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कुण्डलिया (रख आश्रम माँ बाप को)

आता है जब न्यूज़ में, होता कष्ट अपार

रख आश्रम माँ बाप को, बेटा हुआ फरार

बेटा हुआ फरार, तनिक भी क्षोभ न जिसका

होगा वह भी वृद्ध, कभी पर भान न इसका

रिश्तों का इतिहास, स्वयम् को दुहराता है

ख़ुद पे गिरती गाज़, समझ में तब आता है।।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by नाथ सोनांचली on November 9, 2019 at 5:25am

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए आभार। सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 9, 2019 at 3:24am

आ. भाई सुरेंद्र सिह जी, उत्तम कुंडलियाँ हुई हैं । हार्दिक बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 8, 2019 at 8:14pm

आ. भाई सुरेंद्र सिह जी, उत्तम कुंडलियाँ हुई हैं । हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on November 4, 2019 at 8:36pm

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। रचना को आपका आशीष मिला,, लिखना सार्थक हुआ। मुझ जैसे साहित्यकार के लिए आपकी प्रतिक्रिया बेहद जरूरी है। बहुत बहुत आभार आपका। स्नेह बनाये रखें। सादर

Comment by Samar kabeer on November 4, 2019 at 2:21pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छा कुण्डलिया छन्द लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on November 2, 2019 at 4:47pm

 आद0 सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम। आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए एक पुरस्कार होता है। अपने बहुमूल्य समय में से कुछ समय आपने इस रचना पर दिया और अपनी प्रतिक्रिया से मुझे उत्साहित किया,, उसके लिए हृदय तल से आभार। बहुत दिन से छंद लेखन से दूर रहने के बाद यह पहली रचना है। पुनः आभार। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on November 2, 2019 at 4:43pm

आद0 डॉ. विजय शंकर जी सादर अभिवादन। आपने अपना बहुमूल्य समय मेरी रचना पर देकर उसे अपने शब्दों से अलंकृत किया। बहुत बहुत आभार आपका। सादर


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Comment by Saurabh Pandey on November 2, 2019 at 2:06pm

आम जन-मानस को सदिश करती कुण्डलिया छंद के लिए हार्दिक बधाइयाँ , आदरणीय सुरेन्द्र जी

शुभ-शुभ

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 2, 2019 at 8:56am

आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , बहुत ही संवेदनशील विषय पर प्रस्तुत रचना है , बहुत ही सटीक , हार्दिक बधाई , सादर .

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