For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 2121 1221 212

अच्छी लगी है आपकी तिरछी नज़र मुझे ।।
समझा गयी जो प्यार का ज़ेरो ज़बर मुझे ।।1

आये थे आप क्यूँ भला महफ़िल में बेनक़ाब ।
तब से सुकूँ न मिल सका शामो सहर मुझे ।।2

नज़दीकियों के बीच बहुत दूरियां  मिलीं ।
करना पड़ा है उम्र भर लम्बा सफर मुझे ।।3

पत्ते भी साथ छोड़ के जाते खिंजां में हैं ।
रोता  हुआ  ये  दर्द  बताया  शज़र मुझे ।।4

ये वक्त जश्न का है मेरी ईद आज है ।
जब मुद्दतों के बाद दिखा है क़मर मुझे ।।5

ख़ामोश हूँ मैं कब से ज़माने के दर्द पर ।
सुहबत थी आपकी जो हुआ है असर मुझे ।।6

किस किस पे मैं यक़ीन करूँ ऐ खुदा बता ।
ख़ंजर को जब चुभाए मेरा मोतबर मुझे ।।7

अपनी ख़ता पे आज वो चहरे उदास हैं ।।
करने चले थे शौक से जो बेकदर मुझे ।।8

किस्मत  को  राह  खूब पता  है मियाँ यहां ।
ले जाएगी उधर ही वो जाना जिधर मुझे ।।9

मुहमोड़ कर वो चल दिये आया बुरा जो वक्त ।
जो कह रहे थे गर्व से अपना जिग़र मुझे ।।10

इस मैकदे को छोड़ के तौबा करूँ सनम ।
मिल जाये थोड़ी आपसे इज्ज़त अगर मुझे ।।11

मत पूछिए हुजूऱ मेरा हाल चाल अब ।
रहती है आजकल कहाँ अपनी ख़बर मुझे ।।12

         नवीन मणि त्रिपाठी मौलिक अपर
 अ प्रकाशित



Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 8, 2018 at 6:55pm

आ. भाई नवीन जी, गजल का अच्छा प्रयास हुआ है । हार्दिक बधायी ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 8, 2018 at 11:27am

आ0 कबीर सर अति महत्वपूर्ण इस्लाह हेतु सादर नमन के साथ हार्दिक आभार ।

Comment by Samar kabeer on December 7, 2018 at 8:27pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'रोता  हुआ  ये  दर्द  बताया  शज़र मुझे'

इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-

'रोकर बता रहा था ये इक दिन शजर मुझे'

'  जब मुद्दतों के बाद दिखा है क़मर मुझे'

इस मिसरे को यूँ करें,गेयता बढ़ जाएगी:-

'मुद्दत के बाद आज दिखा है क़मर मुझे'

'  सुहबत थी आपकी जो हुआ है असर मुझे'

इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-

'सुहबत का आपकी ये हुआ है असर मुझे'

7वें शैर में क़ाफ़िया काम नहीं कर रहा है ।

' करने चले थे शौक से जो बेकदर मुझे'

इस मिसरे में 'बेक़दर' को "दर ब दर'" करना उचित होगा ।

'  किस्मत  को  राह  खूब पता  है मियाँ यहां'

इस मिसरे में'मियाँ यहाँ' को "यहाँ मियाँ" कर लें ।

बाक़ी शुभ शुभ ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on December 6, 2018 at 4:10pm

आदरणीय नवीन जी बहुत बेहतरीन गजल लिखी आपने बधाई कुबूल कीजिए

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 5, 2018 at 6:58pm

आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार और नमन ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 5, 2018 at 6:57pm

आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब नमन और हार्दिक आभार ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 5, 2018 at 2:03pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।

अपनी ख़ता पे आज वो चहरे उदास हैं ।।
करने चले थे शौक से जो बेकदर मुझे ।।8

Comment by Shyam Narain Verma on December 5, 2018 at 1:18pm

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी प्रणाम ,बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल ....हार्दिक बधाई। सादर

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 5, 2018 at 10:50am

आ0 राज़ नावादवी साहब तहेदिल से शुक्रिया

Comment by राज़ नवादवी on December 5, 2018 at 9:21am

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी साहब, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए दाद के साथ मुबारकबाद. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
5 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service