For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जंगल के फूल -सीमा पांडे मिश्रा "सुशी"

आखिर आज शो का दिन आ ही गया| गाँव की चौपाल पर सुरीली तान छेड़ने वाला रामा बहुत घबराया हुआ था| दोस्त के कहने पर, गायकी के शो में जब चयनित होकर आया तो शहर की चकाचौंध देखता रह गया था| होटल के ए सी रूम में उसकी आवाज़ भी बंद हो गयी|

साथी प्रतियोगियों के लिए अजूबा सा रामा, हीन महसूस करता| बस खुसुर-पुसुर और व्यंगात्मक हँसी| लज्जित, अपमानित होकर मन हीनता के बोध से मुरझा-सा गया| उच्चारण और सुर के लिए जो बातें बताई गईं, समझ से परे थीं| बालों का स्टाइल बनाकर, डिजाइनर कपड़े पहनाए गए| असहज हो बार-बार आईना देखता, सब हँसते, वह झेंप जाता|

इमोशनल ड्रामा करने के लिए भी उसे ही कहा गया| कैसे करेगा? उसका स्वाभिमान गरीबी का प्रदर्शन करने को तैयार नहीं था|

नाम पुकारा गया, रामा घबरा गया| ढाक-ढाक-ढाक...धड़कनों की चोट सी पड़ रही थी| देह पसीने-पसीने थी| उसने निर्णय लिया| आँसुओं से भीगा चेहरा लिए वह आया, मंच से उतरा और तेज़ी से आगे बढ़ गया| पीछे की तमाम पुकारों को पीछे छोड़ता हुआ| (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 741

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 9:56am

जंगल के फूल कंक्रीटों में नहीं उगा करते. व्यक्तिगत रूप से मेरा भी ऐसा ही मानना है इसलिए आपके कथानक को मैंने अपने काफी करीब महसूस किया. बढ़िया सन्देश देती इस उम्दा कथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीया सीमा जी.  सादर. 

Comment by Seema Mishra on May 9, 2017 at 12:56pm

 बहुत बहुत धन्यवाद शिज्जू शकूर जी 

Comment by Seema Mishra on May 9, 2017 at 12:54pm

 बहुत  बहुत धन्यवाद आदरणीय प्रतिभा जी 

Comment by pratibha pande on April 26, 2017 at 9:02pm

बहुत  खूब ,चका चौंध का  सच ,  इसी प्लाट पर अपने ब्लॉग में  मैंने भी एक कथा लिखी थी' हुनर बाज'  पर मेरे नायक ने चका चौंध के आगे घुटने टेक दिए थे ,  सकारात्मक अंत लिए आपकी कथा ने प्रभावित किया है ....हार्दिक बधाई आपको प्रिय सीमा जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 25, 2017 at 6:24pm

आ. सीमा मिश्रा जी आपकी लघुकथा रियलिटी शो के सच को उजागर करती है, हालाँकि यही कामयाबी का पैमाना हो गया है, आजकल सिर्फ प्रतिभा ही सबकुछ नहीं होती. बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Seema Mishra on April 25, 2017 at 12:08pm

बहुत धन्यवाद आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी 

Comment by Seema Mishra on April 25, 2017 at 12:07pm

 बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय हरिओम जी 

Comment by नाथ सोनांचली on April 25, 2017 at 7:34am
आद0 सीमा जी सादर अभिवादन, उम्दा कथानक के साथ बेहतरीन कहानी, बधाई
Comment by Hariom Shrivastava on April 24, 2017 at 11:23pm
बहुत सुंदर कहानी आदरणीया सीमा मिश्रा जी।..."उसका स्वाभिमान गरीबी का प्रदर्शन करने को तैयार नहीं था।"..बहुत खूब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service