For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाते हो बाजार पिया तो 

दलिया ले आना

आलू, प्याज, टमाटर 

थोड़ी धनिया ले आना

आग लगी है सब्जी में 

फिर भी किसान भूखा

बेच दलालों को सब 

खुद खाता रूखा-सूखा

यूँं तो नहीं ज़रूरत हमको 

लेकिन फिर भी तुम 

बेच रही हो बथुआ कोई बुढ़िया 

ले आना

जैसे-जैसे जीवन कठिन हुआ 

मजलूमों का

वैसे-वैसे जन्नत का सपना भी 

खूब बिका 

मन का दर्द न मिट पायेगा

पर तन की ख़ातिर

थोड़ा हरा पुदिना

थोड़ी अँबिया ले आना

धर्म जीतता रहा सदा से

फिर से जीत गया

हारा है इंसान हमेशा

फिर से हार गया

दफ़्तर से थककर आते हो

छोड़ो यह सब तुम

याद रहे तो

इक साबुन की टिकिया ले आना

----------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1162

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Balram Dhakar on October 20, 2019 at 12:26am

इस सुंदर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें, आदरणीय धर्मेंद्र जी। 

सादर। 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 19, 2019 at 10:51am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय TEJ VEER SINGH जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 19, 2019 at 10:51am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय Samar kabeer जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 19, 2019 at 10:44am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 19, 2019 at 10:43am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय indravidyavachaspatitiwari जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 19, 2019 at 10:43am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 16, 2019 at 7:59pm

आ. भाई धर्मेन्द्र जी, बेहतरीन नवगीत हुआ है । हार्दिक बधाई।

Comment by indravidyavachaspatitiwari on October 15, 2019 at 3:49pm

मंहगाई पर कटाक्ष करने के लिए आपको बधाई। इतनी सुंदर कविता से मन प्रसन्न हो गया।

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 12, 2019 at 4:22am

आदरणीय धर्मेंद्र कुमार जी , बधाई , इस सुन्दर प्रस्तुति पर। सादर।

Comment by Samar kabeer on October 11, 2019 at 8:21pm

जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी आदाब,बहुत अच्छा नवगीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service