For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम तत्व का सार कृष्ण है जीवन का आधार कृष्ण है |

मित्रों गोपियों के विरह को और उनके कृष्ण प्रेम को महसूस करने की कोशिश की है ....... आशा है आपको यह गीत पसंद आएगा 
++++++++++++++++++++++++++++++++++

प्रेम तत्व का सार कृष्ण है जीवन का आधार कृष्ण है |
ब्रह्म ज्ञान मत बूझो उद्धव , ब्रह्म ज्ञान का सार कृष्ण हैं ||

मुरली की धुन सामवेद है , ऋग् यजुर आभा मुखमंडल 
वेद अथर्व रास लीला है ,शास्त्र ज्ञान कण कण बृजमंडल |
अब कौन रहा जो धर्म सिखावन चाह रहे हो उद्धव तुम 
जा कर कह दो निर्मोही को यूँ छोड़ गए क्यूँ कर व्याकुल ||

हे उद्धव आँखों से बहती अश्रुधार से भीगा आँगन 
विरह अग्नि में झुलसा तन बस कृष्ण दरस का चाहे चन्दन 
उस पर तुम ये ब्रह्म सत्य का झूठा आश्वाशन यदि दोगे
सत्य सपथ अपने कान्हा की प्राण त्याग देंगी हम जोगन ||

देखो ये खग मृग जल थलचर इनकी व्याकुलता को जानो 
कृष्ण दरस की लगी टकटकी इनकी आँखों में पहचानो 
देखो गौशाला में कैसी गुमसुम है गौमाता उद्धव 
तुम ठहरे निर्गुण निर्मोही पशुओं की पीड़ा क्या जानो ||

वृन्दावन का देखो कैसे कुम्हलाया मुरझाया उपवन 
गोवर्धन का शिखर झुका है खोज रहा हो ज्यूँ आलंबन 
यमुना की धाराएं देखो भूल गयी है कलरव अपना 
श्याम बिना बेचारी श्यामा भूल गयी है अपना क्रंदन ||

उद्धव क्या मोहन ने कोई पाती नहीं लिखी है हमको ?
उस पाती को गले लगा कर संभव शांति मिले इस तन को 
कुछ बोला होगा अधरों से तुम केवल वो शब्द सुना दो 
मनमोहन को मन में रख कर सुन तो लेंगी प्रियतम को ||

उनको कहना भीगे नयनों से दासी ने किया दंडवत 
चरणों में ही रखते चाहे छोड़ गए क्यूँ करके जडवत 
प्राण नही खो सकते हैं हम प्राणों में भी तुम बसते हो 
रमे हुए हो रोम रोम में सिरहन उठती जब लें करवट ||

उद्धव तेरा ज्ञान कृष्ण है ब्रह्म सत्य भी नाम कृष्ण है 
हम विरहन चाहे अज्ञानी हम सबका अज्ञान कृष्ण है ||............मनोज

Views: 1014

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manoj Nautiyal on February 8, 2013 at 9:45am

bahut bahut Dnanywaad MAHIMA SHREE ji .

Comment by MAHIMA SHREE on February 7, 2013 at 10:41pm

नमस्कार मनोज   जी ..

वाह !!अतीव सुंदर चित्रण ... जिवंत संवाद .. गोपियों की व्याकुलता ..विरह की  पीड़ा कितनी खूबसूरती से आपने प्रस्तुत किया है ... क्या बात है .. प्रेम और विरह की अभिवयक्ति आपके सभी रचनाओं में होती ... और ये रचना आपके  संवेदनाओ को  ऊँचाई प्रदान कर रही  /  बहुत बहुत बधाई आपको प्रेम के आध्यात्मिक अभिवयक्ति के लिए   

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 7, 2013 at 10:22am

भाई राजेश कुमार झा जी एवं आदरणीय सौरभ जी कुछ शब्द जैसे हिंस,दाहक और अनुरनन, करपाया सिखाने की करपा करे तो रचना का आनंद उठा सके| बहरहाल रचना जितनी समझ पाए और विवजनो की टिप्पणी जो बताती है उसके आधार पर बधाई स्वीकारे |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 7, 2013 at 10:02am

हार्दिक बधाई मनौज नोतियाल जी, कृष्ण और गोपियो के मध्य उद्धव की मध्यस्था का प्रयास, गोपियों को समझने का प्रयास के अंतर्गत जो ज्ञान का गर्व उद्धावजी का श्री गोपियों द्वारा तोड़ा हा, जो गोपियों की अदभुत भक्ति देखने को मिली है उसकी सानिध्यमे लिखी यह रचना बेहद पसंद आई | इसको पुनः समय पाकर पढ़कर ही और समझने का प्रयास करूँगा | बहरहाल आपको हार्दिक बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2013 at 9:19pm

बहुत सुंदर भाव मई प्रस्तुति वृंदावन और गोपियों का सजीव चित्रण किया है वाह बधाई आपको

Comment by ram shiromani pathak on February 6, 2013 at 9:10pm

 अतीव सुन्दर! हार्दिक बधाई स्वीकार करें! सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2013 at 9:04pm

विशेष विम्बात्मक रचना है, मैं इत्मिनान से पढ़ूँगा.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on February 6, 2013 at 7:26pm

आध्यात्म और प्रेम की सरिता के प्रवाह में बस बहता चला गया मनोज जी! अतीव सुन्दर! हार्दिक बधाई स्वीकार करें! सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 6:55pm

बहुत ही सुन्दर और सुघर लेखन कर्म के लिए आप निश्चित ही बधाई के पात्र हैं आदरणीय

Comment by vijay nikore on February 6, 2013 at 6:12pm

आदरणीय मनोज जी,

गोपियों की पीड़ा को, भावनाओं को,  अच्छा चित्रित किया है।

बधाई।

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service