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दरवाज़े पर आँधी आके ठहर गई (नवगीत )

 
तिनका तिनका जोड़ बनाया एक घरौंदा 
दरवाजे पर आँधी आके ठहर गई

 

बर्बादी की धीमे-धीमे
आहट पाकर 
स्वप्नकपोतों की
आँखों में भय के साये 
सहमे सहमे भीरु 
कातर बुनकर देखो 
कोने में जा बैठे 
दुबके सकुचाये 

 

क्रूर काल के पंजों से
बचने की ख़ातिर 
ग्रीवा मोड़े 
कुछ पंखों में सिमट गये 

सुनकर नींव की
सिसकी 
सिहर सिहर कर मन में 
कुछ पलकों की
दीवारों पर चिपट गये

 

भूख प्यास में 
कितनी भोर दुपहर गई 
दरवाज़े पर आँधी आके ठहर गई

 

उम्मीदों के गमलों 
के कमसिन पौधों को 
पतझड़ के
बुलडोजर आकर पीस गये 
उधड़ी बखिया 
खेतों की मेडो की जैसे 
माटी के वो घाव
पुराने टीस गये

 

खुशियों की नन्हीं 
प्यारी सी 
भोली मुनिया 
साँसे लेती ज़ल्दी ज़ल्दी

हांफ रही 
देख मुखौटों के पीछे
आतंकी चेहरे 
मूक खड़ी है़ भीतर
भीतर कांप रही 

 

किश्ती के सपनों को
लील लहर गई 
दरवाज़े पर आँधी आके ठहर गई \

 

 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 560

Comment

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Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on July 17, 2019 at 7:41pm

" खुशियों की नन्हीं 
प्यारी सी 
भोली मुनिया 
साँसे लेती ज़ल्दी ज़ल्दी

हांफ रही 
देख मुखौटों के पीछे
आतंकी चेहरे 
मूक खड़ी है़ भीतर
भीतर कांप रही "

बच्चियों के ऊपर इंसानी भेड़ियों के आतंक का भयावय और मार्मिक दृश्य बहुत थोड़े से शब्दों में : वाह ! वाह !! बहुत खूब !!!! 
एक सार्थक नवगीत के सुन्दर सृजन के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीया  rajesh kumari जी | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2019 at 11:06am

आद० समर कबीर भाई जी आपकी प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हो गया नवगीत पसंद करने पर बहुत बहुत आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2019 at 11:05am

आद० सुशील सरना जी आपको नवगीत पसंद आया मेरा लेखन सार्थक हो गया बहुत बहुत आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2019 at 11:04am

आद० बृजेश कुमार जी आपको नवगीत पसंद आया दिल से आभार आपका 

Comment by Samar kabeer on April 7, 2019 at 5:53pm

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,अच्छा नवगीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on April 5, 2019 at 2:48pm

किश्ती के सपनों को
लील लहर गई
दरवाज़े पर आँधी आके ठहर गई \

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपने बहुत ही गहन भावों को समाहित करते हुए सुंदर और प्रवाहमयी नव गीत का सृजन किया है। हार्दिक बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 4, 2019 at 11:32am
वाह आदरणीया क्या सुन्दर सरस गीत हुआ..भावों से ओतप्रोत..

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