For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहते हैं देख लेता है नजरों के पार तू
मेरी तरफ भी देख जरा एक बार तू

हर बार मान लेता हूं तेरी रजा को मैं
हर बार तोड़ता है मेरा एतबार तू

करने से मेरे कुछ नहीं होना अगर तो
अहसासे बेनियाजी दे मुझ में उतार तू

सूनी पड़ी है तेरे बिना दिल की महफिलें
दो पल तो इस दयार में आकर गुजार तू

मेरी रगों में भर गई है कितनी उलझनें
है थोड़ा सा चैन दे भी दे मुझको उधार तू

मेरी पुकार में नहीं है असलियत कोई
या फिर चला गया है सदाओं के पार तू

अहसास की नजर में है बेवफा सभी
ये जिंदगी, ये रौनकें,चाहत,बहार तू

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on January 27, 2019 at 11:10am

अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय मनोज कुमार अहसास जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. कृपया ग़ज़ल के साथ अरकान भी लिख दिया करें तो हम जैसे सीखने वालों के लिए आसानी रहेगी. सादर.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2019 at 6:04am

आ. भाई मनोज जी, गजल का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई । शेष आ. समर जी कह ही चुके है ।सादर

Comment by मनोज अहसास on January 23, 2019 at 9:49am

बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब

निश्चित ही ग़ज़ल थोड़ा जल्दबाज़ी में पोस्ट हो गई

आपके होने से थोड़ी लापरवाही की आदत भी पड़ गई है कि कुछ गलत होगा तो आप बता देंगे माफी भी चाहता हूं मंच पर सक्रियता न होने के कारण ,प्रयास करूँगा सादर

Comment by Samar kabeer on January 22, 2019 at 11:25pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन लगता है जल्द बाज़ी में पोस्ट की है,बधाई स्वीकार करें ।

'करने से मेरे कुछ नहीं होना अगर तो'

ये मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है,देखिये ।

'सूनी पड़ी है तेरे बिना दिल की महफिलें'

इस मिसरे में 'है' को "हैं" कर लें ।

' मेरी रगों में भर गई है कितनी उलझनें 
है थोड़ा सा चैन दे भी दे मुझको उधार तू'

इस शैर के ऊला में 'है' को "हैं" कर लें,और सानी मिसरे में से "है" शब्द निकालें,मिसरा बेबह्र हो रहा है ।

'मेरी पुकार में नहीं है असलियत कोई'

इस मिसरे को यूँ कर लें तो गेयता बढ़ जाएगी:-

'मेरी पुकार में ही नहीं कोई असलियत' 

'अहसास की नजर में है बेवफा सभी'

ये मिसरा बह्र में नहीं,यूँ कर सकते हैं:-

'अहसास की निगाह में हैं बेवफ़ा सभी'

कृपया मंच पर अपनी सक्रियता दिखाएँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted blog posts
57 minutes ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service