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ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉटकॉम सीतापुर चैप्टर के तत्वावधान में सीतापुर में आयोजित ओ बी ओ काव्य समारोह की संक्षिप्त रपट|

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉटकॉम सीतापुर चैप्टर के तत्वावधान में सीतापुर में आयोजित ओ बी ओ काव्य समारोह की संक्षिप्त रपट|

 

महाकवि नरोत्तम दास व डॉ० श्याम सुन्दर मिश्र ‘मधुप’ जैसे महान साहित्यकारों को जन्म देने वाली सीतापुर की पावन भूमि को हमारा नमन है, जिसके हृदय में अट्ठासी हजार ऋषियों की तपस्थली नैमिषारण्य का चक्र तीर्थ अपने मूल स्वरुप में आज भी स्थित है ! संभवतः किसी ईश्वरीय प्रेरणा से ही इस खाकसार के हृदय में यहाँ पर ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉटकॉम सीतापुर चैप्टर गठित कराकर ओ बी ओ के तत्वावधान में एक छोटा सा साहित्यिक काव्य समारोह आयोजित कराने का विचार आया | जिसकी चर्चा जब आदरणीय गणेश जी बागी जी से की गयी तो उन्होंने इसे अनुमोदित करते हुए इस विचार को मूर्तरूप देने का सुझाव दिया | परिणामतः १४ फरवरी २०१२ को वैलेंटाइन दिवस पर सीतापुर स्थित मोहल्ला रोटी गोदाम के अंतर्गत  डॉ० श्याम सुन्दर मिश्र ‘मधुप’ जी के ‘साकेत निवास’ के प्रांगण में स्थित सेंट जेवियर स्कूल में एक काव्य समारोह का आयोजन किया गया !

 

इस काव्य समारोह की अध्यक्षता जे० एल० एम० डी० इंटर कालेज के सेवा निवृत्त भौतिक विज्ञान प्रवक्ता आदरणीय श्री विभूति प्रसाद जी ने की तथा मुख्य अतिथि का पद इलाहाबाद निवासी ओ बी ओ प्रबंध समिति सदस्य आदरणीय श्री राणा प्रताप सिंह जी ने सुशोभित किया |

 

दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ ओ बी ओ सदस्य वीरेंद्र तिवारी की वाणी वंदना से हुआ तथा इस कार्यक्रम का सफल सञ्चालन ओ बी ओ सदस्य आदरणीय श्री दिनेश मिश्र राही जी ने किया |

 

 

इस काव्य समारोह के मुख्य अतिथि राणा प्रताप सिंह जी नें देश की आजादी के रक्षा हेतु सभी का आह्वान करते हुए कहा........

 

बड़ी मेहनत से जो पायी वो आजादी बचा लेना|

तरक्की के सफर में थोडा सा माज़ी बचा लेना| 

बनाओ संग़मरमर के महल चारों तरफ पक्के,

मगर आँगन के कोने में जरा माटी बचा लेना| 

 

सभी श्रोताओं नें अपनी जोरदार तालियों से आदरणीय राणा जी की इन पंक्तियों को अनुमोदित किया यहाँ तक कि एक प्रमुख समाचार पत्र ने मगर आँगन के कोने में जरा माटी बचा लेना को तो अपनी न्यूज की हेड लाइन ही बना डाला

 

कुँवर आलोक सीतापुरी जी नें तो अपने गीतों व मुक्तकों से सम्पुर्ण सभागार में रस की वृष्टि करके सभी जन को आह्लादित कर दिया| उन्होंने कहा...

 

गीत हो तो सितार मिलता है,

लय से हर तार-तार मिलता है,

काम को भूलो खुशी का जश्न करो,

प्यार बाँटो तो प्यार मिलता है ||

 

अम्बरीष श्रीवास्तव ने श्रंगार से अभिसिंचित अपने दोहों व मत्तगयन्द सवैया के माध्यम से कहा ….

 

चंचल चपला चांदनी, चंद्रप्रभा चहुँओर.

