For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धुंए का शौक लग गया तो ज़िन्दगी गई

आज 31 मई विश्व  तम्बाकू  विरोधी दिवस पर एक  विशेष रचना


सुट्टों ने सोखा जिस्म, सेहतमन्दगी गई
धुंए का शौक लग  गया तो  ज़िन्दगी गई

छुप छुप के पीना छोड़, खुल्लेआम पी रहे
माँ की  लिहाज़,  बाप से शरमिन्दगी गई

गुटखा चबाने वाले की पिचकारी गज़ब थी
धोयी बहुत दीवार, पर न गन्दगी गई

ज़र्दा चबा चबा के मुँह को सन्त कर दिया
अब स्वाद और मसालों की पसन्दगी गई

अलबेलाजी दिन रात खोहों खोहों खांसते
पूजा, हवन,  नमाज़ गई,  बन्दगी गई

जय हिन्द !

Views: 1123

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:00pm
आपका शुक्रिया चन्दन राय जी..........
Comment by chandan rai on June 3, 2012 at 4:06pm
अलबेला जी,
गुटखा चबाने वाले की पिचकारी गज़ब थी
धोयी बहुत दीवार, पर न गन्दगी गई,
संवेदनशील विषय पर खूब लिखा आपने ,
Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 1:53pm

धन्यवाद......अशोक कुमार रक्ताले जी...आपने उम्दा विस्तार दिया

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 1:48pm

सम्मान्य बागी जी,  आपकी सराहना और  हौसला अफज़ाई तो ठीक है लेकिन  'राजाकार" ने तो महफ़िल लूट ली........गज़ब ढा दिया  जी.,.,...मैंने कहा "बल्ले बल्ले"  कर दिया  ..हा हा हा "राजाकार धूम्र पान भूरापश्च स्वेत दंडिका"

मेरे ख्याल से ये आपने  फ़िल्टर  सिगरेट के लिए  फ़रमाया होगा ....अब लगे हाथ ये भी बता दीजिये कि बुड्ढा छाप बीड़ी को इस  दिव्यभाषा में  क्या कहेंगे?          

आपकी दाद सर आँखों पे हुज़ूर....बस आप देते रहिये....जय हो आपकी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 3, 2012 at 11:07am

अलबेला जी एक विषय को सन्दर्भ बना कर बहुत ही प्यारी ग़ज़ल कही है, यह ग़ज़ल मंच लुटने की मादा रखती है, आप सुना कर देखिएगा...तालियाँ न बजी तो कहियेगा और प्रस्तुति के बाद आपके लिए राजाकार धूम्र पान भूरापश्च श्वेत दंडिका अवश्य आपकी खिदमत में हाजिर :-))))))))))) 

बहुत बहुत दाद स्वीकार कीजिये |

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2012 at 6:27am

आदरणीय अलबेला जी,
                              ज़र्दा चबा चबा के मुँह को सन्त कर दिया
                 अब स्वाद और मसालों की पसन्दगी गई
                 और इस पंक्ति को विस्तार दूँ तो फिर अस्पतालों में बाकी की जिंदगी गयी. अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू निषेध दिवस पर आपकी सुन्दर रचना. बधाई.

Comment by Albela Khatri on June 1, 2012 at 12:41pm

aapka khoob khoob  aabhaar Rekha Joshi ji,

aapki sarahna ka shukraguzar hoon.......

Comment by Albela Khatri on June 1, 2012 at 12:03pm
आभारी हूँ "सूरज" जी..........शुक्रिया .....
Comment by Albela Khatri on June 1, 2012 at 10:01am

आपका हार्दिक आभार आशीष जी.........बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by आशीष यादव on June 1, 2012 at 9:14am

बेहतरीन गजल। हास्य का सम्पुट लिये बेहतर सीख दे रही है।
शानदार गजल पर मेरी भी बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service