For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'डंके' की 'चोट' पर (लघुकथा)

"हमने कहा था न कि थक जाने पर तलब होने पर वह आयेगा ही! हमें रेस्क्यू की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए!"


"हां, ग़रीब हो या अमीर, पर है  तो चाय का आदी ही! यह चाय फेंकेगा नहीं! 'मनी माइंडिड' होगा, तो यह पियेगा और पिलायेगा!" चाय के डंके में दो-तीन घंटों से पड़ी शेष चाय में गोते लगाते एक चीटे ने डंके की दीवारों पर चढ़ते, गिरते-डूबते हुए उस चीटे की बात सुनकर कहा। चाय में डूबे और डंके में भटकते संघर्षरत चींटे भी बड़ी उम्मीद के साथ सजग हो जीवन-रक्षा की कल्पना करने लगे।


"ज़रा फुर्ती करो! जब तक वह कोई 'माचिस' या 'लाइटर' तलाश रहा है 'रसोई' में, तब तक ज़ोर लगाकर जितने साथी यहां से बाहर जा सकें, खिसक लें! .. वरना 'आग' से 'तपकर' मरना ही होगा!" एक अन्य चीटे ने नीचे मुड़कर तैरते साथियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा।


"हां, चाय है या बची हुई जम्हूरियत! अपना 'डंका' बजाने वाला पी जायेगा और पिलवा देगा हम चींटों को मारकर, मरवा कर या अपने 'डंके' से हमें बाहर भगाकर!" एक वरिष्ठ अनुभवी चीटे ने चाय के डंके के बिल्कुल ऊपर किनारे पर जाकर नीचे वालों से हंसकर कहा - "हमें अपने मुल्क की परेशान ग़रीब जनता या किसान समझ रखा है!"


"इसको मालूम है कि हमारी एकता क्या-क्या कर सकती है! इसने भी तो हम चींटों पर लिखी गई कहानियां और कवितायें पढ़ी या सुनी होंगी दिल्ली वालों की तरह!" चाय की 'लहरों' से ऊपर आने की कोशिश करते एक और चीटा बोल पड़ा - "नोचना और काटना हमें भी आता है!"


"कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होतीsss .. !" बाहर निकल चुके कुछ चीटों ने लोकप्रिय कविता की पंक्तियां गुनगुनाते हुए कहा। जब तक चाय के डंके की तलहटी पर आग की आंच पहुंचती, उस 'चाय' और 'डंके' में फंसे लगभग सभी चीटे पारस्परिक हौसला अफ़ज़ाई और सहयोग से बाहर सुरक्षित निकल चुके थे। हां, चाय में घुली 'योजनाओं रूपी शक्कर' की अति लालच में 'मतदाता या राज्य रूपी' कुछ एक डूबकर मर चुके थे!


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 13, 2018 at 8:26pm

मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर उपस्थित होकर, समय देकर अपनी राय सांझा करने और मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब जवाहरलाल सिंह साहिब, जनाब विजय निकोरे  साहिब, मुहतरम आशीष यादव साहिब, जनाब समर कबीर साहिब और जनाब नवीन मणि त्रिपाठी साहिब।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 13, 2018 at 8:09pm

आदरणीय शैख़ शहजाद उस्मानी साहब, आपने चीटियों के प्रतीक के माध्यम से आज की ब्यवस्था पर जबर्दश्त चोट की है. बहुत बहुत बधाई!

Comment by vijay nikore on September 12, 2018 at 11:28am

आपकी लघुकथाएँ सदैव सुन्दर संदेश देती हैं, प्रेरणा देती हैं, यह आपकी कलम का कमाल है, आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी।

Comment by Samar kabeer on September 9, 2018 at 7:44pm

//जबरदस्त रूपक//

जनाब आशीष यादव जी आदाब,इतनी छोटी टिप्पणी,सोशल मीडिया पर चलती होगी,इस मंच पर नहीं,यहाँ पहले रचनाकार को आदर से संबोधित करते हैं फिर उसकी रचना पर तारीफ़ या आलोचना की जाती है,कृपया संज्ञान में लें ।

Comment by Samar kabeer on September 9, 2018 at 7:40pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by आशीष यादव on September 8, 2018 at 1:21pm

जबरदस्त रूपक।

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2018 at 4:51pm

वाह वाह आदरणीय बहुत ही प्रेरक लघुकथा । पढ़कर आनंद आ गया । तहेदिल से बधाई आपको ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service