For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक गाना प्यार का ...

सांस  में सुर सनसनाना प्यार का
ज़िन्दगी है  ताना बाना  प्यार का

मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी
आने वाला है  ज़माना  प्यार का

यों तो हर मौसम का अपना रंग है
पर लगे मौसम सुहाना प्यार का

उफ़ जवानी का ये आलम जानेमन
और उस पर उमड़ आना  प्यार का

चीज  है अनमोल, पर बाज़ार में
नहीं मिलेगा चार आना प्यार का

बैठे ठाले यों ही कुछ कुछ लिख दिया
ख़ुद-ब-ख़ुद बन बैठा गाना प्यार का 

है मुकद्दरमन्द जिसको मिल गया
ज़िन्दगी में गुनगुनाना प्यार का

उस घड़ी मत रोकना "अलबेला" को
जब लबों पर हो तराना प्यार का

_______JAI HIND

Views: 900

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 2, 2012 at 8:14am

वाह वाह अशोक कुमार  रक्ताले साहेब,
बहुत प्यारा अंदाज़ है आपका ....
धन्यवाद

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 2, 2012 at 7:47am

आदरणीय खत्री साहब
                 सादर, बहुत सुन्दर गाया है आपने तराना प्यार का, मन प्रफुल्लित हो गया.
चीज  है अनमोल, पर बाज़ार में
नहीं मिलेगा चार आना प्यार का
आपकी रचना की इन पंक्तियों से मुझे याद आगई अपनी कविता "वाह री सरकार" की कुछ पंक्तियाँ सादर कर रहा हूँ.

देश की साख का टूटता आधार,
चवन्नी बंद रुपया बीमार,
एक सौ तेईस करोड़ का हाहाकार,
जन्मते ही लाखों का उधार,

 

Comment by Albela Khatri on May 31, 2012 at 10:24pm


धन्यवाद महिमाश्री जी,  बहुत बहुत साधुवाद

Comment by MAHIMA SHREE on May 31, 2012 at 10:19pm

यों तो हर मौसम का अपना रंग है
पर लगे मौसम सुहाना प्यार का
चीज  है अनमोल, पर बाज़ार में
नहीं मिलेगा चार आना प्यार का

आदरणीय अलबेला जी .. बहुत ही खूबसूरती से प्यार भरी गज़ल कही .. बधाई स्वीकार करें  

Comment by Albela Khatri on May 31, 2012 at 4:56pm

आपका हार्दिक  आभार योगी सारस्वत जी,
बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Yogi Saraswat on May 31, 2012 at 4:50pm

मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी
आने वाला है  ज़माना  प्यार का

सुन्दरतम शब्द ! बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति , श्री अलबेला जी !

Comment by Albela Khatri on May 31, 2012 at 3:15pm

धन्यवाद  संदीप कुमार पटेल जी......
शुक्रिया सराहना के लिए

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 31, 2012 at 3:00pm

मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी
आने वाला है  ज़माना  प्यार का

बहुत खूब कहा सर जी .....................बधाई स्वीकार करें इस ग़जल के लिए

Comment by Albela Khatri on May 31, 2012 at 2:25pm

श्रद्धेय  सौरभ जी,  आप सबके सान्निध्य से मेरी लेखनी का सतत  परिष्कार होगा . इसी विश्वास के साथ  आपके  स्नेहिल  सद्व्यवहार के लिए साधुवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 31, 2012 at 1:44pm

भाई अलबेलाजी, आप आश्वस्त रहें.  इस खाल उधेड़ने की प्रक्रिया में हम ओबिओ वाले सिद्धहस्त हैं. इससे कोई बच भी नहीं पाता. :-)))

लेकिन इस खाल उधेड़ू प्रक्रिया का उद्येश्य सकारात्मक हुआ करता है. न कि किसी की हिनाई होती है.  भाई, अभी तक तो यही परंपरा रही है कि ओबिओ मंच पर कोई नाम नहीं बल्कि एक रचना ही बोले.  स्तर के अनुसार ही किसी रचना का नीर-क्षीर होता है.

आप मंच पर बने रहे, सारा कुछ स्वयं स्पष्ट होता जायेगा.  आपकी उत्फुल्ल उपस्थिति हम सभी के लिये प्रसन्नता का कारण बनी है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service