For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"लाहोल विला कुव्वत! जाने इतनी रात गए कहां आवारगी करता फिरता है ये लड़का।" अम्मीजान की कोशिश के बाद भी जफ़र के रात दूसरे पहर घर में घुसते ही अब्बूजान की आँख खुल गयी और वो बड़बड़ाने लगे।
"कुछ गलत न करे है मेरा ज़फर, अब सारा दिन किताबो में मगजमारी करने के बाद कुछ देर दोस्तों में गुजार ले तो हर्ज ही क्या है?" अम्मी ने उसकी तरफदारी की कोशिश की।
"तो वही जाहिल लोग रह गए है दोस्ती के लिए।" अब्बु ने अम्मी पर तंज भरी नज़र डालते हुए कहा।
"अब्बु अब ऐसे भी जाहिल न है वो लोग।" ज़फ़र चुप न रह पाया।
"तो रतजगा कर के फूटपाथ के लोगों में कौन सा रूहानी इल्म बांटते है तुम्हारे ये दोस्त।" अब्बु की आवाज थोड़ा तेज हो गयी।
"अब्बू आप अपनी पांच वक्ती नमाज में खुदा को पाने की कोशिश करते है ना!" जवाब की जगह ज़फ़र के सवाल से अब्बू के चेहरे पर लकीरे सी खिंच गयी। "तो....!"
"बस!.मैं और मेरे 'जाहिल' दोस्त भी इस हाड़ कंपाती सर्दी में फूटपाथ के लोगो में खुदा की तलाश कर लेते है।" बात पूरी कर ज़फर ने सिर झुका लिया। लेकिन अनायास ही उसके अब्बू का दिल भर आया और उन्होंने लपक कर जफर को गले लगा लिया।

.

"विरेंदर वीर मेहता"
(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 6, 2015 at 11:55pm

तंज कसते तल्खी से भरे अब्बू ने ज़फ़र से कुछ सकारात्मक सुनते झट गले से लगा लिया ! आदरणीय वीर मेहताजी, इस तरह के प्रस्तुतीकरण प्रस्तुतियों को व्यावहारिकता से दूर करते हैं. लघुकथाएँ भी कथाओं का ही प्रारूप हैं. इनमें नाटकीयता का होना आवश्यक है, लेकिन ऐसी नहीं. 

विश्वास है आप मेरे कहे का अर्थ समझ रहे हैं. बाकी, ठीक है. शुभकामनाएँ 

Comment by Nita Kasar on November 26, 2015 at 8:46pm
बेहतर प्रस्तुति के लिये बधाई आद०वीर मेहता जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 26, 2015 at 2:26am
वाह...सब अपनी अपनी जगह सही हैं। बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय वीरेन्द्र वीर मेहता जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2015 at 8:24pm

वाह्ह्ह  शानदार लघु कथा ..बच्चे भले अच्छे काम भी करें पर माँ बाप की चिंता भी जायज है माहौल ही ऐसा है आज देश का |

बहुत-बहुत बधाई आपको आ० वीर मेहता जी |

Comment by TEJ VEER SINGH on November 25, 2015 at 11:40am

हार्दिक बधाई वीर मेहता जी!बेहतरीन लघुकथा!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
1 hour ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
1 hour ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
1 hour ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
3 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
3 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service