For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ठण्डी गहरी चाँदनी

चिंताओं की पहचानी

काल-पीड़ित

अफ़सोस-भरी आवाज़ें ...

पेड़ों से उलझी रोशनी को

पत्तों की धब्बों-सी परछाई से 

प्रथक करते

अब महसूस यह होता है

सपनों में

सपनों की सपनों से बातें ही तो थीं

हमारा प्यार

या उभरता-काँपता

धूल का परदा था क्या

विश्वासों में पला हमारा प्यार

आईं

व्यथाओं की ज़रा-सी हवाएँ

धूल के परदे में झोल न पड़ी

वह तो यहाँ वहाँ

कण-कण जानें कहाँ गया

झड़ गया

या, सपना था

खुलना था, खुल गया

उड़ते-उड़ते भटकते

कुछ-एक कण

ठहर गए आँखों के कोरों में 

किरकिरी-से अटके

रात-बेरात तब से

अब बेचैन बीतती है रात

              ------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 800

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on November 9, 2019 at 7:21am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मित्र फूल सिंह जी।

Comment by vijay nikore on November 9, 2019 at 7:20am

इतनी सुविचारित सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मित्र विजय शंकर जी।

Comment by PHOOL SINGH on November 8, 2019 at 1:00pm

एक सुंदर रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 8, 2019 at 8:51am

आदरणीय विजय निकोर जी , “ जगत मिथ्या ” के दर्शन पर लिखी आपकी यह रचना “काल पीड़ित”होने का सहीं अंकन कर रही है , अंत में सबकुछ ऐसे ही एक भ्रम सा लगता है , क्योंकि हाथ कुछ लगता नहीं हैं। यादें भी सिर्फ और सिर्फ हमारी ही होती हैं , हम उन्हें ज़िंदा रखना चाहें या हम हीं उन्हें विस्मृत करें और मिट जाने दें।
आप सदैव ही बहुत गहरी और गंभीर रचनाएं रचते हैं , इसके लिए भी बहुत बहुत बधाई , सादर।

Comment by vijay nikore on November 8, 2019 at 7:14am

 इस सुन्दर सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मित्र सुरेन्द्र नाथ जी।

Comment by vijay nikore on November 8, 2019 at 7:13am

ऐसी मनोहर सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, भाई समर कबीर जी।

Comment by नाथ सोनांचली on November 7, 2019 at 10:56pm

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बढ़िया भाव सम्प्रेषण के साथ उम्दा कलमकारी। बधाई निवेदित है। सादर

Comment by Samar kabeer on November 7, 2019 at 12:05pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,आपने ख़ूबसूरत शब्दों से बहुत उम्द: मंज़र कशी की है और अपने भावों को बहतर तरीक़े से पेश किया है,इस सुंदर कविता के लिए बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on November 5, 2019 at 7:31pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मित्र सुशील जी।

Comment by vijay nikore on November 5, 2019 at 7:30pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मित्र लक्ष्मण धामी जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service