221 - 2121 - 1221 - 212
ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये
आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये
क़ुर्बानियाँ शहीदों की भूलेंगे हम नहीं
दिल से कभी हमारे मिटेंगे ये ग़म नहीं
माना वो दर्द हमसे भुलाया न जाएगा
ये जश्न भी ख़ुशी का मिटाया न जाएगा
मिलकर सब एक साथ तिरंगा उठाइये
जय हिंद की सदा से फ़ज़ा को गुँजाइये
ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये
आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये
हमने ग़ुलामियों में गुज़ारी थी ज़िन्दगी
लाखों सरों के बदले में पायी थी ये ख़ुशी
सीने का ज़ख़्म चीर दिखाया न जाएगा
रोकर भी तो ये जश्न मनाया न जाएगा
आँसू को पोंछ फख़्र से सीना फुलाइये
ग़म को किनारे करके ज़रा मुस्कुराइये
ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये
आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये
क़ुर्बान हो गये जो इसी आन-बान को
भारत की शान प्यारे तिरंगे निशान को
हमसे ये क़र्ज़ उनका चुकाया न जाएगा
बलिदान कर गये जो भुलाया न जाएगा
आपस के शिकवे और गिले भूल जाइये
हँसिये सभी के साथ सभी खिलखिलाइये
ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये
आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, रचना पर आपकी उपस्थिति और मनोहर प्रतिक्रिया और उत्साहवर्धन हेतु आभार।
आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। स्वाधीनता पर्व पर उत्कृष्ट रचना हुई है। हार्दिक बधाई।
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।
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