात को मुँह में डालूं
चूस चास के पूरा खा लूँ
हाय वो मीठे रस की खान
क्या रसगुल्ला ? नहिं भई पान

गुड़ से ज़्यादा मीठी लागे
उसके पीछे मनवा भागे
नूरी नूरी रौशन रौशन
क्या वह सजनी ? नहीं पड़ोसन

-अलबेला खत्री

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 25, 2012 at 10:41pm

वाह रक्ताले साहेब.........वाह !

क्या बात है

___आभार

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 25, 2012 at 10:35pm

अलबेला जी
        सादर, सुन्दर मुकरियाँ.बधाई.

भीतर से फिर बाहर लाते,
रोज रोज फिर धार बढाते,
दिल पर घाव करती गंभीर,
क्या यह खुखरी? ना जी मुकरी.

Comment by Albela Khatri on July 24, 2012 at 3:16pm

भाई जी ऐयाँ न करो.....
सीली सीली  रुत म्ह  सिलसिलो बन्द न करो........
सावन बुरो मान जावैगो....हा हा हा

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2012 at 3:06pm

वाह भाई अलबेला जी --हा- हां- हां ३५ वर्ष पूर्व पढ़ी कविता के साथ लेखक की पडौसन वाला चित्र वाकई अति सुन्दर और प्रभावी चेहरे वाला था | पर अब उस लेखक का नाम याद नहीं, उस अंक में आदरणीय तब्बसुम जी की "भोरासा" नमक कविता छपी थी, उनके पास शायद अंक मिल जाए, आपकी तो पहुँच होगी ही |  ना ही धर्मयुग छाप रहा है, कलियुग जो आ गया है | हाँ यह सिलसिला जवान होता जा रहा है |  इस सिलसिले को ख़त्म करते हुए आपको पुनः हार्दिक बधाई |

Comment by Albela Khatri on July 24, 2012 at 2:59pm

धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद
thank you   thank you   thank you
आदरणीय  राजेश कुमारी जी
नम्बर नहीं दूंगा ....चाहो तो मिसेज को ले जाओ.......हा हा हा
___सादर

Comment by Albela Khatri on July 24, 2012 at 2:41pm

हा हा हा हा
आदरणीय  लक्ष्मण प्रसाद जी आपकी याददाश्त गज़ब की है ..३५ साल पुरानी  पड़ोसन की बात याद है तो  पड़ोसन भी तो याद ही होगी...हा हा हा

आपकी पड़ोसन को  हार्दिक बधाई.........
जय हो !
लगता है एकाध कह-मुकरी आप पर भी लिखनी पड़ेगी...हा हा हा
__सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 24, 2012 at 2:25pm
 हास्यरस में डूबी रसगुल्ले जैसी कह्मुकरियाँ और अंतिम तो !!!!अपनी मिसेज का नंबर देदो प्लीज अलबेला जी  !!
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2012 at 2:21pm
 
वाह वाह अलबेला जी, कह मुकरिया लिखने में सिद्धस्त हो रहे हो,
चलो हमें भी तो आनंद आ रहा है : पर आखरी कह मुकर जाना
मुझे ३५ वर्ष पूर्व की धर्मयुग साप्ताहिक में पढ़ी रचना की याद 
ताजा कर गयी -
"चलो सखी ईश दुआ का कुछ तो असर हुआ 
   मेरे न सही, मेरी पडौसन के तो बच्चा हुआ //
-इसे गंभीरता से न ले | हार्दिक बधाई 
Comment by Albela Khatri on July 24, 2012 at 2:11pm

धन्यवाद  भाईजी.......
सादर नमन

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 24, 2012 at 1:24pm

अति सुन्दर प्रश्नावली कह्मुकरियाँ है इतनी सुन्दर आज के परिवेश में रोचक और रोमांटिक भी है

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
19 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service