For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'आह क्या सीन है!' (लघुकथा) :

कई दिनों देश-विदेश यात्राएं कर भिन्न-भिन्न परिस्थितियों और परिदृश्यों की साक्षी होने के बाद एक मशहूर पुस्तकालय का मुआयना करते हुए उन दोनों ने अपनी लम्बी चुप्पी यूं तोड़ ही दी :


"यह भी सभ्य लोगों का ही एक अड्डा है!"


"बाहर से इंसान कुछ भी दिखे, अंदर से तो प्राय: उसका चरित्र भद्दा है!" सभ्यता की बात पर असभ्यता ने कहा।


"संक्रमण-काल है! वैश्वीकरण में मिलावट का दौर है! स्वार्थी तकनीकी तरक़्क़ी का मुद्दा है!" एक आह भरते हुए सभ्यता ने कहा और पुस्तकालय में सलीके से रखी धार्मिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, ऐतिहासिक, राजनैतिक, मनोवैज्ञानिक, नीति-शास्त्र आदि तमाम विषयांतर्गत ग्रंथों पर दृष्टिपात करने लगी।


असभ्यता यह दृश्य देखकर कुटिलता से मुस्करा रही थी और पुस्तकालय की खाली कुर्सियों और बैंचों पर नज़रें दौड़ा रही थी।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 547

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 19, 2019 at 1:44pm

आदाब। मेरी इस रचना के अवलोकन और प्रोत्साहक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहिब, आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब, आदरणीय सुशील सरना साहिब और आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा और आदरणीया नीलम उपाध्याय साहिबा।

Comment by Samar kabeer on April 14, 2019 at 4:43pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on April 10, 2019 at 6:32pm

आदरणीय शेख़ उस्मानी साहिब, आदाब .... एक विचारणीय प्रश्न को समेटे इस सुंदर लघुकथा के लिए दिल से मुबारक।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 10, 2019 at 3:59pm

आदरणीय शेख उस्मानी जी, बहुत ही बेहतरीन रचना। प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on April 9, 2019 at 9:35pm

प्रतीकात्मक व्यंगात्मक भाषा शैली में कटाक्ष करती बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय शेख सरजी ।

Comment by Samar kabeer on April 9, 2019 at 6:05pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 9, 2019 at 5:58pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। प्रतीकों के माध्यम से वर्तमान हालात पर अच्छा कटाक्ष। बेहतरीन लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service