For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यार कब तक डरा करे कोई.........( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

2122 1212 22/112

यार कब तक डरा करे कोई
मौत का सामना करे कोई (1)

मैं तो उनके क़रीब रहता हूँ
दूर मुझसे रहा करे कोई (2)

मुफ़्त में गर किसी को देना हो
मशविर: दे दिया करे कोई (3)

मयकदे से बताओ ऐ यारो
दूर कब तक रहा करे कोई (4)

क्या ज़मींदोज़ करके मानेगा
और कितना दबा करे कोई (5)

वक्त के साथ भर ही जाएँगे
ज़ख़्म जितने दिया करे कोई (6)

यार "सालिक" की अब ये ख़्वाहिश है
सिर्फ़ उसकी सुना करे कोई (7)

*मौलिक /अप्रकाशित

©सालिक गणवीर

Views: 787

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सालिक गणवीर on February 22, 2021 at 7:09pm

जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत हौसला अफ़जाई के लिए ह्रदय से आभार।सहा क़वाफ़ी वाला शैर हटा दिया है मुहतरम।

Comment by सालिक गणवीर on February 22, 2021 at 7:08pm

भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी 
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत हौसला अफ़जाई के लिए ह्रदय से आभार।

Comment by सालिक गणवीर on February 22, 2021 at 7:05pm

उस्ताद -ए - मुहतरम Samar kabeer साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत ,क़ीमती इस्लाह और हौसला अफ़जाई के मश्कूर -ओ - ममनून हूँ। सहा क़वाफ़ी वाला शैर हटा दिया है मुहतरम।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 22, 2021 at 10:57am

आ. भाई सलिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । 

आ. भाई समर जी के सुझावों से गजल और निखर सकती है , देखिएगा।

Comment by Samar kabeer on February 21, 2021 at 2:33pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ालिब की ज़मीन में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'इससे कब तक डरा करे कोई'

इस मिसरे को यूँ कहें:-

'यार कब तक डरा करे कोई'

'तेरा एहसान है बहुत मुझ पर
बोझ कैसे सहा करे कोई'

इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,

दूसरी बात ये कि बोझ उठाया जाता है,इसके लिये 'सहा' शब्द उचित नहीं ,ग़ौर करें ।

'मयकदा पास में नहीं लेकिन'

इस मिसरे में 'पास' शब्द के साथ 'में' का प्रयोग उचित नहीं होता,यूँ कह सकते हैं:-

'मयकदे से बताओ ऐ यारो'

'वक्त के साथ भर ही जाता है
ज़ख्म फिर से हरा करे कोई'

इस शैर को यूँ कहें:-

'वक़्त के साथ भर ही जाएँगे

ज़ख़्म जितने दिया करे कोई' 

'यार "सालिक" कहा करो कुछ भी'

इस मिसरे को यूँ कहें:-

'यार 'सालिक' की अब ये ख़्वाहिश है'

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 20, 2021 at 6:03pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। रदीफ़ 'करे कोई' के साथ इन्साफ़ नहीं हो रहा है। टाईटल में त्रुटिवश सालिक गणवीर की जगह सालिम गणवीर टंकित हो गया है, देखियेेगा। 

Comment by सालिक गणवीर on February 20, 2021 at 12:34pm

भाई  बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए शुक्रिया अदा करता हूँ

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 18, 2021 at 9:59pm

बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीय....बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
19 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
23 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service