चैन चुराये चातकी, चंद्रमुखी चितचोर..

 

मनमौजी मन मंजरी, मुक्त मधुर मधुप्रीत.

मर्यादित मधुमास में, मन मोहे मनमीत..

 

मोहनि मूरति मोद भरी अरु चंचल नैन नचावति सोहैं |

जीवन संगिनी संग फिरें हिय प्रेम प्रतीति लुटावति मोहैं|

आयु पचास के पार भई पर तीर तुणीर चलावति तो हैं|

रीझत मोहत प्रानप्रिया  मन नैनन प्यास बुझावति वो हैं |

 

आदरणीय श्री दिनेश मिश्र ‘राही’ जी नें वैलेन्टाइन डे का स्वागत कुछ इस तरह से करते हुए निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़ीं .....

 

वैलेन्टाइन डे नित नव हर वर्ष खुशी बरसाता है,

हर प्रेम सदा खुशहाल रहे नित प्रीति के पुष्प खिलाता है

 

रिहार से पधारे अम्बिका तिवारी अम्बुज जी ने वसंत का स्वागत करते हुए होली को लक्ष्य करके काव्य रूपी यह पुष्प भेंट किया.....

 

लागि रहा कस रूप कुरूप भई कपि आकृति जी डरपायो,

आई रही रस रंग भरी कास लाल गुलाल धमाल करायो,

कैसी उमंग बसी बसी तव अंग करू हुडदंग नहीं शरमायो,

आई बताइ हमें नंदी कहँ जाई वसंत में अंग रंगायों |  

 

ओ बी ओ सदस्य आदरणीय इं० गोपाल सागर जी नें वर्तमान परिवेश में सामजिक व्यवस्था पर प्रहार करते हुए कहा .....

 

मंत्र का तंत्र अब बदलने लगा,

आदमी, आदमी को छलने लगा|

तेल लालच का इस कदर फैला,

आँधियों में चिराग जलने लगा|

 

ओ बी ओ सदस्य वीरेंद्र तिवारी ने इस प्रेम दिवस पर अपने हृदय की गहराइयों से बहुत ही खूबसूरत गीत पढ़ा .....

 

पलक छूने की कोशिश होठों को इक बार करने दे,

ये चाहत से भरी आँखें इन्हें इकरार करने दे..

 

ओ बी ओ सदस्य जीत गौरव अवस्थी नें अपनी निम्नलिखित पंक्तियाँ ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉटकॉम को समर्पित करते हुए कहा...

 

इसका नशा चढ गया रोम रोम में

जैसे ये शराबी की बोतल शराब है,

कहीं चित्र से काव्य कहीं काव्य से चित्र,

जीत जवाब में ओबीओ लाजबाब है|

 

उन्होंने अवधी को कुछ इस तरह से परवान चढ़ाया...

 

अपने ऑफिस केरि बॉस आन

नेतन के हम तो खास आन ...

 

 

खैराबाद के प्रख्यात शायर रहबर ‘खैराबादी’ ने बहुत ही खूबसूरत तरन्नुम में दो ग़ज़लें पढ़ीं | जिन्हें भरपूर वाहवाही मिली | उन्होंने कहा .......

 

क्या गरज चाँद  तारों की रहबर हमें,

जख्म-ए-दिल है बहुत रोशनी के लिए.

 

आदरणीय अवधेश शुक्ल जी ने ऋतुराज वसंत के आगमन पर अपने खूबसूरत गीत की यह पंक्तियाँ पढ़ीं ....

 

कुंजों में भटक रही फूलों की गंध सी,

याद तेरी महकी गोरी याद तेरी महकी  

 

इस समारोह विशिष्ट अतिथि आदरणीया विनोदनी रस्तोगी ने वसंत का स्वागत कुछ इस तरह से किया ....

 

बीता शिशिर आया वसंत,

स्वागत वसंत स्वागत वसंत.

