For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक रदीफ़ पर दो ग़ज़लें "छत पर " (गज़ल राज )

१.हास्य 

उठाई है़ किसने ये दीवार छत पर 
अब आएगा कैसे  मेरा यार छत पर 

अगर उसके वालिद  का ये काम होगा 
बिछा दूँगा बिजली का मैं तार छत पर

बताकर तू पढ़ती  ख़बर नौकरी की  
चली आना लेकर तू अख़बार छत पर

सुखाने को पापड़ या चटनी मुरब्बा 
करा मुझको अपना तू दीदार छत पर

गया उसके घर पे जो छुपते छुपाते 
बहुत ही कुटा मैं पड़ी मार छत पर

न तारे दिखे फ़िर  हुआ चाँद ग़ायब 
सुनी हड्डियों की जो झंकार छत पर

मिलाकर उसे फ़िर हुई पाँच बहनें 
मना रक्षाबंधन का त्यौहार छत पर

 

 

2.

 न बाबा की खटिया न दस्तार छत पर 
मगर है दुआओं का अम्बार  छत पर 

मसाले सुखाती न कपड़े सुखाती 
न अम्मा का होता है दीदार छत पर

बिकी गाय बकरी गया शहर बेटा 
न रोना झगड़ना न ललकार छत पर

पड़ी हैं दरारें  उगे झाड़ झंकड़ 
बसे आज चूहों के घरबार छत पर

न करते कबूतर गुटरगूँ वहाँ अब 
न दाना न पानी न वो प्यार छत पर

न कड़ियों में झूले न चिडियों की चूं चूं 
लगे मकडियों के हैं बाज़ार छत पर

डराती है बारिश डराती है आँधी 
लटकती हुई डर की तलवार छत पर
मौलिक एवं अप्रकाशित 


राजेश कुमारी राज

Views: 798

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on January 27, 2019 at 11:14am

एक ही रदीफ़ पर दो अलग-अलग भाव प्रस्तुत करती इन ख़ूबसूरत ग़ज़लों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीया राजेश मैम. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 26, 2019 at 11:42pm

आद० रवि भैया आपको ग़ज़लें पसंद आई दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ 

Comment by Ravi Shukla on January 26, 2019 at 9:39pm

आदरणीय राजेश दीदी आपकी दोनों ग़ज़ले अच्छी लगी । आपको पहली बार हास्य के  अंदाज में गज़ल कहते देखा जिन दो शेर की तरफ समर साहब ने इशारा किया उन पर हमारा भी ध्यान गया था। उनकी इस्लाह से बेहतर होंजयेंगे मफ़हूम । हमने भी छत परकरदीफ़ से एक ग़ज़ल कही थी कभी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 26, 2019 at 9:38am

आद० सतविंदर भैया आपका बेहद शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 26, 2019 at 9:38am

आद० अजय तिवारी जी आपको ग़ज़लें पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 26, 2019 at 9:37am

आद० लक्ष्मण भैया आपको ग़ज़लें पसंद आई आपका दिल से बेहद शुक्रिया 

Comment by Ajay Tiwari on January 24, 2019 at 5:58pm

आदरणीय राजेश जी, दोनों ग़ज़लें अच्छी हैं. हार्दिक बधाई.

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 24, 2019 at 6:46am

आदरणीया राजेश दीदी, सादर नमन! दोनों ही गजल बेहतरीन कही आपने। जय जय

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 23, 2019 at 7:32pm

आ. राजेश दी, सादर अभिवादन । दोनों ही गजलें बेहतरीन हुयी हैं । हार्दिक बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 23, 2019 at 7:31pm

आद० दयाराम मथानी जी आपको ग़ज़लें पसंद आई दिल से शुक्रगुजार हूँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"  कृपया  दूसरे बंद की अंतिम पंक्ति 'रहे एडियाँ घीस' को "करें जाप…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"पनघट छूटा गांव का, नौंक- झौंक उल्लास।पनिहारिन गाली मधुर, होली भांग झकास।। (7).....ग्राम्य जीवन की…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"    गीत   छत पर खेती हो रही खेतों में हैं घर   धनवर्षा से गाँव के, सूख गये…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"गांव शहर और ज़िन्दगीः दोहे धीमे-धीमे चल रही, ज़िन्दगी अभी गांव। सुबह रही थी खेत में, शाम चली है…"
14 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"सादर अभिवादन "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"स्वागतम"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत बहुत शुक्रिय: जनाब अमीरुद्दीन भाई आपकी महब्बतों का किन अल्फ़ाज़ में शुक्रिय:  अदा…"
Thursday
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी, सलामत रहें ।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service