For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 172 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा जनाब 'असअ'द' बदायूनी साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

'तमाम उम्र मुझे डूबना उभरना है'
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
1212 1122 1212 22/112

मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन

रदीफ़ --है

क़ाफ़िया:-(अरना की तुक) मरना, करना,धरना,उतरना,गुज़रना आदि ।

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 25 अक्टूबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 26 अक्टूबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 25 अक्टूबर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1324

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय अमित जी मेरा मानना है कि आप बग़ैर आश्वस्त हुए मंच पर कोई चीज़ नहीं करते हैं, साथ ही मेरा यह भी मानना है कि आश्वस्त होने के लिए 100 प्रतिशत आश्वस्त होना काफ़ी होता है, आप ने नज़रिय्या/नज़रिय्य:/ या नज़रीया 1122 को तो एक डिक्शनरी के आधार पर 200 प्रतिशत सहीह मान लिया है जबकि बहुत सारी उर्दू लुग़ात में इस शब्द का उच्चारण नज़रिया 1112 दर्शाया गगया है और वो इसलिए कि उर्दू भाषा में अन्य भाषाओं (अरबी, फ़ारसी वगै़रह) से शामिल किए गये बहुत सारे शब्द हू-ब-हू शामिल नहीं किये गए हैं बल्कि उन्हें मामूली बदलाव के साथ शामिल किया गया है जो उच्चारण और वज़्न आप बता रहे हैं वह मूल अरबी शब्द है जिसे उर्दू भाषा ने "नज़रिया" 1112 के रूप में अपनाया है और इसी रूप और वज़्न पर तमाम अरूज़ियों और शाइरों ने इस शब्द "नज़रिया" 1112 को अपने तमाम कलामों और ग़ज़ल में इस्तेमाल किया है,

यही वजह है कि नज़रिय्य:/ या नज़रीया 1122 के उच्चारण और वज़्न पर चार अशआर भी दस्तयाब होना मुश्किल है जबकि नज़रिया 1112 के उच्चारण और वज़्न पर सैकड़ों अशआर मुस्तनद शाइरों के मौजूद हैं। सादर। 

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी,

जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने में 

लगाते हैं उतना सीखने में लगाएँ तो आपका कुछ भला हो।

ख़ुद आपको आता नहीं और दूसरों को भी गुमराह कर रहे हैं।

साथ ही आप भूल जाते हैं कि हमारे उस्ताद-ए-मुहतरम कौन हैं।

डिक्शनरी का स्क्रीनशॉट आपके लिए था हमें तो कई सालों से

उस्ताद-ए-मुहतरम ने इस शब्द का वज़्न बताया हुआ है।

मेरे साथ बहुत सावधानी से बात किया करें।

मैं आपकी मुँहज़ोरी कतई बर्दाश्त नहीं करूँगा। 

//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी,

जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने में 

लगाते हैं उतना सीखने में लगाएँ तो आपका कुछ भला हो।

ख़ुद आपको आता नहीं और दूसरों को भी गुमराह कर रहे हैं।

साथ ही आप भूल जाते हैं कि हमारे उस्ताद-ए-मुहतरम कौन हैं।

डिक्शनरी का स्क्रीनशॉट आपके लिए था हमें तो कई सालों से

उस्ताद-ए-मुहतरम ने इस शब्द का वज़्न बताया हुआ है।

मेरे साथ बहुत सावधानी से बात किया करें।

मैं आपकी मुँहज़ोरी कतई बर्दाश्त नहीं करूँगा।//

आदरणीय अमित जी, कृपया अपने कथन और शब्दों पर नज़र् ए सानी फ़रमाएँ और चार शे'र किसी मुस्तनद शाइर के नज़रिय्य:/ या नज़रीया 1122 के उच्चारण और वज़्न पर कोट कर दें जिससे सभी का भला हो। 

अगर आप ऐसा कर सके तो मुँहज़ोरी तो क्या करना, मैं आपसे माफ़ी माँगूंगा। 

आदरणीय अमित जी देरी से उत्तर देने के लिए क्षमा चाहती हूँ। आदरणीय ग़ज़ल तक आने तथा इतनी बारीक़ी से अपनी राय रखने के लिए आपका हार्दिक आभार।

//डूबना उभरना?

कश्ती या तो तैरती है या डूब जाती है

विचार करें।//

ऐसे सोचा नहीं था।आपकी बात से सहमत हूँ। इसलिए इस गिरह को ख़ारिज़ करती हूँ।

"हमने/हमको " के संज्ञान हेतु हार्दिक आभार।

आदरणीय 

8

बदल दो तुम नज़रिये ख़्यालात अपने सभी

जो खुल के अर्श प निर्मल तुम्हें विचरना है

इस प्रकार कर दें क्या?

सादर।

1212 1122 1212 22

"बदल दो तुम नज़रिये ख़्यालात अपने सभी".... ये मिसरा बेबह्र है, शिल्प और शब्द विन्यास भी सही नहीं है। 

 जो खुल के अर्श प निर्मल तुम्हें विचरना है

"बदलने होंगे ख़यालात और नज़रिये सब"

आदरणीया रचना जी, अच्छी ग़ज़ल हुई. बधाई स्वीकार करें.
७ पर अमित जी से सहमत.
८ में अभी गुंजाइश है.

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें। 

"बदलने होंगे ख़यालात और नज़रिय्ये" सही शब्द है "नज़रिया" (1112)

मिसरा यूँ कर सकते हैं - 

"बदलने होंगे ख़यालात और नज़रिये अब"

शेष पर अमित जी से सहमत हूँ। 

आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी नमस्कार। आदरणीय ग़ज़ल तक आने तथा अपनी राय रखने के लिए आपका हार्दिक आभार।

अमित जी की टिप्पणी में 8वें का सुधार किया है। देखिएगा।

सादर 

आदरणीय संजय शुक्ला जी हार्दिक आभार।

8वां ठीक किया है 

देखिएगा।

सादर 

आदरणीया रचना जी, 8 सुधार बहर में नहीं है। यूँ कर सकते हैं..... 

"बदल दो तुम नज़रीये ख़याल अपने सभी"

आदरणीया रचना जी नमस्कार

ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिये

गिरह लाज़वाब हुई है

अमित जी , संजय जी की इस्लाह से ग़ज़ल और भी निखर जाएगी

सादर

आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार। आपने बिल्कुल सहीह कहा। ग़ज़ल तक आने के लिए एवं राय रखने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
5 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
7 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service