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दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्य

कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।
लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन  में  दृढ़  विश्वास ।।

करते  हैं  जो जीत से, लक्ष्यों का शृंगार ।
उनको जीवन में कभी, हार नहीं स्वीकार ।।

आज किया कल फिर करें, लक्ष्य हेतु संघर्ष ।
प्रतिफल है प्रयासों का , लक्ष्य प्राप्ति पर हर्ष ।।

देता है संघर्ष ही, जीवन को उत्कर्ष ।
आज नहीं तो जीत का, कल छलकेगा  हर्ष ।।

सच्ची कोशिश हो अगर, मंज़िल आती पास ।
मिल जाता संघर्ष को, एक नया विश्वास ।।

सोच समझ कर जो करे, लक्ष्यों का संधान ।
जीवित फिर  उसकी रहे, सदियों तक पहचान ।।

मत छोड़ो संघर्ष को, शंकित हो जब जीत ।
कठिन लक्ष्य को भेदना , करे जीत निर्णीत ।।

सुशील सरना / 30-4-25

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey 4 hours ago

कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो सुगढ़ प्रयास  
लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन  में  दृढ़  विश्वास ।।    लक्ष्य-भेद  के  मंत्र  पर,  रखना  दृढ़-विश्वास 

 

करते  हैं  जो जीत से, लक्ष्यों का शृंगार ।            करते जो मनुहार से, पथ-साधन को प्यार 
उनको जीवन में कभी, हार नहीं स्वीकार ।।       उनका जीवन है सहज, जीत मिले या हार  

 

आज किया कल फिर करें, लक्ष्य हेतु संघर्ष ।      
प्रतिफल है प्रयासों का , लक्ष्य प्राप्ति पर हर्ष ।।   छंद के मूलभूत विधान का परिपालन आवश्यक है

 

देता है संघर्ष ही, जीवन को उत्कर्ष ।                 
आज नहीं तो जीत का, कल छलकेगा  हर्ष ।।     आज नहीं तो कल सही, होगा विजयी हर्ष 

 

सच्ची कोशिश हो अगर, मंज़िल आती पास ।       
मिल जाता संघर्ष को, एक नया विश्वास ।।           सही बात 

 

सोच समझ कर जो करे, लक्ष्यों का संधान ।         
जीवित फिर उसकी रहे, सदियों तक पहचान ।।   वाह .. 

 

मत छोड़ो संघर्ष को, शंकित हो जब जीत ।         
कठिन लक्ष्य को भेदना , करे जीत निर्णीत ।।

आदरणीय सुशील सरना जी, आपके प्रयास पर हमने अपनी समझ से कुछ बिन्दु साझा किये हैं. यदि उचित लगे तो उन पर ध्यान दें. मैं पुनः निवेदन करूँगा, जो आपके ही एक पोस्ट पर कुछ दिनों पूर्व किया था. कि, सभी प्रयास प्रकाशन हेतु मुफीद नहीं होते. बल्कि आपके प्रत्येक छंद प्रकाशन पूर्व आवश्यक समय और मनन-मंथन की अपेक्षा करते हैं 

शुभातिशुभ

Comment by Sushil Sarna yesterday

आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव ।सहमत एवं संशोधित सर 

Comment by Ashok Kumar Raktale on Thursday

   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिर भी तीसरे दोहे का तीसरा चरण एक बार पुनः देख लें.  एक सुझाव यह है कि पाँचवे दोहे के तृतीय चरण  'दे जाता संघर्ष को' / मिल जाता संघर्ष को...कर देखें. सादर 

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