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कर्म नहीं फल चाहिए - डॉo विजय शंकर

काम नहीं
परिणाम चाहिए।
तथ्य नहीं ,
प्रमाण चाहिए ,
शिक्षा नहीं ,
डिग्री चाहिए ,
डिग्री भी क्या ,
अर्थ तो पद से है ,
फलदार , रौबदार ,
सार्थक पद चाहिए।
पद पर हों तभी तो
सेवा कर पाएंगे ,
मार्गदर्शन कर पाएंगे।
इच्छित , सही दिशा में
ले जा पाएंगे ,
भगीरथ नहीं , अब
सिर्फ रथ के भागी दार हैं ,
रथ पर सवार होंगे
तभी तो महारथी कहलाएंगे।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on June 27, 2016 at 6:32am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , आपकी बधाई के लिए हार्दिक आभार एवं धन्यवाद, सादर.
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 27, 2016 at 6:31am
आदरणीय सतविंद्र कुमार जी , आपकी बधाई के लिए बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद, सादर.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 26, 2016 at 8:59pm

आदरणीय विजय भाई , आज कल हावी मानसिकता को आपने खूब शब्द दिए हैं , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 26, 2016 at 9:07am
आज का सत्य!हमारे इधर हरियाणा में एक कहावत है -जिनके खाण नै दाणे,उनके बोले भी सयाणे।
बहुत बहुत बधाई आदरणीय।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 26, 2016 at 9:05am
आदरणीय राम आसरे जी , आपकी बधाई के लिए आभार एवं धन्यवाद, सादर.
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 26, 2016 at 9:05am
आदरणीय श्याम नरायन वर्मा जी , आपकी बधाई के लिए आभार एवं धन्यवाद, सादर.
Comment by Ram Ashery on June 25, 2016 at 3:29pm

बहुत ही सार्थक रचना के लिए आपको सहृदय बधाई स्वीकार हो 

Comment by Shyam Narain Verma on June 25, 2016 at 12:47pm
वाह बेहद खूबसूरत प्रस्तुति … हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

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