 

हिन्दी सभा सीतापुर के उपाध्यक्ष आदरणीय श्री चंद्रशेखर शुक्ल ‘चंद्रेश’ जी ने जिंदगी को कुछ इस तरह से परिभाषित किया.....

 

जिंदगी एक अलाव सी सुलगती है

जिसे ठिठुरन से कांपते आश्रित

अपनी फूंकों से जला कर ,लपटें पैदा कर,

कँपकपी  छुटाते हैं

 
   

इस आयोजन में ओ बी ओ सदस्य श्री राजीव गुप्ता, श्री पंकज भटनागर, श्री शिवकुमार पाल व श्री शिवप्रताप जायसवाल आदि नें काव्य पाठ करके समां बांध दिया | इस आयोजन को गति प्रदान करते हुए इस खाकसार व आदरणीय राणा प्रताप जी ने सभा-भवन में उपस्थित जनसमुदाय को ओ बी ओ के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध कराई !

 

इस अवसर पर ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉटकॉम प्रबंधन द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार श्री आलोक सीतापुरी, इं० गोपाल ‘सागर’ व दिनेश मिश्र ‘राही’ को ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉटकॉम पर प्रतिमाह आयोजित ‘चित्र से काव्य तक’ नामक विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने के उपलक्ष्य में अंगवस्त्र व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया |

कार्यक्रम के अंत में डॉ० श्याम सुन्दर मिश्र के दामाद कमल बाजपेयी जी व ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त मो० शहरयार के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्दांजलि अर्पित की गयी !

 

कुल मिला कर इस आयोजन को एक सफल आयोजन कहा जा सकता है |    

--अम्बरीष श्रीवास्तव

सदस्य टीम प्रबंधन

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सम्यक !  समीचीन !! ससंदर्भ !!!

इस रपट ने सीधा आपके आंगन में पहुँच जाने का मार्ग सुलभ करा दिया.  साकार हो गये क्षण सम्मुख !

इस रिपोर्ट हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद एवं कार्यक्रम की सफल सम्पन्नता हेतु पुनः बधाई, आदरणीय अम्बरीषजी.

सादर

स्वागत है आदरणीय सौरभ जी,  आपका हार्दिक आभार!  साथ में उन सभी मित्रों का भी आभार जिनके सहयोग व सौजन्य से यह कार्यक्रम संपन्न हुआ !  जय ओ बी ओ !

सादर

अम्बरीश जी, काव्य समारोह के सफल आयोजन पर आपको बहुत-बहुत बधाई. सीतापुर तो पूरनपुर के इतने पास है...काश मैं इन दिनों वहाँ होती तो ये अवसर हाथ से ना जाने देती..मैं भी इस समारोह का आनंद लेने पहुँच जाती :)) 

स्वागतम आदरणीया शन्नो जी ! आपका तहे दिल से शुक्रिया ! आगे जब भी पूरनपुर आइयेगा तो सूचित अवश्य करियेगा ! :-))

जी जरूर..जब कभी भारत आना हुआ तो आपको सूचित जरूर करूँगी...अम्बरीश जी.

अम्बरीष जी सफल कार्यक्रम के लिए पुनः बधाई स्वीकारें 
कार्यक्रम  की बहुत सुन्दर प्रस्तुति के लिए भी बधाई 

फोटो देख कर कार्यक्रम में न पहुँचने का मलाल और बढ़ गया :(((
अब अगले कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कीजिये ....:))))))

धन्यवाद भाई वीनस जी ! आपने भी तो बेहतरीन आयोजन कराया था ! ऐसे कार्यक्रम और भी जिलों में आयोजित होने चाहिए ! :-))

bilkul ...

aap sabhi ko is safltam kavya goshthi ke liye hardi badhai 

स्वागतम आदरणीया आशाजी ! आपका हार्दिक आभार !

सीतापुर मे काव्य समारोह की सफलता के लिए आप सब को हार्दिक बधाई 

स्वागतम आदरणीया राजेश कुमारी जी ! हार्दिक आभार !

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