For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने धंधे , अपने तरीके हैं --- डॉo विजय शंकर

धंधे को मान देना ,
धंधे की बात है ।
पेशेवर खिलाड़ियों को मान-ईनाम ,
खुद एक पेशे की बात है ।
सैनिक के शहीद होने को
पेशे से जोड़ना दुःख की बात है ।

लोगों को हिफाजत दे नहीं पाते ,
वो हादसे के शिकार हो जाएँ
तो बड़ी बड़ी शोक सभाएं ,
कैंडल-मार्च निकलवाते हैं ,
और किया तो कोई गली
सड़क उसके नाम करवाते हैं।

प्रतिभा को हम तभी जानते हैं
जब दूसरे कोई विदेशी
पहले उसे पहचानते हैं ,
तब बड़े जोश खरोश से हम
उसे अपना अपना चिल्लाते हैं.

पुरोधाओं को सम्मान देने के
हमारे अपने ख़ास तरीके हैं ,
नेत्र-हीन भिखारी को भीख
नहीं देना होता है तो
सूरदास आगे बढ़ो ,कह कर
हम पुरोधा कवि को सम्मान देते हैं ,
उनके प्रति श्रद्धा-सुमन-समर्पण को
हम यूँ प्रदर्शित करते हैं।

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 566

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on March 3, 2015 at 8:15pm
आदरणीय डॉo विजय शंकर सर ,रचना के भाव मन को झकझोरते है ,सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई आपको ,
Comment by somesh kumar on March 3, 2015 at 7:55pm

कटाक्ष है और बहुत सुंदर है |अलग-अलग पेशेवरों का चित्रण है |खुद को पुरस्कार देना ,जुगाड़-करके पुरस्कार करना .अपना महिमा मंडन करना और दुसरे को हेय समझना यही सब ट हो रहा है |सुंदर और महत्त्वपूर्ण रचना |

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 3, 2015 at 7:51pm
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी, रचना आप को पसंद आई, आभार , आपकी सद्भावनाओं के लिए भी आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 3, 2015 at 7:45pm
आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी, रचना आप को पसंद आई, सफल हुई , आपकी सद्भावनाओं के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 3, 2015 at 7:14pm

प्रतिभा को हम तभी जानते हैं
जब दूसरे कोई विदेशी
पहले उसे पहचानते हैं ,
तब बड़े जोश खरोश से हम
उसे अपना अपना चिल्लाते हैं.-------विजय सर i -------- बहुत सुन्दर विचार i सादर i  

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 3, 2015 at 5:41pm

पुरोधाओं को सम्मान देने के
हमारे अपने ख़ास तरीके हैं ,
नेत्र-हीन भिखारी को भीख
नहीं देना होता है तो
सूरदास आगे बढ़ो ,कह कर
हम पुरोधा कवि को सम्मान देते हैं ,
उनके प्रति श्रद्धा-सुमन-समर्पण को
हम यूँ प्रदर्शित करते हैं।

अति सुन्दर पंक्तिया आदरणीय डॉo विजय शंकर जी ......जीवन के ठोस धरातल पर मनुष्य का ये वयवहार कही न कही मन को जकझोरता  है. 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 3, 2015 at 5:18pm
रचना आपको पसंद आई, आभार, आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 3, 2015 at 5:16pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, रचना के भाव आप तक पहुंचे , सुखद है , आपका आभार, आपकी बधाई एवं सद्भावनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by maharshi tripathi on March 3, 2015 at 4:32pm

लोगों को हिफाजत दे नहीं पाते ,
वो हादसे के शिकार हो जाएँ
तो बड़ी बड़ी शोक सभाएं ,
कैंडल-मार्च निकलवाते हैं ,
और किया तो कोई गली
सड़क उसके नाम करवाते हैं।,,,,,,,,,,वाह !! अत्यंत सुन्दर भाव|

Comment by Hari Prakash Dubey on March 3, 2015 at 2:14pm

 आदरणीय डॉo विजय शंकर सर ,रचना के भाव मन को झकझोरते है ,सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई आपको , मुझे लगता है शिल्प पर और कार्य हो सकता है ,सादर !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service